श्री शिव महापुराण कथा पंचम खंड अध्याय 46



ब्रह्मा जी बोले हे नारद शिव जी ने जब इस प्रकार स्तुति सुनी तो उन्हें अंधक पर अत्यंत क्रोध प्रकट करते हुए अपने गानों से कहा कि तुम सब जाकर दैत्यों को नष्ट करो उसे समय समस्त गण शिवजी की आज्ञा प्राप्त कर नंदी के सेनापति में अंधक से युद्ध करने चल दिए युद्ध स्थल में पहुंचते ही गणगौर युद्ध होने लगा गणों ने अनेक व्यक्तियों का नाना प्रकार के शास्त्रों से वध कर डाला नंदी ने झंड मुंड जिस कुंभाल ससुर बकरीद मदन मैड्रिड आदि देशों के अाधियों को मारा जिससे सब व्यक्तियों को बड़ा दुखी पहुंच अंधक यह देखकर अत्यंत सो कूल हो भयभीत हुआ फिर अपने गुरु शुक्र के पास जाकर स्तुति कर कहने लगा है गुरुदेव आपने आने बार डेटियों के दुखों को दूर किया है मैं इस समय आपकी शरण में आया हूं आपकी सेवा के बल पर दैत्य पर्वत के समान युद्ध क्षेत्र में स्थित रहते हैं है ब्रिंग इस समय शीला आदि के पुत्र नंदीगण नया सॉन्ग व्यक्तियों को युद्ध क्षेत्र में मार डाला है ढूंढ ढूंढ आदि अच्छे-अच्छे व्यक्तियों कौन है मार कर पृथ्वी पर लेटा दिया है अब आप जैसा उचित समझे वह उपाय करें आपने जो विद्या प्राप्त की है उसको प्रयोग में लाने का यही समय है आप दैत्यों को जीवित कार्य जिसे संसार में अपने वास की वृद्धि हो हे नारद अंधा कैसे वचन सुनकर ब्रिंग ने हंस कर कहा है अंधड़ सहस्त्र वर्षों तक हमने केवल धन की भूसी का दुआ पीकर जो विद्या प्राप्त की है आप तुम उसकी सिद्धि देखो हम मरे हुए देते क्यों को मृत्यु निंदा से जागते हैं तथा जिस प्रकार सुख धरो को अपनी हार कर देता है उसी प्रकार उसे विद्या द्वारा दैत्यों को जीवन दान देते हैं यह कहकर ब्रिंग में अपना मंत्र पढ़ा जिससे मरे हुए व्यक्तियों तुरंत जीवित हो गए और उसे समय अंधक अपने साथियों को जीवित देखकर अत्यंत प्रसन्न हुआ शिवजी के गणों ने नदी से जब ब्रिंग की इस सिद्ध की बात जाकर कहीं तब नंदी ने तुरंत ही शिव जी के पास पहुंचकर यह विनय की है शिवजी जो देते हमारे हाथों से मारे जाते हैं उनको प्रिंट बार-बार जीवित कर देते हैं इस प्रकार हमारे विजय कैसे होगी यह सुनकर शिवजी का स्वरूप अत्यंत भयंकर हो गया वह क्रोधित होकर नदी से बोले है नंदी ब्राह्मणों में जो अत्यंत नीचे ब्रिंग है उसको तुम शीघ्र ही हमारे पास पकड़ कर ले आओ नांदिया सुनकर निर्भय हो दैत्यों की सेवा में प्रवेश कर दिए उन्होंने देखा की प्रेम की रक्षा अनेक दैत्य कर रहे हैं फिर भी नंदी ने सबको मोहित कर भृंग को पकड़ लिया तथा उसे घसीटते हुए ले चले यद्यपि ब्रिंग ने शास्त्र चला कर नदी से मुक्ति प्राप्त करने का बहुत प्रयत्न किया परंतु नंदी ने अपने शरीर से अग्नि उत्पन्न कर सभी शास्त्रों को जला दिया और शिवजी के पास उन्हें पकड़ कर ले गए फिर उन्होंने प्रेम को शिव जी के सा मुखड़ा करके कहा है महाराज प्रेम आपके सम्मुख खड़ा है अब आप जो उचित समझे वह करें शिवाजी ने उत्तर में कुछ ना कहा तथा ब्रिंग को अपने उधर में डाल दिया और यह देखकर व्यक्तियों को अत्यंत दुखी हुआ तथा उन्हें अपनी विजय की कोई आशा न रही या बंधक ने या हाल सुना तो वह व्यक्तियों को एंडीकारने लगा और बोला आज मैं नदी का वध अवश्य कर डालूंगा ब्रिंग तो योग शास्त्री में निपुण है इसलिए उनके करने का मुझे भाई नहीं है यह कहकर वह पुनः गानों से युद्ध करने लगा तब नंदी ने गानों सहित ऐसा युद्ध किया कि देश की सेवा पल भर में छिनभिन्न होकर भागने लगी

TRANSLATE IN ENGLISH 

Brahma Ji said, O Narada. When Shiv Ji heard this kind of praise, he expressed extreme anger on Andhak and told his Ganas that you all go and destroy the demons. At that time all the Ganas, after getting the permission of Shiv Ji, went to fight with Andhak under the command of Nandi. As soon as they reached the battlefield, the Gangaur war started. Ganas killed many people with various types of weapons. Nandi killed the leaders of countries like Jhand Mund, Kumbhal, Sasur, Bakrid, Madan, Madrid etc., due to which all the people were very sad. Seeing this, Andhak became very sad and scared. Then he went to his Guru Shukra and praised him and said, Gurudev, you have removed the sorrows of the demons. I have come under your shelter at this time. On the strength of your service, the demons remain situated in the battlefield like mountains. At this time, the Nandiganas, the sons of Sheela etc., have killed many people in the battlefield. Who are the good people, they have killed and laid them down on the earth. Now you should do whatever you think is appropriate. This is the time to use the knowledge you have acquired. You will give life to the demons so that your existence in the world increases. O Narada, on hearing this blind man's words, Bring laughed and said, "Andhad, for thousands of years, we have only drunk the blessings of the husk of wealth, you should see its siddhi (power). Why do we wake up the dead from the condemnation of death and the way happiness defeats the demons, in the same way we give life to the demons through this knowledge?" Saying this, Bring read his mantra in Bring, due to which the dead people became alive immediately and Andhak was very happy to see his companions alive. When Shiva's followers went and told the river about this siddhi of Bring, then Nandi immediately reached Shiva and requested that Shivaji brings to life again and again those who are killed by our hands, in this way how will we win? On hearing this, Shiva's form became very fierce, he got angry and said to the river, "Nandi, you catch Bring who is at the lowest among the Brahmins and bring him to us soon. Nandiya, on hearing this, become fearless." They entered the service of the demons. They saw that many demons were protecting Prem. Still Nandi enchanted everyone and caught Bhring and dragged him away. Although Bhring tried very hard to free himself from Nadi by using his weapons, but Nandi produced fire from his body and burnt all the weapons and took him to Shivaji. Then he made Prem look like Shivaji and said, "Maharaj, Prem is standing in front of you, now you do whatever you think is right." Shivaji did not say anything in reply and put Bhring on his side. Seeing this, the people became very sad and they had no hope of victory. When Bhring heard this, he started threatening the people and said, "Today I will definitely kill Nadi. Bring is an expert in Yoga Shastra, so I have no fear of killing him." Saying this, he again started fighting with Bhring. Then Nandi fought with Bhring in such a way that the country's service was torn apart and started running away in a moment.

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