ब्रह्मा जी ने कहा है नारद जब तक शिव जी का मुख्य भवन बनकर तैयार नहीं हो जाता तब तक शिवजी काशी में अनेक स्थानों पर भ्रमण करते रहें विराजपीठ नामक प्रसिद्ध स्थान पर शिवजी ने अन्य स्थानों की अपेक्षा अधिक समय तक निवास किया उन्होंने वहां पर स्थित त्रिलोचन नमक शिवलिंग की महिमा का बहुत वर्णन किया एक दिन हुए वह विष्णु जी से काशी की महिमा तथा काशी में स्थित शिवलिंगों की स्तुति का वर्णन कर रहे थे इस समय नंदीश्वर ने उनके पास पहुंचकर यह प्रार्थना की की है प्रभु आपका मंदिर बनकर तैयार हो चुका है और मैं रात सजा कर ले आया हूं आज तो अब आप कृपा करके अपने भवन को चलिए ब्रह्मा तथा इंद्र आदि सब देवता द्वार पर खड़े हुए हैं और सबकी यह इच्छा है कि आप वहां चलकर सुशोभित हो हे नारद नंदीश्वर की बात सुनकर शिवाजी अत्यंत प्रसन्न हो अपने भवन के लिए चल दिए उसे समय चारों दिशाएं वे धोनी से गूंज उठी तथा सुंदर बजे बजने लगे आकाश से पुष्प वर्षा होने लगी उसे समय पृथ्वी पर कोई भी ऐसा प्राणी नहीं था जो आनंद मगन ना हो जब शिवजी अपने भवन में पहुंच गए तब मैं विष्णु जी ने तथा अन्य देवताओं ने शिवजी का अभिषेक किया उसे समय संपूर्ण तीर्थ का जल छोड़ गया और सब लोग ने भेद देखकर शिवजी तथा गिरजा की आरती उतारी विष्णु जी ने एक बार मुंह की चार बार चरणों की दो बार नाभि की तथा साथ बार स्वर्ग की आरती उतारी क्योंकि शिवजी की आरती 14 बार उतर जाती है इसके अंतर मैं विष्णु जी ने तथा अन्य सब देवताओं ने एक-एक स्तुति बनाकर पड़ी और शिवजी से यह प्रार्थना की कि आप हम लोगों पर प्रसन्न होकर हमारा पालन करें
TRANSLATE IN HINDI
Brahma Ji has said to Narad that till the main building of Shiv Ji is ready, Shiv Ji should keep visiting many places in Kashi. Shiv Ji stayed at the famous place named Virajpeeth for a longer time than at other places. He described the glory of Trilochan Namak Shivling situated there. One day, he was describing the glory of Kashi and the praise of Shivlings situated in Kashi to Vishnu Ji. At that time, Nandishwar reached him and prayed that Lord, your temple is ready and I have decorated it last night. Now, please go to your house. Brahma and Indra and all other gods are standing at the door and everyone wants that you go there and get decorated. O Narad, Shiva Ji was very happy to hear Nandishwar's words and left for his house. At that time, all the four directions echoed with the sound of drums and the Sundar started playing. Flowers started raining from the sky. At that time, there was no creature on earth who was not happy. When Shiv Ji reached his house, then Vishnu Ji and other gods anointed Shiv Ji. At that time, all the water of the pilgrimage was left and seeing the difference, all the people performed the aarti of Lord Shiva and the church. Lord Vishnu performed the aarti of the face four times, the feet twice, the navel once and performed the aarti of the heaven seven times because the aarti of Lord Shiva is performed 14 times. In between this, Lord Vishnu and all the other gods recited one hymn each and prayed to Lord Shiva that he be pleased with us and protect us.
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