श्री शिव महापुराण कथा सातवां खंड अध्याय 4


ब्रह्मा जी ने कहा हे नारद अब मैं तुमसे शिव जी के आठ अवतारों का वर्णन करता हूं जिस प्रकार सूट के डार में मानी और रतन फिर हुए रहते हैं उसी प्रकार यह संपूर्ण संसार इन आठ अवतारों में स्थित है उसके नाम इस प्रकार है सर्वस्व भाव रूद्र उग्र भी पशुपति स्थान तथा महादेव के हाथों अवतार पृथ्वी जल अग्नि वायु आकाश यज्ञ भूमि सूर्य तथा चंद्रमा में स्थित रहते हैं अर्थात स्वरूप होकर पृथ्वी पर भर अपने ऊपर लिए हुए हैं और संपूर्ण संसार को प्रसन्नता प्रदान करते हैं भाव रूप होकर जल में रहते हैं और संपूर्ण प्राणियों के कासन को दूर करते हैं रूद्र रूप होकर अग्नि में निवास करते हैं और प्रकाश द्वारा सब लोग को आनंद प्रदान करते हैं उग्र रूप होकर वायु में निवास करते हैं जिससे सब प्राणी जीवित रहते हैं भी रूप होकर आकाश में जाकर निवास करते हैं और संपूर्ण संसार को अपने में समेटे रहते हैं पशुपति रूप होकर क्षेत्र यज्ञ जिसमें सब लोगों को सुख मिलता है किस रूप होकर हुए सूर्य में स्थित रहते हैं जिससे पृथ्वी तथा आकाश सब प्रकाशित बने हैं महादेव होकर उन्होंने चंद्रमा में अपना निवास बनाया है और संपूर्ण जीवन का पालन करते हैं हे नारद शिवजी के यहां आठ मुख्य रूप है इस प्रकार शिवजी सब में प्रकट है शिवजी का पूजन करने से संपूर्ण ब्रह्मांड का पालन पोषण हो जाता है जिस प्रकार माता-पिता को अपने बालक पर प्रतीत होती है उसी प्रकार मनुष्य को चाहिए कि संसार के समस्त प्राणियों पर प्रेम रहे ऐसा आचरण करने वाले व्यक्ति के ऊपर शिवजी अत्यंत प्रशांत होते हैं वास्तु आप सब जीवन में शिवजी का ही स्वरूप जानकर सब पर किसने रखना चाहिए जो मनुष्य अपनी भलाई चाहता हो उसे उचित है कि वह शिवजी के इन अटो रूपों की सेवा किया करें इन स्वरूपों में के चित्रों की कथा सुनने तथा सुनने से भी आनंद की वृद्धि होती है इतनी कथा सुनकर ब्रह्मा जी ने कहा है नारद अब मैं अर्ध नागेश्वर अवतार का वर्णन करता हूं जब मैं सृष्टि को उत्पन्न करना आरंभ किया तो मैंने उसका पालन भी माता के समान किया परंतु वह किसी भी प्रकार वृद्धि को प्राप्त नहीं हुई उसे समय मैं अत्यंत चिंतित होकर यह विचार करने लगा कि आप मैं कहां जाऊं और किसकी सहायता लूं उसे समय मुझे चिंतित देखकर यह आकाशवाणी हुई की है ब्रह्मा तुमने मिथुन सृष्टि उत्पन्न करो वह सृष्टि वृद्धि को प्राप्त होगी उसे आकाशवाणी को सुनकर मेरे भी मन में ऐसे ही इच्छा हुई कि मैं ऐसी ही सृष्टि उत्पन्न करूं परंतु उसमें मुझे सफलता नहीं मिलेगी तब मैंने यह विचार किया कि बिना शिवजी की सहायता से मेरा मनोरथ सफल न होग इसलिए मैंने तपस्या करनी आरंभ की मेरे उसे तप से प्रसन्न होकर शिवजी अर्थ के स्वर रूप धारण मेरे पास आए यह देखकर मैं बड़ी स्तुति की तथा अपनी अभिलाषा का सुनाई उस शक्ति से अलग कर लिया तब शिव और शक्ति के दो अलग-अलग ग्रुप दिखाई दिए इस चरित्र को देखकर मुझे और भी अधिक प्रसन्नता हुई तब मैं आकाशवाणी का वृतांत सुनाते हुए शक्ति से या प्रार्थना की आप दक्ष के घर अवतार ले और शिवजी भी अवतार लेकर आपके साथ विवाह करें मेरी इस प्रार्थना को सुनकर शक्ति ने एवं वास्तु कहा था दो प्राण उन्होंने अपनी बहू के बीच से अन्य शक्तियों उत्पन्न की और शिवजी की ओर देखने लगी उसे समय शिव जी ने हंसकर यह कहा कि ब्रह्मा ने हमारी प्रसन्नता के निर्माता बहुत टैप किए हैं आज तो तुम इसके मनोरथ पूर्ण करो यह सुनकर शक्ति ने मेरी अभिलाषाओं को पूर्ण किया दादू प्रांत हुए मुझे वरदान देकर अंतर ध्यान हो गए ही नारा देश प्रकार शिवजी से वरदान पाकर मैं मिथुन सृष्टि को उत्पन्न किया इस ए अवतार की कथा सब प्रकार की अभिलाषाओं को पूर्ण करने वाली है

