श्री शिव महापुराण कथा पंचम खंड अध्याय 55 का भाग 2



हे नारद काशी वीडियो किया प्रार्थना सुनकर शिवजी अपने हाथ में त्रिशूल लेकर काशी जी में जब पहुंचे वहां गजसुर के सम्मुख पहुंचकर उन्होंने ऐसा भयानक नाथ किया कि उसे सुन कर देता हूं की सेवा में आकर मच गया उसे समय गयासुर ने शिवजी को त्रिशूल लेकर अपनी और आते हुए देखा उसे समय वह भी गर्जन करता हुआ उसके सम्मुख युद्ध करने के लिए चला आया देखते-देखते शिवजी तथा गजसुर परस्पर घोर युद्ध करने लगे उसे समय शिव जी ने गजसुर के सभी छात्रों को काटकर उसकी सेवा को विचलित कर दिए या दशा देखकर गजसुर अपने हाथ में नंगी तलवार लेकर शिवजी को करने के लिए दौड़ा और उन्हें ललकारता हुआ इस प्रकार कहने लगा है शिव आज मैं तुम्हें जीवित नहीं छोडूंगा इतना कह कर उसने सभी गानों को अपने शास्त्रों की चोट से व्याकुल कर दिया यह देख शिवजी ने अपने मन मे निश्चित किया कि आप बिना विलंब किए मुझे इसका वध कर डालना चाहिए अस्तु शिव जी ने अपना त्रिशूल गजसुर के ऊपर छोड़ दिया उसे त्रिशूल को स्पर्श पाते ही गज और पवित्र हो गया तथा उसका डटेया भाव नष्ट हो गया उसे समय वह अत्यंत प्रसन्न हो शिवजी की स्तुति करते हुए इस प्रकार कहने लगा धन्य भाग्य है जो मुझे आपके द्वारा मृत्यु प्राप्त हुई है तब मेरी यह प्रार्थना है कि आप मुझे परम पद प्रदान करने की कृपा करें संसार में जो जन्म लेता है उसे एक न एक दिन अवश्य मारना पड़ता है परंतु मुझे जो मृत्यु मिली है उसे वेद भी अत्यंत दुर्लभ कहते हैं हे नारद गजसुर के ऐसे भक्ति पूर्ण वचन सुनकर शिव जी ने प्रसन्न होकर कहा 1000 और तेरे अत्यंत भक्ति पूर्ण वचन सुनकर हम अत्यंत प्रसन्न हुए हैं आप मेरी जो इच्छा हो वह वर मांग ले शिवजी के श्रीमुख से निकले हुए इन वचनों को सुनकर गजल बोला है प्रभु यदि आप मुझ पर इतने प्रसन्न है तो मुझे यह सौभाग्य प्रदान कीजिए कि आप मेरे शरीर के चमड़े को हर समय धारण किए रहे और आपके त्रिशूल से मेरे शरीर का प्रतिदिन स्पर्श हुआ करें इसके साथ ही आप कृत वर्ष के नाम से प्रसिद्ध हो जो मनुष्य आपके इस नाम को मुख पर लगे हुए अपना संपूर्ण मनोरथ प्राप्त करेगा हे नारद गजसुर किया प्रार्थना सुनकर शिवजी ने एवं वास्तु कहा फिर इस प्रकार बोले 1000 और तेरा यह शरीर हमारा लिंग होकर प्रीतेश्वर के नाम से प्रसिद्ध होगा तथा जो इस लिंक का दर्शन करेगा उसे संपूर्ण पाप नष्ट हो जाएगा खांसी में हमारे जितने भी लिंग है उसमें से सर्वश्रेष्ठ पद प्राप्त होगा यह कहकर शिवजी ने गयासुर को परम पद प्रदान किया हम सब देवता भी उसे स्थान पर जा पहुंचे और क्रीटेश्वर का पूजा करके आनंद मग्न हुए हे नाथ शिवजी का यह चरित्र आवागमन में से जोड़ने वाला है जो व्यक्ति चरित्र को सुनता है सुनता है उसके संपूर्ण पाप नष्ट हो जाते हैं

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O Narada, after listening to the prayer of Kashi, Shivji reached Kashi with a trident in his hand. There, on reaching in front of Gajsur, he did such a terrible thing that Gajsur got furious after hearing it. At that time, Gajsur saw Shivji coming towards him with a trident. At that time, he also came roaring to fight with him. In no time, Shivji and Gajsur started fighting a fierce battle with each other. At that time, Shivji killed all the teeth of Gajsur and disturbed his strength. Seeing his condition, Gajsur ran to fight Shivji with a naked sword in his hand and started challenging him saying, "Shiv, today I will not leave you alive." Saying this, he troubled all the soldiers with the blows of his weapons. Seeing this, Shivji decided in his mind that he should kill him without any delay. So, Shivji released his trident on Gajsur. As soon as the trident touched Gajsur, he became more pure and his fear vanished. At that time, he became very happy and started praising Shivji. While doing this, he started saying that it is a blessed fortune that I have received death from you, then my prayer is that you please give me the ultimate position, whoever is born in this world has to die one day or the other, but the death that I have received is also called very rare by the Vedas, O Narada. Hearing such devotional words of Gajsur, Shiv ji was pleased and said 1000 and we are very pleased to hear your extremely devotional words, you ask for any boon I wish, hearing these words coming out of the mouth of Shivji, Gajsur said, Lord, if you are so pleased with me, then give me this good fortune that you keep wearing the skin of my body all the time and my body should be touched by your trident every day, along with this you become famous by the name of Krit Varsh, the person who keeps this name on his mouth will get all his wishes, O Narada, hearing Gajsur's prayer, Shiv ji said and Vastu, then he said 1000 and this body of yours will become our Linga and will be famous by the name of Preeteshwar and whoever will see this link, all his sins will be destroyed. Saying that you will get the best position among all the Lingas, Lord Shiva gave the ultimate position to Gayasur. All of us gods also reached that place and after worshipping Kritaeshwar, felt blissful. O Lord, this character of Lord Shiva is the one that connects us from the cycle of birth and death. Whoever listens to this character, all his sins are destroyed.

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