श्री शिव महापुराण कथा छव खंड अध्याय 21



ब्रह्मा जी ने कहा हे नारद काशी में स्थित होने के उपरांत शिवजी ने विश्वकर्मा को बुलाकर यह क्या दी कि तुम पहले की ही भांति शिवनगरी की रचना शीघ्र करो तुम स्थान स्थान पर उत्तम मत शिवालय बनाओ और हमारे गानों के रहने के लिए अनेक मंदिरों की रचना करो गिर जाता था उनके पुत्रों के लिए अत्यंत सुंदर भावनाओं का निर्माण करो तथा देवताओं के लिए भी योग्य स्थान की रचनाकरवंत में हमारे भवन को इस प्रकार सजाओ की तीनों लोक में उसके समान सुंदर अन्य कोई भवन ना हो हे नारद शिवजी किया आज्ञा पाकर विश्वकर्मा ने अनेक सुंदर भावनाओं का निर्माण किया जिस देवता का जहां निवास था वहां उसने नूतन मंदिरों की रचना की उसने गणपति का मंदिर इतना सुंदर बनाया कि उसकी चित्रकार तथा पांचवी कार्य को देखकर आचार्य होता था श्री विश्वनाथ जी का मंदिर हसन के रतन पर मारियो बहुमूल्य वस्तुओं तथा अनेक प्रकार की प्रवृत्ति सनिलाओं से सुशोभित था तीनों लोक की संपूर्ण निधि उसमें विराजमान थी उसे भवन की प्रशंसा करने में मैं भी असमर्थ हूं इतनी कथा सुनकर नारद जी ने कहा है पिता आप भी सो नाथ जी के मंदिर का विस्तार पूर्वक वर्णन करने की कृपा करें ब्रह्मा जी बोले ही पुत्र विश्वनाथ जी के मंदिर की दीवारें स्वर्ग से सुहाना से बनी हुई थी और उनके अनेक प्रकार से बहुमूल्य रत्न जड़े हुए थे यदि स्पर्श किया जाता तो विचित्र प्रकार का मधुर शब्द होती था प्रज्वलित अग्नि तथा सूर्य के समान चमकदार थी उसे मंदिर में 12 शास्त्र खंबे थे और 81 सहस्त्र भू धार थे उसके सम्मुख 14 भुज की सुंदरता लज्जित होती थी खंभाओं में पद्मराज तथा मार्केट माणिक की आने को पुतलियां बनी हुई थी जिसके हाथ में रात ना कि दीपक दिन-रात जल करते थे उत्तम श्वेत पत्थरों पर रतन द्वारा बेल पत्तियों की चित्रकारी की गई थी समुद्र में जितने भी प्रकार के रचना थे उन सबको गणों ने एकत्र किया था और नागौर के कोष में जितनी उत्तम प्रवीण थी वह सब भी वहां से लाकर उसे मंदिर में लगाई गई थी शिवजी के परम भक्त रावण ने अपने यहां से बहुत सा सोना उसे मंदिर को बनाने के लिए भेजा था इसी प्रकार अन्य जितने भी शिव भक्त आदित्य आदि थे उन सब ने भी रत्न आदि भेजे थे हे नारद हमने जो मंदिर का यह वर्णन किया है उसे केवल सांसारिक रीति के अनुसार ही समझना चाहिए अन्यथा शिवजी को किसी भी वस्तु की क्या आवश्यकता पड़ी है हुए यदि चाहे तो रतन के अनेक वृक्ष उत्पन्न कर सकते हैं आज तो भगवान विश्वनाथ का वह मंदिर अनुपम तथा परम मनोहर था यह कथा सुनकर नारद जी ने आश्चर्य युक्त हो ब्राह्मण जी से पूछा है पिता आप मुझे यह कथा विस्तार पूर्वक कहें ब्रह्मा जी बोले हैं नारद जिन दिनों शिवजी काशी में अपने मंदिर का निर्माण कर रहे थे उन्हीं दिनो की बात है कि गिरजा की माता मैं अपने घर में बैठी हुई सखियों से या बातें कर रही थी की बहुत समय से मुझे गिरजा का कोई समाचार नहीं मिला है इसलिए मैं अत्यंत व्याकुल रहती हूं मैं यहां नीचे पूर्वक जानती हूं कि गिरजा को जो सुख यहां मिलता था वह वहां हरगिज नहीं होगा क्योंकि गिरजा के पति के पास भस्म और बूढ़े बैल क्या अतिरिक्त और कुछ नहीं है जब हिमाचल ने महीना किया बात सुनी तो उन्होंने भी चिंतित होकर यह कहा है प्रिया तुम्हारा कथन सत्य है जब से गिरजा गई है तब से मैं भी उसकी याद में अत्यंत दुखी रहता हूं हम लोगों को उचित है कि अब हम गिरजा को देखने के लिए चले महीना को अपने पति की यह बात सुनकर अत्यंत प्रसन्नता हुई दादू प्रांत उन्हें देने के लिए अपने साथ दो करोड़ तुल्य मोती साउथ तुला हीरे 11 लाख ओला पन्ना 16 शास्त्र तुला इंद्र नीलमणि 9 करोड़ तुला परम राज तथा विद्म आदि रन साथ लिए इसके अतिरिक्त उत्तम वस्त्र आभूषण आदि थे