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Brahma Ji said, O Narada, now I will describe to you the eight incarnations of Lord Shiva. Just as gems and gems are present in the thread of a suit, similarly this entire world is situated in these eight incarnations. Their names are as follows: Sarvasva Bhaav Rudra Ugra Bhi Pashupati Sthan and incarnation in the hands of Mahadev. They are situated in Earth, Water, Fire, Air, Sky, Yagya, Earth, Sun and Moon. That is, in form, they take the entire earth upon themselves and give happiness to the entire world. In form, they live in water and remove the sufferings of all the creatures. In form, they live in fire and give happiness to all the people through light. In form, they live in air due to which all the creatures remain alive. In form, they go and live in the sky and encompass the entire world in themselves. In form, they perform Kshetra Yagya in which all the people get happiness. In form, they live in Sun due to which the earth and sky are illuminated. In form, they have made their abode in the moon and take care of the entire life. O Narada, Lord Shiva has eight main forms. Thus, Lord Shiva is manifested in all. By worshipping Lord Shiva, the entire universe is nurtured. Just like parents love their children, similarly a man should love all the creatures of the world. Lord Shiva is very pleased with such a person. In all of you, you should know the form of Lord Shiva and keep it on everyone. The person who wants his well-being, it is appropriate for him to serve these many forms of Lord Shiva. Happiness increases by listening to the stories and pictures of these forms. After listening to this story, Lord Brahma said to Narad, now I describe the Ardha Nageshwar incarnation. When I started creating the universe, I also raised it like a mother, but it did not grow in any way. At that time, I became very worried and started thinking that where should I go and whose help should I take. At that time, seeing me worried, a voice from the sky said, O Brahma, you create a twin universe, that universe will grow. After listening to this voice from the sky, I also had a similar desire to create such a universe, but I will not get success in it. Then I thought that without Lord Shiva's help, my desire will not be fulfilled, so I started doing penance. By my penance, I got the same desire. Pleased, Shivji came to me in the form of the voice of the meaning. Seeing this, I praised him a lot and told him my desire. I separated myself from that Shakti. Then two separate groups of Shiv and Shakti appeared. Seeing this, I became even more happy. Then, narrating the story of the Akashvani, I prayed to Shakti that you take incarnation in the house of Daksh and Shivji should also take incarnation and marry you. On hearing this prayer of mine, Shakti said two souls. She created other Shaktis from the middle of her daughter-in-law and started looking at Shivji. At that time, Shivji smiled and said that Brahma has done a lot of tapping for our happiness. Today, you fulfill his desire. On hearing this, Shakti fulfilled my desire. Dadu became the king and after giving me a boon, I went into inner meditation. After getting a boon from Shivji, I created the Mithun creation. The story of this incarnation is going to fulfill all kinds of desires.

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