श्री शिव महापुराण कथा पंचम खंड अध्याय 51



ब्रह्मा जी बोले हे नारद आप हम तुमको वनसुर की पुत्री उषा का चरित्र सुनते हैं जो उसे युद्ध का मूल है जिससे वनसुर की भुजाएं कट गई थी यह सब लीला भी तुम शिवजी की ही जानू बाणासुर की कन्या उषा जिसे गिरिजा ने यह वार दिया था कि तुम रात्रि में पति मिलेगा एक दिन वैशाख शुक्ल दसवीं को जब शिवजी की पूजा कर अर्ध रात्रि को सोने लगी तब गिरजा की इच्छा से श्री कृष्ण जी के पोते अनुरोध ने वहां पहुंचकर उसके साथ भोग किया उसे समय उषा कुछ संकुचित परंतु अनुरोध गिरिजा की कृपा से तुरंत कृत्य कार्य हो अपने घर चला आया तब उसका मृतक के समान शिथिल होकर बहुत रोई फिर उसने अपनी सखी से सब हल्का सुनाया जिसे अनुरोध होना प्राप्त करने की इच्छा करने के अपने साथियों से उसकी बड़ी प्रशंसा की तथा गिरजा का ध्यान किया उसे समय ब्रह्मांड की पुत्री चित्रलेखा ने जो उषा की सखी थी उषा को बहुत समझाया तथा उसे पहले जन्म का सब हल्का सुनाया उसने सुनकर गुस्सा अत्यंत प्रसन्न हुए तब उसने अत्यंत विनय के साथ चित्रलेखा से कहा हे सखी जी पति को गिरिजा ने मुझे रात्रि के समय दिखाया है उसे तुम किसी प्रकार छुपा कर मेरे पास ले आओ तथा मुझे भेंट कर दो यह बात तुम्हारे लिए कुछ भी कठिन नहीं है इतना कह कर मुसाफिर बोली तुम सब सखियां इस बात को सत्य समझ लो कि जिस मनुष्य के मिलने से रात्रि के समय मुझको बहुत सुख प्राप्त हुआ है वह मनुष्य यदि फिर ना मिला तो मेरी मृत्यु निश्चित है यह सुनकर चित्रलेखा ने हंसकर कहा है सखी मैं तुम्हारे सब दुख दूर कर दूंगा जिससे तुम्हें परम आनंद प्राप्त होगा यदि वह मनुष्य तीनों भावनाओं में कहीं होगा तो उसे तुरंत ही तुमसे मिला दूंगा यह कहकर चित्रलेखा कपड़े के ऊपर सब प्राणियों के स्वरूप खींचने लगी उसने आदि से अंत तक जितने भी देवता आदि आकाश के निवासी थे वह सब के रूप बनाए परंतु उषा ने उनमें से किसी को नहीं पहचाना तब वह मनुष्य के चित्र बनाकर दिखलाने लगी हे नारद जब मेरा चित्र यदुवंश को चित्रित करने लगी तब उसने क्रमशः वासुदेव राम कृष्ण प्रदुमन तथा अनुरोध के चित्र बनाकर उषा को दिखाएं उषा ने अनुरोध के रूप को देखकर पहचान लिया तथा यह कहा कि यही वह व्यक्ति है जिसने मेरा मन चुराया है तब चित्रलेखा या जान की उषा कृष्ण के पोते अनुरोध पर मोहित है शिवजी का ध्यान कर योग माया के बल से ज्येष्ठ शुक्ल चतुर्दशी को कृष्ण जी के भवन में गई वहां उसने यह देखा कि अनुरोध अपनी पत्नी के साथ मत पैन कर रहे हैं उसकी किशोरावस्था श्याम रंग तथा अत्यंत सुंदर स्वरूप को देखकर चित्रलेखा ने धाम सहयोग को प्रगति कर चारों ओर अंधेरा कर दिया दादू प्रांत वह उसे सैया को जिस पर अमरुद बैठे हुए थे अपने मस्ताक्स पर रखकर योग बल से और चली और उसने उषा के पास लाकर सब शक रख दिया उसे समय उषा ने आश्चर्य चकित होकर अमरुद को देखा टाङू प्रांत अत्यंत गुप्त रूप से भीतर ले जाकर यह इच्छा की की मां इसके साथ भोग विलास करूंगी उसे समय का यह हाल द्वारपाल तथा रक्षों ने जान लिया हुए अत्यंत आश्चर्य करके उषा के आप कर्म तथा चल पर पश्चाताप करने लगे फिर जब उन्होंने उषा के घर जाकर अमरुद को इस प्रकार देखा कि वह भोग विलास में लिप्त है तो उन्होंने तुरंत ही बाणासुर के पास जाए स्तुति करते हुए यह कहा है स्वामी आप तीनों लोक के ऐसे राजा हैं जिनसे ब्रह्मा भी डरते हैं प्रभु इस समय आपकी पुत्री के घर में एक अकेला मनुष्य बैठा है आप स्वयं ही चलकर उसे देख ली तथा जो उचित समझे करें यह सुनकर वनसुर अत्यंत दुखी एवं क्रोधित हुआ उसने वहां जाकर अमरुद को देखा तथा जो उचित समझा कर तुरंत दीवाना और के पास जाए स्तुति करते हुए यह कहा है स्वामी आप तीनों लोक के ऐसे राजा हैं जिसने ब्रह्म भी डरते हैं प्रभु इस समय आपकी पुत्री के घर में एक अकेला मनुष्य बैठा है आप स्वयं ही चल कर उसे देख ली तथा जो उचित समझे करें यह सुनकर वाला शोर अत्यंत दुखी एवं क्रोधित हुआ उसने वहां जाकर अनुरोध को देखा तथा मन में विचार किया कि यह मनुष्य कोई बड़ा वीर युद्ध करने वाला तथा प्राण का डेट है इसने मेरे कल धर्म को नष्ट कर दिया है यह विचार करवाना सुनने अपने वीरों को आज्ञा दी कि इसको तुरंत मार डालो

