श्री शिव महापुराण कथा पंचम खंड अध्याय 57



इतनी कथा सुनकर ब्रह्मा जी ने कहा हे नारद एक उत्पल एवं विट्ठल नामक दो महान बलवान देते उत्पन्न हुए हुए दोनों वन में पहुंचकर बहुत वर्षों तक उग्र तपस्या करते रहे उन्होंने मेरा ध्यान धरते हुए एक गांव से खड़े होकर बहुत समय व्यतीत किया उसे समय नापसंद होकर वरदान देने के लिए बोला होने अपने बल द्वारा तीनों लोग को जीत लिया और देवताओं को बहुत दुख दिया उन्होंने देवताओं के अधिकार ज्ञान एवं सब प्रकार की वस्तुओं को छीन लिया और निर्भय होकर तीनों लोक पर अपना शासन करने लगे जब उनके अत्याचार बहुत अधिक बढ़ गए तब सब देवता और मनी अत्यंत दुखी होकर मेरी शरण में आए और मुझे यह कहने वालों की है ब्राह्मण आप इन दोस्तों के हाथों से मार हमारी रक्षा कारण अन्यथा हम लोग कहीं के भी नहीं रहेंगे या सुनकर मैं उन्हें उत्तर दिया है देवताओं हुए दोनों देखकर हे ब्राह्मण आप इन दोस्तों के हाथ से हमारी रक्षा करें अन्यथा हम कहीं के भी नहीं होंगे यह सुनकर मैं उत्तर दिया है देवताओं हुए दोनों देते मेरे वरदान के कारण अजय हैं केवल शिव जी के द्वारा ही मृत्यु को प्राप्त हो सकते हैं वास्तु तुम लोग शिव जी का ध्यान धरो हे नारद यह सुनकर सब देवता आदि अपने स्थान को चले गए का दुकान एक दिन तुम के पास जा पहुंचे तुमने उनकी बहुत प्रशंसा की और क्या कहा कि गिरजा परम सुंदरी है जब तक हुए तुम्हें प्राप्त नहीं हो जाती तब तक तुम्हारा राजपूत आदि सब कुछ निष्फल है इतना कहकर तुम तो वहां से चले आए और उनके क्यों नए विचार किया कि किसी न किसी प्रकार हम गिरी या को अवश्य छीन लेंगे बहुत समय तक हुए यही विचार करते रहे कि हम किस उपाय का आसरा लेने की जिससे गिरजा हमारे हाथ आ जाए उसकी इस मनु अभिलाष को शिवजी जी जान गए तब उन्होंने एक विचित्र लीला इसी राज्य दी जिसके अनुसार उन दोनों देशों की मृत्यु हो गई वह लीला या थी कि एक दिन शिवाजी आपने गानों के साथ कोई खेल खेलने लगे और गिरजा भी अपनी सखियों के साथ गेम का खेल खेलने लगी उसे समय भाग्य वास हुए दोनों दैत्य भी गिरजा को प्राप्त करने की इच्छा से आकाश मार्ग द्वारा उसे स्थान पर जा पहुंचे वहां जाकर उन्होंने अपना स्वरूप शिव गणों जैसा बनाया और गिरजा के समीप पहुंचकर यह इच्छा प्रकट की कि उन्हें वहां से भाग ले जाए किनारा तू उनकी इच्छा को जानकर शिवजी ने संकेत द्वारा गिरजा से यह कहा कि यह दोनों हमारे घर नहीं अपितु देते हैं यह किसी पुरुष द्वारा नहीं मारे जाएंगे यातायात में इनका संघट का डालो शिव जी के उसके संकेत को समझ कर गिर जाने उन दोनों को करने का निश्चय किया और अपने गेंद को उन दोनों के ऊपर फेंक दिया गेम खिलाने ही हुए दोनों डिटेया जाकर खाते हुए पृथ्वी पर गिर पड़े और मृत्यु को प्राप्त हो गए उसे समय विष्णु जी ने मां तथा अन्य शब्द होता है उसे स्थान पर पहुंच गए जहां चटेश्वर वोटिंग है वहां हमने शिवजी तथा गिरिजा जी की स्तुति करते हुए कहा है संसार के माता-पिता आप अपने भक्तों के निर्माता अनेक प्रकार की लीला किया करते हैं इस समय भी यह गड़ेश्वर कैसे नमक अपना लिंग प्रकट हुआ है आप सदैव इसी प्रकार हम लोगों पर कृपा बनाए रहे तथा दोस्तों का संघार करते रहे इस प्रकार प्रार्थना कर सब देवता अपने स्थान को लौट गए और शिवजी का वह लिंग उसी स्थान पर स्थिर रहा है नारद उसे लिंग शिवलिंग की सेवा करने से दोनों लोग में अपार आनंद मिलता है वह लिंग कुंडेश्वर के नाम से भी प्रसिद्ध है शिवजी की इस चरित्र को कोई नहीं सुनता अथवा सुनता है उसे दोनों लोक में अत्यंत आनंद प्राप्त होता है जो लोग शिव जी के चरणों का ध्यान धरती हुई उसकी लीलाओं को शक्तिपूर्वक सुनते हैं उनकी तीनों व्याधि नष्ट हो जाती है और वह अपरदन की प्राप्ति होती है आईटीआई श्री शिव पुराण शिव वल्लभ से ब्रह्मा नरेट संभाग में निश्चित भाषण पंच खंड समाप्त

