श्री शिव महापुराण कथा छव खंड अध्याय 21 का भाग दो



हे नारद गिरिजा को देने के लिए या सब सामग्री अपने साथ लेकर हिमाचल अत्यंत आकार में भरकर मंदराचल पर्वत पर जा पहुंचे जब वहां उन्होंने याद सुना की शिवजी काशी में चले गए तब हुए काशी में भी जा पहुंचे वहां जाकर उन्होंने यह देखा कि विश्वनाथ जी का मंदिर आसान क्या रतन से अलंकृत है उसमें सोने के कलश तथा मानो की पटकाई विद्यमान है उसे भगवान को देखकर हिमाचल का संपूर्ण अहंकार नष्ट हो गया तब उन्होंने मन ही मन यह विचार किया कि इसमें बढ़कर मूल्यवान तथा सुंदर भवन तीनों लोक में अन्यत्र नहीं है हे नारद जी समय हिमाचल उसे मंदिर के बारे में यह विचार कर रहे थे कि यह किसका है इस समय उन्होंने एक मनुष्य समीप आता हुआ दिखाई दिया शिव जी ने उसे व्यक्ति को विदेशों से आने वाले अतिथियों के सिवा भर सोपता आज तो हिमाचल ने उसे अपने पास बुलाकर पूछा है भाई यह नगर किसका है और इस मंदिर में कौन रहता है तब उसे शिव भक्त ने यह बताया उत्तर दिया है यात्री इस स्थान का नाम शिवपुरी है और यह मंदिर भगवान विश्वनाथ जी का है भगवान विश्वनाथ जी को मंदराचल पर्वत से यहां आए हुए अभी केवल 6 दिन ही बीते हैं उन दिनों में हुए गिरजा के साथ श्रेष्ठ ओवर में रहा है संभवत तुम कोई परदेसी यात्री हो जो उन्हें नहीं जानते तीनों लोक के संपूर्ण प्राणी उन्हें शिवजी के सेवक हैं इतना कहा कर उसने हिमाचल को काशीपुरी का संपूर्ण वृतांत का सुनाया जब हिमाचल ने शिवजी को इस प्रकार धाम से परिपूर्ण देखा तो उन्हें अत्यंत प्रसन्नता हुई उसे समय उन्होंने उसे मनुष्य को तो धन आदि देकर विदा कर दिया और सोया मापने मन में या विचार किया कि आप मुझे यह उचित है कि जो धर्म में अपने साथ लेकर आया हूं उसके द्वारा यहां एक शिवालय का निर्माण कर दो मेरे पास इतनी सामग्री नहीं है जो शिवजी की भेंट के योग्य हो सके आप तक मैं भूला हुआ था और मंदिर को दरिद्र समझता थ आज मुझे या मालूम होगा कि शिवजी तो कुबेर के भी कुबेर है हे नारद हिमाचल ने यह नीचे करके अपनी सेवकों को बुलाया और उन्हें यह आज्ञा दी कि तुम रात भर में ही एक शिवालय का निर्माण करो जो लोग खांसी में सी वाला बनाते हैं उन्हें लोगों में आनंद प्राप्त होती है और उनके सभी अपराधों को भगवान सदा शिव क्षमा कर देते हैं हिमाचल की आज्ञा सुनकर सेवकों में रात भर में ही एक सुंदर शिवालय का निर्माण कर दिया तब हिमाचल ने चंद्रकांत मणि द्वारा एक शिवलिंग का निर्माण कराया और उसे मंदिर में उसकी स्थापना की दादू प्रांत उन्होंने अपने नाम और गोत्र आदि से अंकित एक पति का इस वाले में लगा दी इतना करने के उपरांत हुए पांच का नाथ में स्नान करके कामराज शिवजी की पूजा में प्रभावित हुए उसके पास जो कुछ धन से चला गया था उसे उन्होंने इधर-उधर फेंक दिया परंतु वे सब रात ना भी स्वयं ही एक खतरा होकर एक शिवलिंग के रूप में परिवर्तित हो गया इस प्रकार एक लिंग तो हिमाचल से स्थापित किया और दूसरा और रात में द्वारा अपने आप बन गया वे दोनों शिवलिंग पांच नाथ हद तथा हर व्रत के तट पर प्रतिष्ठित हुआ है नारद हिमाचल द्वारा स्थापित कामराज शिवलिंग का महत्व संसार में विराज विख्यात है वस्तु उसे मंदिर का निर्माण करने के पश्चात हिमाचल शिवजी से बिना मिले ही अपने घर को लौट गए इतना कथा को जो कोई सुनता और पड़ता है उसे दोनों लोक में आनंद की प्राप्ति होती है

TRANSLATE IN ENGLISH 

Hey Narad, Himachal filled his huge size with all these materials to give to Girija and reached Mandarachal mountain. There he heard that Shiv Ji has gone to Kashi. He reached Kashi as well. There he saw that the temple of Vishwanath Ji is decorated with gems and there are golden urns and a garland of flowers in it. Himachal's entire ego was destroyed after seeing the Lord. He thought in his mind that there is no more valuable and beautiful building than this in the three worlds. Hey Narad Ji, when Himachal was thinking about whose temple it was, at that time he saw a man coming near him. Shiv Ji told that person that apart from the guests coming from foreign countries, Himachal called him near him and asked, brother whose city is this and who lives in this temple. Then the Shiv devotee told him this. He replied, traveler, the name of this place is Shivpuri and this temple belongs to Lord Vishwanath Ji. Only 6 days had passed since Lord Vishwanath Ji came here from Mandarachal mountain. I have been in the best over with the church in the best over. Perhaps you are a foreign traveler who does not know him. All the creatures of the three worlds are the servants of Lord Shiva. Having said this, he narrated the entire story of Kashipuri to Himachal. When Himachal saw Lord Shiva so full of Dham, he was very happy. He gave him money etc. and sent him away and thought in his mind that it is appropriate that you build a Shiva temple here with the material that I have brought with me in religion. I do not have so much material that can be worthy of offering to Lord Shiva. I had forgotten you and considered the temple to be poor. Today I will come to know that Lord Shiva is the Kuber of Kuber. O Narada. Himachal said this and called his servants and ordered them to build a Shiva temple overnight. Those who build Shiva temples in the best way get happiness among the people and Lord Shiva always forgives all their crimes. On listening to Himachal's order, the servants built a beautiful Shiva temple overnight. Then Himachal made a Shiv temple with Chandrakant Mani. A Shivling was made and installed in the temple of Dadu province. He put a pen inscribed on it with his name and gotra etc. After doing this, Kamaraj took a bath in Panch Ka Nath and got impressed in the worship of Lord Shiva. Whatever money he had, he threw it here and there but all of it got transformed into a Shivling by itself in the night. In this way, one ling was established by Himachal and the other one was formed by itself in the night. Both those Shivlings have been established on the banks of Panch Nath Had and Har Vrat. The importance of Kamaraj Shivling established by Narad Himachal is well known in the world. After building the temple, Himachal returned to his home without meeting Lord Shiva. Whoever listens or reads this story gets happiness in both the worlds.


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