ब्रह्मा जी ने कहा हे नारद दूध के मुख से ऐसी बातें सुनकर सॉन्ग अत्यंत क्रोधित हुआ तथा उसने युद्ध करना ही उत्तम समझा फिर वह देवताओं से समाधि ना कर युद्ध की तैयारी में लग गया उसने अपनी सी सजाकर तैयार की और युद्ध के बजे बजने लग दादू प्रांत वहां युद्ध स्थल में जा खड़ा हुआ उधर से शिवजी भी अपनी सुना सहित युद्ध स्थल में हां उपस्थित हुए इस प्रकार देवता एवं दैत्य में युद्ध होने लगा इंद्र पुरुष प्रिया के साथ शुक्र बृहस्पति के साथ तथा मृत्यु पुष्कर के साथ इसी प्रकार दोनों ओर से प्रसिद्ध सेनापति परस्पर युद्ध करने लगे उसे युद्ध में अनेक प्रकार के शास्त्रों का प्रयोग किया गया जिसके आघात से अनेक देवता देते तथा हाथी घोड़े मारे गए इसी प्रकार वह युद्ध बहुत दिनों तक चलता रहा ना किसी की विजय हुई और ना किसी की हर अंत में व्यक्तियों ने देवताओं पर बड़े जोर का आक्रमण किया जिससे भयभीत होकर देवता भाग कर तीतर भीतर हो गए यह देख वीरभद्र तथा नदी आदि शिव जी के गाने यूथ क्षेत्र में आओ उपस्थित हुए वीरभद्र ने अपने त्रिशूल द्वारा सब व्यक्तियों के पूर्व बना दिया उसे समय देते भी युधिष्ठी स्थल छोड़कर भागने लगे सांचौर ने जब अपनी सेवा को इस प्रकार भागते हुए देखा तो उसने अपने भांति हुई सी को साहस बंद तथा स्वयं युद्ध करने चला फिर उसने ऐसी भीषण बाढ़ वर्ष की जिससे शिव जी के सब घर भयभीत होकर भाग गए केवल नदी तथा वीरभद्र जो शिवजी के अंत से उत्पन्न हुए हैं युद्ध स्थल में खड़े रहे तब संपूर्ण ने नदी को भी बढ़ मार कर उन्हें धरती पर गिरा दिया परंतु कुछ समय पश्चात ही नदी पुणे उठकर युद्ध करने लगे फिर संपूर्ण के ऊपर वीरभद्र ने अपनी ट्रीस अल से आक्रमण किया परंतु संपूर्ण ने उसे काट डाला तथा अपने शस्त्र से वीरभद्र पर ऐसा आक्रमण किया जिससे वीरभद्र घायल होकर पृथ्वी पर गिर पड़े थोड़ी देर बाद ही वीरभद्र तुरंत उठ बैठे आदित्य से युद्ध करने लगे फिर भैरव ने सॉन्ग चूर्ण को अपने त्रिशूल से मारा जिससे वह अचित होकर गिर पड़ा उसे समय बड़ा भयानक युद्ध हुआ तभी भैरव को यह आकाशवाणी सुनाई दी की संपूर्ण शिव जी के अतिरिक्त और किसी से नहीं मरेगा इसलिए तुम लोग शिव जी के निकट जाओ और उसे निवेदन करो कि वह संपूर्ण को मार डाले इस आकाशवाणी को सुनकर भैरव तथा अन्य सब गांड शिव जी के पास गए तथा उसे युद्ध का सब पूर्ण वृतांत का सुनाया
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Brahma Ji said, O Narada, on hearing such words from the mouth of the milkmaid, the king became very angry and thought it best to fight. Then he did not meditate with the gods and started preparing for the war. He decorated his army and started playing the war bells. Dadu went and stood at the battlefield. From there, Shivji also arrived at the battlefield with his army. In this way, a war started between the gods and the demons. Indra with Purush Priya, Venus with Brihaspati and death with Pushkar. In this way, the famous commanders from both sides started fighting with each other. In that war, many types of weapons were used, due to the blow of which many gods and elephants and horses were killed. In this way, the war continued for many days. Neither anyone was victorious nor anyone was defeated. In the end, the demons attacked the gods with great force, due to which the gods got scared and ran away. Seeing this, Veerbhadra and Nadi etc. arrived at the battle field of Shivji. Veerbhadra made everyone run away with his trident. Yudhishth also left the place and started running. When Sanchore saw his warrior running away like this, he took advantage of his enemy. Aditya lost courage and went to fight himself. Then he caused such a terrible flood that all the houses of Lord Shiva were scared and ran away. Only Nadi and Veerbhadra, who were born from the end of Lord Shiva, remained standing in the battlefield. Then Sampoorna also attacked Nadi and made him fall on the ground. But after some time Nadi got up and started fighting. Then Veerbhadra attacked Sampoorna with his trident. But Sampoorna cut him and attacked Veerbhadra with his weapon in such a way that Veerbhadra got injured and fell on the ground. After some time Veerbhadra immediately got up and started fighting with Aditya. Then Bhairav hit Song Churna with his trident due to which he fell unconscious. At that time a very terrible battle took place. Then Bhairav heard a heavenly voice that Sampoorna will not be killed by anyone except Lord Shiva. So you all go to Lord Shiva and request him to kill Sampoorna. On hearing this heavenly voice, Bhairav and all the other gods went to Lord Shiva and told him the entire story of the battle.
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