TRANSLATE IN ENGLISH 

Hearing this story, Brahma Ji said, O Narada, two great powerful gods named Utpal and Vitthal were born. Both of them reached the forest and kept on performing severe penance for many years. They spent a lot of time standing in a village, meditating on me. They asked for a boon. They conquered all the three worlds by their strength and gave a lot of pain to the gods. They snatched the rights, knowledge and all kinds of things of the gods and fearlessly started ruling over the three worlds. When their atrocities increased a lot, then all the gods and goddesses became very sad and came to me for refuge and told me that Brahmin, you kill us from the hands of these friends, otherwise we will be nowhere. Hearing this, I replied to them that both of them are invincible due to my boon. They can get death only by Lord Shiva. You people should meditate on Lord Shiva. O Narada, hearing this, all the gods etc. went to their places. One day, they reached you, you praised them a lot and what did you say that Girja is extremely beautiful, until you do not get her, all your Rajput activities etc. are futile. After saying this, you left from there and then thought that somehow or the other we will certainly snatch Girija. For a long time you kept thinking that what method should we adopt so that we can get Girja in our hands. Shivji came to know about this desire of his, then he performed a strange leela according to which both those demons died. That leela was that one day Shivaji started playing a game with his friends and Girja also started playing the game with her friends. At that time, both the demons, with the desire to get Girja, reached that place through the sky route. After reaching there, they changed their form to that of Shiv's followers and reaching near Girja, expressed their desire that he should take them away from there. Knowing their desire, Shivji said to Girja through a signal that these two are not in our house but in our country, they will not be killed by any man. Throw their weapons in the air. Understanding Shivji's signal, they fell down and killed them. He decided to do both of them and threw his ball on them. While playing the game, both of them got hit by a ball and fell on the earth and died. At that time Vishnu ji reached the place where Chateshwar Voting is, where there is Maa and other words. There he praised Shiv ji and Girija ji and said, “Mother and father of the world, you perform many types of leela for your devotees. Even at this time, how has this Gadeshwar Linga appeared? You should always keep your blessings on us in this way and keep on killing your friends.” After praying in this way, all the gods returned to their place and that Linga of Shiv ji remained stable at the same place. Narad said that by serving that Linga Shivling, both the worlds get immense joy. That Linga is also famous by the name of Kundeshwar. No one listens to this character of Shiv ji or he gets immense joy in both the worlds. Those who meditate on the feet of Shiv ji and listen to his Leelas with full power, all their three diseases are destroyed and they get freedom. ITI Shri Shiv Puran from Shiv Vallabh Fixed speech in Brahma Narrate section Panch Khand ends

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