श्री शिव महापुराण कथा पंचम खंड अध्याय 56 का भाग 2



हे नारद जब उसने वहां शिवजी को उपस्थित देखा तो यह इच्छा प्रकट की कि मैं शिव जी को भी निकल जाऊंगा यह विचार कर वह जैसी ही शिव जी की ओर बढ़ाओ वैसे ही शिवजी ने अत्यंत क्रोध में भरकर उसे पकड़ लिया और अपनी मुस्तिका द्वारा उसे मार डाला इस प्रकार शिव भक्त के प्राण बच गए दुर्भिक्ष के मारे जाने पर जोर घर शब्द हुआ था उसे सुनकर शिव भक्त की आंखें फूल गई तब उसने शिवजी किया अत्यंत प्रशंसा की उसे समय सभी काशीवासी उसे स्थान पर आकर एकत्र हो गया था दूरबीन से को मरा हुआ देख कर अत्यंत प्रसन्न हो शिवजी की स्तुति करने लगे उन्हें शिवजी को प्रणाम करने के उपरांत कहा हे प्रभु आप अभी स्वरूप में यही स्थिति रहे तथा अभ्यास नाम से प्रसिद्ध होकर अपनी काशी नगरी की रक्षा करें हम सब लोग आपके दर्शनों से अत्यंत प्रसन्न हुए हैं हे नारद उसकी प्रार्थना को सुनकर शिवजी ने एवं वास्तु का करता तो प्रांत बोल ही भक्तों जो भक्त निश्चय पूर्वक एवं विश्वास पूर्वक मेरे स्वरूप का ध्यान करेगा मैं उसे संपूर्ण दुखो को दूर किया करूंगा तो भक्ति मेरे चरित्र का स्मरण करके युद्ध करने के लिए जाएंगे उसे अवश्य ही विजय प्राप्त होगी शिव जी के मुख से वचन सुनकर सब लोगों को वाक्यांश प्रसन्नता हुई उसे समय में तथा विष्णु जी भी सब देवताओं सहित वहां जा पहुंचे और शिव जी की स्तुति करते हुए कहने लग हे प्रभु और भाषा दूर भाषा को मार कर अपने तीनों लोक की कथा हमारी रक्षा की है हम सब आपका सेवक हैं और आप मेरे स्वामी हैं यह सुनकर शिवजी ने प्रसन्न हो हम लोगों को हम भाषण दिया साधु प्रांत हुए अपने इस लीग में जो कांग्रेस पर नाम से प्रसिद्ध है प्रवेश करके अंतर ध्यान हो गए तब मैं विष्णु जी तथा सभी देवता अपने अपने लोगों को लौट आए और काशी वासी भी अपने अपने घर चले गए

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O Narada, when he saw Lord Shiv present there, he expressed his wish that he would kill Lord Shiv as well. Thinking this, as soon as he moved towards Lord Shiv, Lord Shiv in great anger caught him and killed him with his fist. Thus, the life of Lord Shiv was saved. There was a loud sound when Lord Shiv was killed. Hearing this, the eyes of the devotee swelled up. Then he praised Lord Shiv a lot. At that time all the residents of Kashi had gathered at that place. Seeing the dead man through the telescope, they were very happy and started praising Lord Shiv. After paying obeisance to Lord Shiv, he said, O Lord, you should remain in this form now and become famous by the name of Abhyas and protect your city of Kashi. All of us are very happy to see you. O Narada, listening to his prayer, Lord Shiv said, “The devotee who with determination and faith meditates on my form, I will remove all his sorrows. Then remembering my character, he will go to fight the war. He will definitely get victory. Hearing the words from the mouth of Lord Shiv, all the people were thrilled. The person was pleased at that time and Vishnu ji also reached there along with all the gods and started praising Shiv ji and said, O Lord, by killing all the languages, you have protected us from the three worlds. We all are your servants and you are my master. On hearing this, Shiv ji became pleased and gave a speech to us. We became saints and after entering this league which is famous by the name of Congress, we went into internal meditation. Then Vishnu ji and all the gods returned to their respective worlds and the people of Kashi also went to their homes.

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