श्री शिव महापुराण कथा सातवां खंड अध्याय 1



नारद जी ने कहा हे पिता अब आप शिवजी के सभी अवतारों एवं उनके कर्मों का वर्णन कीजिए जो लोग शिव जी के भक्त हैं हुए निश्चय ही धन्य है यह सुनकर ब्रह्मा जी बोले ही पुत्र भगवान सदाशिव परम ब्रह्म निर्गुण सदगुण सच्चिदानंद स्वरूप सर्व व्यापक अलंकार निरंजन ज्योति सा वर्ग तथा ऊपर ढेर रहित है ऋषि मुनि उनका स्मरण करके प्रणाम करते हैं तथा उसकी अपनी बुद्धि के अनुसार शब्द देवता उसकी स्तुति करते रहते हैं जिन शिवजी के ऐसे अद्भुत कार्य हैं उनका वर्णन किसी भी प्रकार नहीं किया जा सकता वेद का कथन है कि वह ऐसे निर्गुण रूप शिव जी ने सद्गुण रूप धारण कर संसार में अनेक चरित्र किया तथा परम शक्ति ने भी उसके साथ अवतार लेकर भक्तों के मनोरथ को पूर्ण किया हे नारद जी समय विष्णु जी ने मुझे प्रकट किया उसे समय शिवजी ने उन्हें वरदान देने के लिए आए थे तब विष्णु जी ने उनसे यह मांगा था कि आप भी कृपा करके अवतार ग्रहण करें यह सुनकर शिवजी ने एवं वास्तु कहते हुए विष्णु जी से यह बात कही थी कि समय अनुसार हम भी अवतार लेंगे उसे समय हमारा नाम रूद्र होगा हमारा वह रुद्र अवतार देवताओं के संपूर्ण दुखो को दूर करेगा तथा तुम्हें हर समय सहायता प्रदान किया करेगा इतना कह कर शिवजी अंतर ध्यान हो गए तदुपरांत रुद्र की उत्पत्ति मेरे द्वारा हुए हुए रूद्र नामधारी सदाशिव कैलाश पर्वत पर निवास करते हैं तथा अनेक प्रकार की लीला करके अपने भक्तों को आनंद पहुंचते हैं वह अपनी शक्ति के साथ बिहार किया करते हैं तथा संपूर्ण उपाधारियों से रहित है उन्हें संतों की रक्षा की है तथा सती के साथ विवाह करके देवताओं के कष्ट को दूर किया है उन्होंने हिमाचल के घर जाकर गिरजा के साथ बिहार किया तथा अनेक प्रकार की लीला की उन्होंने इस कांड का अवतार लेकर तारकासुर का संघार किया तथा सड़क त्रिपुर एवं जलधार को नष्ट करके अपने भक्तों को सुख पहुंचा उन्होंने आने को प्रकार कैसे चरित्र किया जिससे देवताओं का अहंकार नष्ट हो गया मैं विष्णु जी देवता सिद्ध मुनि आदि संसार के सभी प्राणी उन्हें के सेवक हैं रूद्र शिव के प्रथम अवतार हैं उनका स्वरूप नाम चरित्र आदि सब भगवान सदाशिव जैसे ही है अब मैं तुमसे शिव जी के अन्य अवतारों का वर्णन करता हूं हे नारद सर्वप्रथम तुम शिव जी के पांच अवतारों का वर्णन सुनो जी समय मेरी यह इच्छा हुई कि मैं सृष्टि उत्पन्न करूं उसे समय मैं सर्वप्रथम भगवान सदाशिव का ध्यान किया तब शिवजी ने प्रसन्न होकर मुझे अपना दर्शन दिए उसे समय उनके शरीर का रंग सफेद तथा लालिमा लिए हुए था उसके साथ चार शिष्य भी थे मैंने उन्हें प्रणाम करने के उपरांत अनेक प्रकार की उसकी स्तुति कि उसे समय शिवजी ने कृपा करके मुझे शक्ति प्रदान की और यह आज्ञा दी कि तुम सृष्टि को उत्पन्न करो दादू प्रांत उन्होंने बामदेव का अवतार लेकर अपने चार शिष्यों के साथ मुझे दर्शन दिए उसे समय उसके शरीर का रंग लाल तथा पक्ष के पीठ मार से तत्पुरुष अवतार के रूप में अपने चार शिष्यों सहित प्रकट हुए और उन्होंने मुझे श्रेष्ठ ज्ञान का उपदेश किया इसके बाद उन्होंने श्याम रूप अवतार लेकर मुझे दर्शन दिए अंत में उनका ईशान नमक अवतार हुआ उसे समय उसके शरीर का वर्ण श्वेत तथा और वह अपनी चार शिष्यों को लिए थे उन्होंने मुझे ब्रह्म ज्ञान तथा पवित्र योग की शिक्षा दी शिवजी के लिए पांचवा अवतार अत्यंत पवित्र है और मेरी इच्छा अनुसार इनका प्रगट हुआ था यह नारद इसके पश्चात शिव जी ने आठ एवर्टरा और लिए उनके नाम सर्वत्र भाव रूद्र उपक्रम भी पशुपति श्याम तथा महादेव है वह जल पृथ्वी अग्नि आकाश यज्ञ वायु चंद्रमा तथा सूर्य में निवास करते हैं यह आठवां अवतार भी भगवान सदा शिव के ही रूप हैं हे नारद द्वारा कप में प्रवेश पत्र नमक साथ में मंदिर रात में जो मनु का अवतार होता है वह भी शिवजी का ही स्वरुप है शिवजी का अर्धना सुरेश्वर रूप में यह अवतार मेरी रक्षा के निर्माता होता है

