श्री शिव महापुराण कथा सातवां खंड अध्याय 2 का भाग 2



हे नाथ शिव जी ने राजा चंद्र गढ़ को रक्षक के भाई से मुक्त किया तथा उसकी पत्नी सीमंती को सोमवार का व्रत करने के कारण मोक्ष प्रदान की शिव जी ने ही इंद्र नमक ब्राह्मण को तारा तथा पिंगला को अपने सामान बना लिया श्रीमंती की पुत्री पक्ष तथा पशुपति को भी उन्होंने मुक्ति प्रदान की दुर्जन नामक यह वन देश का राजा अपने सर से मुक्त भस्म लगाने पर ही मुक्ति को प्राप्त हो गया भद्रसेन का पुत्र सुधर्मा तथा उसके मंत्री का पुत्र तारक रुद्राक्ष धारण करने के प्रताप से मुक्ति हो गई शिवजी ने महानंदा तथा उसके वंश को अग्नि में जलने से बचाया उन्होंने देवव्रत ब्राह्मण की पुत्री शारदा पर कृपा की विडंबा तथा उसकी पत्नी बिचक को भक्ति कर के कारण भ्रष्ट हो गए थे उन्होंने शिवजी ने अपना यश सुन कर धन्य कर दिया उन्हें शिव जी ने अनेक विचित्र चरित्र करके इंद्र के मत को चरण किया तथा बृहस्पति की बनी हुई स्तुति को सुनकर इंद्र को प्राण दान दिया जिस समय चंद्रमा अपने गुरु की पत्नी को भगा ले गया उसे समय शिव जी ने उसका अभियान नष्ट करके बृहस्पति को उसके पत्नी वापस दिलवा दिया हे नारद कैलाश पर्वत पर जो महेश जी विराजमान है वह शिव जी के पहले अवतार हैं वह अपने घरों को साथ लिए हुए संसार के कल्याण के निर्माता अनेक प्रकार की कथाओं का वर्णन करते हैं वह शब्द वृक्ष के नीचे बैठकर कभी अपने ध्यान में मांगना हो जाते हैं और कभी समाधि द्वारा अपने ब्रह्म स्वरूप को प्रकट करते हैं वह कभी राजाओं के सम्मान आनंद भवन में बैठकर बिहार करते हैं और कभी धर्माचार्य करते हुए अपने बालकों को खिलाते हैं वह कभी तपस्वी का रूप धारण कर दिगंबर हो जाते हैं और वह कभी मंडों की माला पहन कर अपने शरीर में भस्म राम लेते हैं वह कभी संसार को त्याग कर भूत-प्रेत की उत्पत्ति करते हैं और कभी परम सुनों के सामान्य एकांत में निश्चल बैठे रहते हैं का भी प्रयोग दास कल में भस्म धारण करते हैं और कभी छोटे बालकों के समान विधियत प्रकार के चरित्र करते हैं हे नारद वह कैलाश पर्वत पर स्थिर होकर सनक सनक नंद आदि शिवजी की अनंत सेवा किया करते हैं कभी माय तथा विष्णु जी भी वहां पहुंचकर शिवजी की सेवा किया करते हैं कभी-कभी शिवजी का ऐसा दरबार लगता है कि उसमें सब देवता एकत्र होते हैं उसे समय शिवजी गिरजा सहित सिंहासन पर सुशोभित होते हैं तब विष्णु जी मृदंग बजाते हैं सरस्वती वीणा पर राज अर्पित है लक्ष्मी जी गीत गाती है इंद्र बांसुरी बजाते हैं मैं टाल देता हूं तथा अन्य सब देवता उसके आरती उतारते हैं इस प्रकार सब लोग अपने-अपने भजनों को मीठे स्वरों में गाकर शिवजी को प्रसन्न करते हैं शिवजी तथा गिरजा का यह दूसरा रूप तीनों लोग को अत्यंत कल्याण करने वाला है यह नारद शिवजी अपने भक्तों की प्रसन्नता के निर्माता अनेक पर अवतार लेकर विभिन्न प्रकार की लीलाएं किया करते हैं शिव जी के कर्म नाम तथा करोड़ चरित्र है इसी प्रकार उसके रूपों की भी कोई गिनती नहीं है तुमने शारदा ने सेठ जी ने तथा अन्य सब देवताओं ने भी शिवजी के यश का बहुत वर्णन किया परंतु तुम में से कोई भी उसका पर नहीं पा सका शिवजी के समान सुख देने वाला अन्य कोई नहीं है उनकी ऐसी विचित्र लीला है कि वह स्वयं तो अपने शरीर में भस्म धारण करते हैं और अपने भक्तों को सब प्रकार से रस रंग देते हैं हुए स्वयं हलाहल पीते हैं तथा भक्तों को पीने के लिए अमृत देते हैं वह स्वयं मंडों की माला तथा सांपों की काठी पहनते हैं परंतु अपने भक्तों को रत्न आभूषण देते हैं इन सबसे भी बढ़कर उसके संबंध में विचित्र बात यह है कि अन्य सब देवता तो सेवा करने से प्रसन्न होते हैं परंतु हुए बिना सेव किय ही प्रसन्न हो जाते हैं हे नारद ए से दयाल स्वामी को त्याग कर भी जो मूर्ख मनुष्य इधर-उधर भटकते हैं उनमें से अधिक हाथ भाग गया और कौन है वेद में लिखा है कि कैलाश वासी महेश भगवान सदाशिव के पूर्ण अवतार है हुए अपने इस साबुन रूप द्वारा अनेक प्रकार की लालाएं करते हैं तथा अपने चित्रों द्वारा भक्तों को आनंद प्रदान करते हैं मनुष्य को उचित है कि वह शिव शंकर के चरणों में अपने जीत को लगाए रहे

