श्री शिव महापुराण कथा पंचम खंड अध्याय 44



ब्रह्मा जी ने कहा हे नारद उसे समय देवताओं की दशा अत्यंत खराब थी वह सब डेटियों के भाई से इधर-उधर भागे फिरते थे तब देवता तथा ब्राह्मण बहुत दुखी होकर श्राप देने लगे तब अंधक का तेज छेद हो गया वास्तु एक दिन सब देवताओं नेत्र होकर कहा कि अब तो अंधक हमको कोई धर्म नहीं करने देता है ना हम विष्णु जी तथा शिवजी की पूजा ही करने पाते हैं सब प्रकार दुख हम लोग को है भला हुआ कि उपाय से मर जा सकता है यह सब सुनकर बृहस्पति ने कहा है देवताओं अंधक शिव जी के अतिरिक्त संसार भर में अध्याय है जब शिवजी ने प्रसन्न होकर उसे व दिया था उसे समय वह भी कहा था कि जब तुम पाप करने लगोगे तब हम ऐसा क्रोध करेंगे जिससे तुम्हारा तेज घर जाएगा शिवजी ने सर्वप्रथम ब्राह्मणों को दुख देने का निषेध किया था सो ही देवताओं का वह समय आ जाता है हम सब चलकर शिवजी की सेवा करें वह हमारे समस्त दुखों को दूर करेंगे हे नारद तब देवताओं ने यह वृत्तांत खाने के लिए तुम्हें शिवजी के पास भेजा तुम वहां से चलकर शिवजी को मदार के वन में देखकर स्तुति करने लगे शिवजी तुम्हारी स्तुति सुनकर अत्यंत प्रसन्न होकर बोले हे नारद तुम हमारे यहां किसी कार्य से आए हो शिवजी की ऐसी इच्छा जानकर तुमने अंधा के अन्याय का सब हाल उसको का सुनाओ उसे सुनकर शिवजी बोले हे नारद तुम मदार के पुष्पों की माला पहन कर अंधा के पास जाकर हमारी प्रशंसा करना तथा ऐसा उपाय करना जिससे वह क्रोधित होकर हमारे पास अवे यह सुनकर तुम बिदा हो वन से मदार के पुष्प तोड़ उसकी माला कंठ में पहन कर अंधा के समीप पहुंचे उसे समय अंधक सहित सभी दैत्यों को तुम्हारे माल को जो अत्यंत सुगंधित थी देखकर बहुत आश्चर्य हुआ तब अंधक बोला हे नारद या पुष्प कहां उत्पन्न होते हैं उसे उद्यान का कौन रक्षक है मां यह पुष्प अपने बाहु बल से प्राप्त करना चाहता हूं तब तुमने यह उत्तर दिया है यह अंधक मंडराचल में वीर गम्य नामक एक वन है जिसमें यह पुष्पा उत्पन्न होते हैं वहां शिवजी के गांड वन की रक्षा करते हैं वह गाना अत्यंत बलवान है शिवजी अपनी पत्नी सहित इस वैन में बिहार करते हैं उनको जीतने वाला सृष्टि में कौन है परंतु उसकी सेवा करने से यह पुष्प प्राप्त हो सकते हैं इसके अतिरिक्त उसे वन में और भी अनेक प्रकार के पुष्प हैं भूतों में इनमें से भी अधिक सुगंध है कई वर्षों से प्रार्थना तथा कुछ वर्षों से चारों प्रकार का अंत प्राप्त होता है वहां किसी को किसी प्रकार का दुख प्राप्त नहीं होता ना किसी को भूख प्यास चिंता तथा खेत प्राप्त होता है उन शिव जी की कृपा से मनुष्य इंद्र पर विजय प्राप्त कर लेता है अंधक ऐसे उपदेश पूर्ण वचन सुनकर कहा कर तुम वहां से विदा हुए तब अंधक ने दैत्यों की सभा बुलाकर मदार के पुष्पों की प्रशंसा करते हुए यह कहा तुम सब लोग तैयार होकर मेरे साथ मदर पुष्प लेने चलो यहां कोई ना रहे यह कहकर अध्यक्ष सी सहित चल दिए तथा शिवजी की महिमा भूल गया

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Brahma Ji said, O Narada, at that time the condition of the gods was very bad, they were all running here and there from the brother of the gods, then the gods and Brahmins became very sad and started cursing, then Andhak's power was pierced, Vastu, one day, being the eye of all the gods, said that now Andhak does not let us do any religion, neither can we worship Vishnu Ji and Shiv Ji, we are suffering in all kinds of ways, it is good that we can die by a remedy, after listening to all this, Brihaspati said that Gods, Andhak is the master of the whole world except Shiv Ji, when Shiv Ji was pleased and blessed him, he also said that when you start committing sins, then we will get so angry that your power will be destroyed, Shiv Ji had first prohibited to give pain to Brahmins, so that time has come for the gods, we all should go and serve Shiv Ji, he will remove all our sorrows, O Narada, then the gods sent you to Shiv Ji to narrate this story, you went from there and seeing Shiv Ji in the forest of Madar, started praising him, Shiv Ji became very happy after listening to your praise. He said, O Narada, you have come here for some work. Knowing such a desire of Shivji, you told him the whole story of the injustice done to the blind. On hearing this, Shivji said, O Narada, wear a garland of madaar flowers and go to the blind and praise us and do such a thing that he gets angry and comes to us. On hearing this, you left and plucked madaar flowers from the forest, wore a garland of them around his neck and reached near the blind. At that time, all the demons including Andhak were very surprised to see your goods which were very fragrant. Then Andhak said, O Narada, where do these flowers grow? Who is the protector of that garden? Mother, I want to get this flower with my arm strength. Then you gave this answer. This Andhak, there is a forest named Veer Gamya in Mandaraachal, in which these flowers grow. Shivji protects the forest there. That cow is very strong. Shivji roams in this forest with his wife. Who is there in the universe who can defeat him? But by serving him, these flowers can be obtained. Apart from this, there are many other types of flowers in that forest, out of which the flowers are more fragrant. For many years, I have been praying and For some years, all the four types of end are attained, there no one gets any kind of sorrow, no one gets hunger, thirst, worry or crops, by the grace of Lord Shiva, man wins over Indra. After listening to such instructive words, Andhak left from there. Then Andhak called a meeting of demons and praising the madar flowers, said that all of you get ready and come with me to pick madar flowers, no one should stay here, saying this he left with the president and forgot the glory of Lord Shiva.

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