ब्रह्मा जी ने कहा है नारद इस समय 12 कप बीत रहा है इसमें से बेस वक्त नमक मुनि का राज है यह मेरा प्रपत्र है इसके कप के प्रत्येक द्वापर युग में वेदव्यास का अवतार होता है व्यास जी सांसारिक जीवन की बुद्धि को मठ देखकर पुराने का निर्माण करते हैं जिसमें उन्हें वेद का अर्थ भली भांति समाज में आ गया परंतु इतने पर भी सांसारिक मनुष्य मूर्ख बने रहते हैं काली युग किया मूर्खता को देख ही शिवजी व्यास जी की प्रार्थना पर अवतार लेते हैं और उनके मत को प्रसिद्ध करते हैं आप मैं तुमसे ब्याज जी के चरित्र का वर्णन करता हूं उसे ध्यान पूर्वक सुनो हे नाथ पहले द्वापर के पहले मन्वंतरण में मैं अभ्यास के रूप में अवतार लिया तथा वेद को ऋषिक योग शाम तथा अथर्व इन चार विभागों में बांटा और उसकी शाखों को बढ़ाया तदुपरांत मैं पुराने का निर्माण किया क्योंकि कलयुग के कारण सांसारिक जीवन की बुद्धि नष्ट हो गई थी मैंने वेद की कृतियों को पुराणों में इस प्रकार कहा है कि इससे सब लोग उसे सुगमता पूर्वक समझ सके और प्रसन्न हो जिस प्रकार कोई वेद रोगी को कड़वी औषधि ना देकर मीठी औषधि द्वारा रोक को दूर करने का उपाय करता है वही कार्य मैं भी किया है यह डीपी मैं अनेक प्रकार के प्रयत्न किया परंतु व्यास मत प्रसिद्ध नहीं हुए और ना किसी ने पुराने को ही बढ़ाया तब मैं अत्यंत चिंतित होकर शिवजी का स्मरण करते हुए उनसे या प्रार्थना की है प्रभु द्वापर व्यथित होकर कलयुग आ रहा है परंतु कोई भी आदमी पुराने को नहीं छूटा और ना मेरे मत को भी नहीं मानता इसलिए आपको उचित है कि आप आप दया करके मेरी सहायता करें और मेरे मत को डेड करें हे नारद मेरी प्रार्थना सुनकर शिवजी ने प्रसन्न होकर कलियुग के प्रारंभ में एक ब्राह्मण के घर जन्म लिया हुआ ब्राह्मण हिमालय पर्वत के एक भाग छल गिरी में रहता था उसे समय शिव जी का नाम श्वेत रखा गया जिस समय हुए उत्पन्न हुए उसे समय सब लोग जय जयकार करने लगे आकाश में पुष्प वर्ष होने लगी सब लोगों ने प्रसन्न होकर शिवजी की बड़ी स्तुति की तब शिवजी ने संसार पर दया करने हेतु आम योग को प्रकट किया उसे समय श्वेत श्वेत शिष्य श्वेत अश्व तथा स्वीटी नमक उसके चार बड़े प्रसिद्ध शिष्य हुए वह सब आश्रम धर्म को जानने वाले योग अभ्यासी तथा पाप रहित थे शिव जी ने उन्हें योग की किदाई सिखाई और उनके द्वारा संसार में योग को प्रकट किया था दो प्रांत सभी सांसारिक जीवन ने प्रयत्न पूर्वक योग को अपनाया और वेद पुराण के मत को स्वीकार किया इस प्रकार शिव जी ने श्वेत रूप धारण कर विकास रूप हो मुझको प्रसन्नता प्रदान की
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Brahma Ji has said that Narad, at this time 12 Kaaps are passing, out of which the rule of sage Naamak is my form. In every Dwapar Yuga, Vedavyasa takes incarnation. Vyas ji, seeing the wisdom of worldly life, creates Purana in which he understands the meaning of Vedas very well, but despite this, worldly people remain fools. Seeing the foolishness of Kali Yuga, Shiv ji takes incarnation on the prayer of Vyas ji and makes his opinion famous. I will describe the character of Vyas ji to you, listen to it carefully, O Nath, in the first Manvantaran of Dwapar, I took incarnation in the form of Abhyaas and divided Vedas into four sections, Rishik, Yoga, Sham and Atharva and increased its branches. Thereafter I created Purana because due to Kali Yuga, the wisdom of worldly life was destroyed. I have described the works of Vedas in Puranas in such a way that all people can understand it easily and be happy, just like a Veda prevents a disease by giving sweet medicine instead of bitter medicine. He tries to remove the problems, I have also done the same thing. I have tried many ways in this DP, but Vyas's opinion did not become famous and no one promoted the old one. Then I became very worried and remembered Lord Shiva and prayed to him. Lord, being distressed by Dwapar, Kaliyug is coming, but no one has left the old one and neither does anyone believe in my opinion. Therefore, it is appropriate that you kindly help me and support my opinion. O Narada, hearing my prayer, Lord Shiva was pleased. At the beginning of Kaliyug, a Brahmin was born in a Brahmin's house. He lived in Chhal Giri, a part of the Himalayas. At that time, Shiva was named Shwet. When he was born, everyone started hailing him. Flowers started raining in the sky. Everyone was pleased and praised Shiva. Then Shiva, to show mercy to the world, revealed Aam Yog. At that time, he had four very famous disciples named White, White Ashwa and Sweety. All of them were Yoga practitioners who knew the Ashram religion and were sinless. Shiva taught them the basics of Yoga and revealed Yoga to the world through them. There were two provinces, all the worldly life adopted yoga with effort and accepted the opinion of Vedas and Puranas, in this way Lord Shiva took the white form and became happy in the form of development.
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