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O Lord Shiva freed King Chandra Garh from the brother of the protector and his wife Simanti was given salvation for observing Monday fast. Shiva made Indra's Brahmin Tara and Pingla equal to himself. He also gave salvation to Shrimanti's daughter Paksha and Pashupati. This king of the forest country named Durjan got salvation only after applying Mukt ash on his head. Bhadrasen's son Sudharm and his minister's son Tarak got salvation by the power of wearing Rudraksha. Shiva saved Mahananda and his dynasty from burning in fire. He showed mercy on Devvrat Brahmin's daughter Sharda. Vidamba and his wife Bichak had become corrupt due to devotion. Shiva blessed them after hearing about his fame. Shiva performed many strange acts and convinced Indra's opinion. He gave life to Indra after listening to Brihaspati's praise. When Chandrama eloped with his Guru's wife, at that time Shiva destroyed his conspiracy and got Brihaspati his wife back. O Narada, the Mahesh Ji who is seated on Mount Kailash is Shiva. He is the first incarnation of God, the creator of the welfare of the world, along with his family, he narrates many types of stories. He sits under the Shabda tree, sometimes he becomes a Manga in his meditation and sometimes reveals his Brahma form through Samadhi. Sometimes he sits in Anand Bhavan in the honor of kings and roams around and sometimes he feeds his children while being a religious teacher. Sometimes he takes the form of an ascetic and becomes Digambara and sometimes he wears a garland of Mandos and applies ashes on his body. Sometimes he abandons the world and creates ghosts and spirits and sometimes he sits motionless in the solitude of the supreme deities. He also wears ashes in Das Kal and sometimes acts like a small child. O Narada, he stays on Mount Kailash and serves Shivaji endlessly. Sometimes Maa and Vishnu ji also reach there and serve Shivaji. Sometimes Shivaji's court looks like that all the gods gather in it. At that time Shivaji is adorned on the throne along with the church and then Vishnu ji plays the Mridang. Saraswati has dedicated her reign to the Veena, Lakshmi sings songs, Indra plays the flute, I defy him and all the other gods perform his aarti. In this way, everyone pleases Lord Shiva by singing their bhajans in sweet voices. This second form of Lord Shiva and the Goddess Durga is extremely beneficial to all the three worlds. Lord Shiva, the creator of happiness for his devotees, takes many incarnations and performs various types of divine acts. Lord Shiva has a crore of names and characters. Similarly, there is no count of his forms. You, Sharda, Sethji and all other gods have also described the glory of Lord Shiva a lot, but none of you could get his wings. There is no one who gives happiness like Lord Shiva. His divine act is so strange that he himself wears ashes on his body and colors his devotees in all kinds of juices. He himself drinks poison and gives nectar to his devotees to drink. He himself wears a garland of mandala and saddles of snakes, but gives gems and ornaments to his devotees. The strangest thing about him is that all the other gods So they become happy by serving but become happy even without being served, O Narada, even after leaving this kind Swami, those foolish people who wander here and there, who else has run away and who is it? It is written in the Vedas that Kailash resident Mahesh is the complete incarnation of Lord Sadashiv, who performs many kinds of desires through his soap form and gives joy to the devotees through his pictures, it is appropriate for a man to keep his feet planted at Shiv Shankar's feet

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