हे नारद शिवजी के इस चरित्र को देखकर श्री कृष्ण जी को बहुत दुख हुआ वस्तु वीरभद्र ने प्रद्युमन के ऊपर इस शक्ति का प्रयोग किया जिसके द्वारा तारक का संघार किया था उसे शक्ति को आते देख प्रदुमन अत्यंत व्याकुल हो युद्ध क्षेत्र से भाग खड़े हुए इस प्रकार बलभद्र आदि संपूर्ण यदुवंशी योद्धा भी क्षेत्र को छोड़कर भाग गए यह देखकर गरुड़ ने अपने पंखों को फैलाकर उपग्रह मचाना आरंभ किया तब नंदीश्वर ने अपने सिंघम द्वारा घरों के पंख का क्षेत्र दिया और उन्हें उलझा लिया उसे समय गरुड़ बड़ी कठिनता से नदी के पंजे से निकलकर भाग खड़े हुए तब श्री कृष्ण चंद्र जी अपनी सेवा की यह दुर्दशा देखी तो उन्हें अत्यंत चिंता हुआ उसे समय उन्होंने अपने सारथी दारू से यह कहा है दारू देखो यह कैसा आचार्य है कि शिवजी ने वाराणसी खाया श्राप दिया था कि श्री कृष्ण चंद्र जी तेरी तेरी भुज को कटेंगे और इस शराब के कारण हम वाराणसी की भुजाएं काटने के लिए खड़े हुए हैं आप शिवजी अपने वचन को मिथ्या सिद्ध कर रहे हैं शिव जी के ऐसे व्यवहार से हमारे प्रतिष्ठा काम हो रही है आज तो हम शिवजी से मिलकर कुछ बातें करना चाहते हैं तुम हमारा रात उसके समीप ले चलो जिससे हम बाणासुर के शराब की बात स्मरण कर सकें और यह कह सके कि आप बाणासुर की सहायता करना बंद कर दें हे नारद श्री कृष्ण की यह आज्ञा सुनकर दारु को रात को शिवजी के पास ले पहुंचा तब श्री कृष्ण जी ने शिवजी के चरणों को प्रणाम कर हाथ जोड़ स्तुति करते हुए यह कहा हे प्रभु आप ही की आज्ञा अनुसार मैं बाणासुर की भुजाएं काटने के लिए आया था क्योंकि आपने उसे यह शराब दिया था कि तेरी भुज को श्री कृष्णा चंद्राकर डालेंगे हे नाथ आप बाणासुर की रक्षा करना छोड़ दीजिए जिससे युद्ध में मुझे विजय प्राप्त हो और आप आपका वचन सत्य सिद्ध हो श्री कृष्ण के मुख से यह वचन सुनकर शिवजी बोले हे कृष्ण तुम सबसे बड़े सबसे श्रेष्ठ तथा हमारे भक्त हो तुम साक्षात विष्णु के अवतार हो इस समय तुम जो कुछ कह रहे हो वह भी पूर्ण सत्य है परंतु तुम यह भी स्मरण रखो कि हम भक्ति के अधीन रहते हैं जब हम या रक्षक बनाकर उपस्थित हैं तब हमारे देखते हुए बाणासुर की भुजाएं नहीं कट सकती इसलिए हम तुम्हें एक उपाय बताते हैं उसके करने से तुम्हें अवश्य ही सफलता प्राप्त होगी वह उपाय यह है कि तुम हमारे ऊपर जीवन शास्त्र का प्रयोग करें उसे स्थान के लगने पर हम निद्रा की वशीभूत हो सो जाएंगे उसे समय तुम अपनी मानो अभिलाषा पूर्ण करना और संसार में यश प्राप्त करना शिव जी की यह आज्ञा सुनकर श्री कृष्ण जी अपने स्थान पर लौट आए तब प्रांत उन्होंने जिन अस्त्र का प्रयोग करके शिवजी को सुला दिया
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O Narada, seeing this character of Shiva, Shri Krishna felt very sad. Veerbhadra used this power on Pradyumna, by which he had killed Taraka. Seeing this power coming, Pradyumna became very restless and ran away from the battlefield. Similarly, all the Yaduvanshi warriors like Balbhadra also left the battlefield and ran away. Seeing this, Garuda spread his wings and started creating havoc. Then Nandishwar spread the wings of his Singham and entangled them. At that time, Garuda came out of the claws of the river with great difficulty and ran away. At that time, when Shri Krishna Chandra saw this plight of his charioteer, he became very worried. At that time, he said to his charioteer Daru, Daru, see what kind of an Acharya is this, that Shiva had cursed Varanasi that Shri Krishna Chandra would cut off your arms and because of this alcohol, we are standing to cut off Varanasi's arms. Shivaji, you are proving your word false. Our reputation is getting diminished by such behavior of Shivaji. Today, we want to meet Shivaji and talk to him. Take us near him so that we can remember Banasura's wine and tell him to stop helping Banasura. On hearing this command of Shri Krishna, Narada took the wine to Shiva at night. Then Shri Krishna bowed to Shiva's feet and prayed with folded hands and said, O Lord, according to your command, I had come to cut Banasura's arms because you had given him this wine that Shri Krishna will make your arms like a moon. O Lord, stop protecting Banasura so that I can win the war and your words come true. On hearing these words from Shri Krishna's mouth, Shiva said, O Krishna, you are the greatest, the best and our devotee. You are the incarnation of Vishnu himself. Whatever you are saying at this time is also completely true, but you should also remember that we are under devotion. When we are present as your protectors, then Banasura's arms cannot be cut in our presence. So we will tell you a remedy. By doing it, you will definitely get success. That remedy is that you should use the science of life on us. When that place is reached we will fall asleep under the influence of sleep. You consider that time as yours, fulfill your desire and achieve fame in the world. On hearing this order of Lord Shiva, Shri Krishna returned to his place and then he used the weapon to put Lord Shiva to sleep.
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