हे नारद द्वापर तथा काली युग में वेदव्यास नमक जो अवतार होता है वह भी भगवान सदा शिव का ही मुख स्वरूप है उसे समय श्री शिवजी व्यास जी के रूप में वेद के विभाग करते तथा योग शास्त्र और वेदांत का प्रचार कर पुराने को बनाते हैं और उन्हें अपने शिष्यों को पढ़ाते हैं उन व्यास जी के 28 प्रकार के रूप होते हैं जिनके नाम एक है श्वेत सूत्र सूत्र कलंक संस्कृत यंग गायत्री वाहिनी भ्रष्ट स्प्रिंग तब आदि बाल गौतम वेद गिरा धेनु का कांड गुहा बाल शिवखंडी जटामाली 18 मार्च दाग लाख की स्वीट तिलक दंडित मुक्तेश्वर सोम सुरक्षा लंकेश तथा शगुन हे नारद शिव जी के नंदेश्वर अवतार की कथा इस प्रकार है जब शील्ड मुनि ने बहुत तपस्या की उसे समय शिव जी ने उन्हें दर्शन देकर वरदान मांगने के लिए कहा उसे समय शील्ड ने उनसे यह कहा है प्रभु आप मुझे एक ऐसा पुत्र दिए जो कभी भी मृत्यु को प्राप्त ना हो तब शिव जी ने एवं वास्तु कहकर नदी का अवतार धारण किया और सिलेट की मनोकामना पूर्ण की इसके पश्चात सब मुझ में तथा विष्णु में विवाद हुआ उसे समय भगवान सदा शिव वैभव का अवतार लेकर हमारे शमी पाए और उन्होंने हमारा झगड़ा समाप्त कराया उसे समय भगवान सदाशिव को अपना पुत्र विचार कर जब मैं उनकी निंदा करने लगा तब भैरव रूप धारी शिव जी ने अत्यंत क्रुद्ध होकर मेरे पांचवें मस्ताक्स को काट डाला इसके उपरांत उन्होंने वीरभद्र नमक अवतार लेकर तीनों लोक में इस बात को प्रसिद्ध किया कि जो लोग शिव जी के विरोध ही हैं उसने स्वप्न में भी आनंद प्राप्त नहीं हो सकता वीरभद्र रूप धारी भगवान सदा शिव ने अपनी एक सहस्त्र भुज द्वारा दोस्तों को दंड दिया तथा संसार में अनेक प्रकार की लीला की तत्पश्चात जब विष्णु जी ने नरसिंह अवतार लेकर हिरण कश्यप को मारा और अत्यंत क्रुद्ध तथा जाकर किया उसे समय देवताओं की प्रार्थना कर शिवजी ने शर्मा नामक अवतार लेकर नरसिंह के मत को नष्ट किया इस समय से शिवजी का नाम हर भी हुआ क्योंकि उन्होंने नरसिंह जी के मत को हर लिया था दादू प्राण जब देव सुर संग्राम हुआ और सब देवता विजई होकर बहुत अहंकार में भर गए उसे समय शिवजी ने यश रूप धारण करके उन्होंने अभियान को नष्ट किया अर्थात उन्होंने यश बनाकर देवताओं से एक तिनके को तोड़ देने को कहा परंतु देवता उसे तोड़ने में असमर्थ हुए हे नारद इसके अंदर शिव जी ने महाकाल के 10 रूप धारण किया तथा 10 देवियों के स्वामी के रूप में प्रसिद्ध हुए तदुपरांत हुए 11 रुद्रो का रूप रखकर कश्यप के घर में उत्पन्न हुआ वहां उन्होंने द्वितीय के पुत्र को मार कर देवताओं का सुख पहुंचा इसके बाद उन्होंने अत्रि का पुत्र होकर अपने ब्रह्मा तेज को प्रसिद्ध किया और संसार में मर्यादा की स्थापना की फिर उन्होंने विश्व न के तब से प्रसन्न होकर उसके यहां जन्म लिया तथा कल बिहार पर विजय प्राप्त की इसके बाद भगवान सदा शिव ने पहलाद मुनि का अवतार लेकर विष्णु जी के संघार को नष्ट किया तथा और दूध बनाकर इंद्र के अभियान को तोड़ दिया रामचंद्र जी के मनोरथ को पूर्ण करने के लिए उन्होंने हनुमान के रूप में अवतार लेकर अनेक लीलाएं की तथा बहुत से राक्षसों को मार कर रामचंद्र जी के संपूर्ण कार्य किया और लक्ष्मण के प्राणों की रक्षा की
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Hey Narad, in Dwapar and Kali Yuga, the incarnation named Ved Vyas is also the face of Lord Sada Shiv. At that time, Shri Shiv Ji in the form of Vyas Ji divides the Vedas and makes them old by propagating Yoga Shastra and Vedanta and teaches them to his disciples. Vyas Ji has 28 types of forms, whose names are one, White Sutra Sutra, Stigma Sanskrit Young Gayatri Vahini, Corrupt Spring, Then Adi Bal Gautam Veda, Gira, Dhenu's Kand, Cave, Bal Shivkhandi, Jatamalai, 18 March, Stains, Lakh's Sweet Tilak, Punished Mukteshwar, Som Suraksha, Lankesh and Omen. Hey Narad, the story of Nandeshwar incarnation of Shiv Ji is as follows, when Shield Muni did a lot of penance, then Shiv Ji gave him darshan and asked him to ask for a boon. At that time Shield said to him, Lord, please give me such a son who never dies. Then Shiv Ji took the incarnation of river saying Vastu and fulfilled the wish of Silat. After this, there was a dispute between me and Vishnu. At that time Lord Sada Shiv took the incarnation of Vaibhav and settled our quarrel. At that time when I started criticizing Lord Sadashiv considering him as my son, then Shiv Ji in the form of Bhairav got very angry and cut off my fifth head. After this, he took the form of Veerbhadra and made it famous in all the three worlds that those who oppose Shiv Ji cannot get happiness even in their dreams. Lord Sada Shiv in the form of Veerbhadra punished his friends with his thousand arms and performed many types of leela in the world. After that when Vishnu Ji took the form of Narsingh and killed Hiran Kashyap and became very angry and did that, at that time by praying to the gods, Shiv Ji took the form of Sharma and destroyed the opinion of Narsingh. From this time Shiv Ji was also known as Har because he defeated the opinion of Narsingh Ji. Dadu Pran, when the war between gods and demons took place and all the gods became very proud after being victorious, at that time Shiv Ji took the form of Yash and destroyed the campaign, i.e. by creating Yash, he asked the gods to break a straw, but the gods were unable to break it. Oh Narada, during this Shiv Ji took 10 forms of Mahakaal and He became famous as the lord of 10 goddesses. Thereafter he took the form of 11 Rudras and was born in Kashyap's house. There he killed Dwitiya's son and brought happiness to the gods. After this, he became the son of Atri and made his Brahma power famous and established dignity in the world. Then he was pleased with Vishwanath and took birth at his place and conquered Kalbihar. After this, Lord Sada Shiv took the incarnation of Pahlada Muni and destroyed the body of Vishnu and broke the campaign of Indra by making milk. To fulfill Ramchandra's wish, he took incarnation as Hanuman and performed many leelas and completed Ramchandra's work by killing many demons and saved Laxman's life.
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