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Brahma Ji said, O Narad. After settling in Kashi, Shiv Ji called Vishwakarma and told him that you should construct Shivnagari as before. You should construct beautiful Shivalayas at various places and construct many temples for our gods to live. Build very beautiful buildings for their sons and also construct a suitable place for the gods. Decorate our building in such a way that there is no other building as beautiful as it in the three worlds. O Narad. After getting the order of Shiv Ji, Vishwakarma constructed many beautiful buildings. He constructed new temples at the places where the gods lived. He built the temple of Ganpati so beautiful that the painter and the Acharya used to be impressed after seeing the work. The temple of Shri Vishwanath Ji was decorated with precious things and many types of ornaments on the top of the diamonds. The entire treasure of the three worlds was present in it. Even I am unable to praise that building. After listening to this story, Narad Ji said, father, you should also please describe the temple of Lord Vishwanath in detail. Brahma Ji said, son of Vishwanath Ji. The walls of the temple were made of heavenly beauty and were studded with many precious gems. If touched, a strange sweet sound would be produced. It was shining like a blazing fire and the sun. There were 12 pillars in the temple and 81 Sahastra Bhudharas. In front of it, the beauty of 14 arms would be put to shame. The pillars had dolls of Padmaraj and market ruby. The lamp in whose hands was lit day and night, not night. The paintings of vine leaves were done by Ratan on the best white stones. All the types of creations that were in the sea were collected by the Ganas and all the best proficiency that was in the treasury of Nagaur was also brought from there and put in the temple. Ravana, the great devotee of Lord Shiva, had sent a lot of gold from his place to build the temple. Similarly, all the other devotees of Lord Shiva like Aditya etc. had also sent gems etc. O Narada, the description of the temple that we have given should be understood only according to the worldly customs, otherwise why does Lord Shiva need any thing? If he wants, he can do that. Many trees can be produced from Ratan. Today that temple of Lord Vishwanath was unique and extremely beautiful. Hearing this story, Narad ji was surprised and asked the Brahmin. Father, you tell me this story in detail. Brahma ji said, Narad, it was during the days when Shiva was building his temple in Kashi that Girja's mother was sitting in her house and talking to her friends that I have not received any news of Girja for a long time, that is why I am very restless. I know very well that the happiness that Girja used to get here, she will never get there because Girja's husband has nothing except ashes and old bulls. When Himachal heard this, he also got worried and said, Priya, what you are saying is true. Ever since Girja has gone, I too remain very sad remembering her. It is appropriate for us to now go to see Girja. Girja was very happy to hear this from her husband. Dadu province brought with her pearls, diamonds, 11 lakhs of emeralds, worth two crore rupees, to give them. 16 Shastra Tula, Indra Sapphire, 9 crore Tula, Param Raj and Vidma etc.'s runes along with it, apart from this, there were good clothes, jewelery etc.

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