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Narad ji said, O father, now you describe all the incarnations of Shiv ji and his deeds. Those who are devotees of Shiv ji are certainly blessed. On hearing this, Brahma ji said, son, Lord Sadashiv Param Brahma is the form of Nirgun Sadgun Sachchidananda, omnipresent, ornaments like Niranjan Jyoti and without heaps of dust. Rishis and saints remember him and bow down to him and according to their own wisdom, the gods keep praising him. Shiv ji who has such wonderful deeds cannot be described in any way. The Vedas say that such Nirgun form Shiv ji, taking the form of Sadgun, performed many deeds in the world and Param Shakti also took incarnation with him and fulfilled the wishes of the devotees. O Narad ji, at that time Vishnu ji revealed me. At that time Shiv ji had come to give him a boon. Then Vishnu ji had asked him that you also take incarnation by being kind. On hearing this, Shiv ji, while saying Vastu, had said to Vishnu ji that according to the time, I will also take incarnation. At that time, my name will be Rudra. That Rudra incarnation of ours will remove all the sorrows of the gods and will give you blessings. He will help at all times. Saying this, Shivji went into deep meditation. Thereafter, Rudra was born from me and Sadashiv, who had the name Rudra, resides on Mount Kailash and brings joy to his devotees by performing many types of leelas. He roams with his power and is devoid of all titles. He has protected the saints and has removed the pain of the gods by marrying Sati. He went to Himachal and roamed with Girja and performed many types of leelas. He took the incarnation of this chapter and killed Tarkasur and brought joy to his devotees by destroying Sadak, Tripur and Jaldhar. He acted in such a way that the ego of the gods was destroyed. I am Vishnu ji, the deity, Siddha Muni etc., all the creatures of the world are his servants. Rudra is the first incarnation of Shiv. His form, name, character etc. are all like Lord Sadashiv. Now I will describe to you the other incarnations of Shiv Ji. O Narada, first of all, listen to the description of the five incarnations of Shiv Ji. When I desired to create the universe, I first meditated on Lord Sadashiv. Then Shiv Ji Pleased, he gave me his darshan. At that time, the color of his body was white and reddish. He had four disciples with him. After bowing to him, I praised him in many ways. At that time, Shivji graciously gave me power and ordered me to create the universe. Dadu Prant, he took the form of Bamdev and gave me darshan with his four disciples. At that time, his body was red in color and he appeared in the form of Tatpurush avatar with his four disciples. He taught me the best knowledge. After this, he took the form of Shyam and gave me darshan. Finally, he took the form of Ishan. At that time, his body was white in color and he had his four disciples. He taught me the knowledge of Brahma and holy yoga. The fifth avatar of Shivji is very holy and he appeared as per my wish. This Narada. After this, Shivji took eight more avatars. His names are Sarvatra Bhaav Rudra Upakarma, Pashupati Shyam and Mahadev. He resides in water, earth, fire, sky, yagya, air, moon and sun. This eighth avatar is also the form of Lord Sada Shiv. He was born in a cup by Narada. The entry card along with the temple, the incarnation of Manu that occurs at night is also a form of Lord Shiva. This incarnation of Lord Shiva in the form of Ardhan Sureshwar is the creator of my protection.

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