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Brahma Ji said, O Narada, we are going to tell you the story of Usha, the daughter of Banasura, who is the root of the war, because of whom the arms of Banasura were cut off. You know that all this is the play of Lord Shiva. Usha, the daughter of Banasura, to whom Girija had given the boon that she will get her husband at night. One day on Vaishakh Shukla Dashmi, when she went to sleep at midnight after worshipping Lord Shiva, then by the wish of Girija, Anurodh, the grandson of Shri Krishna, reached there and had sex with her. At that time, Usha was a bit dejected, but by the grace of Girija, Anurodh came to his house immediately. Then she became weak like a dead person and cried a lot. Then she narrated everything to her friend, to whom Anurodh wished to get it. She praised her a lot to her friends and meditated on Girija. At that time, Chitralekha, the daughter of the universe, who was Usha's friend, explained a lot to Usha and narrated everything about her previous birth to her. Hearing this, Usha became very happy. Then she very humbly said to Chitralekha, O friend, Girija has shown me her husband at night. You somehow hide him and bring him to me. Bring it and present it to me. It is not difficult for you. Saying this, the traveler said, "All you friends should consider this to be true that the person who gave me immense pleasure last night, if I do not find that person again, then my death is certain." Hearing this, Chitralekha smiled and said, "Friend, I will remove all your sorrows, which will give you ultimate happiness. If that person is anywhere in the three worlds, then I will introduce him to you immediately." Saying this, Chitralekha started drawing the images of all the creatures on the cloth. She made the images of all the gods, etc., who were residents of the sky, from the beginning to the end, but Usha did not recognize any of them. Then she started drawing the images of humans and showing them. O Narada, when she started drawing my picture of the Yaduvansh, then she drew the pictures of Vasudev, Rama, Krishna, Pradyumna and Anurodh respectively and showed them to Usha. Usha recognized Anurodh by seeing his form and said that this is the person who has stolen my heart. Then Chitralekha, knowing that Usha is fascinated by Anurodh, the grandson of Krishna, meditating on Lord Shiva, with the power of Yoga Maya, on Jyeshtha Shukla Chaturdashi, On 10th May 1989, she went to Krishna's palace and saw that Anuradha was having sex with his wife. Seeing her dark complexion and extremely beautiful form, Chitralekha made the whole place dark and made the whole place dark. She put the Saiya on which Amrud was sitting on her forehead and with the power of yoga she went and brought it to Usha and cleared all her doubts. Usha was surprised to see Amrud. She took him inside secretly and expressed her desire that she would enjoy sex with him. The gatekeeper and the guards came to know about this and were very surprised and started repenting for Usha's deeds and actions. Then when they went to Usha's house and saw Amrud in such a way that he was involved in sex, they immediately went to Banasura and while praising him said, "Swami, you are such a king of the three worlds that even Brahma is afraid of you. Lord, at this time a man is sitting alone in your daughter's house. You yourself should go and see him and do whatever you think is right. On hearing this, Banasura was very sad. And he got angry, he went there and saw the guava and after doing what he thought was appropriate he immediately went to the Diwana and while praising he said, "Swami you are such a king of three worlds that even Brahma fears you, Lord, right now a man is sitting alone in your daughter's house, you yourself go and see him and do what you think is appropriate". Hearing this Diwana became very sad and angry, he went there and saw the guava and thought in his mind that this man is a great brave warrior and a danger to life, he has destroyed my religion; on hearing this he ordered his warriors to kill him immediately.

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