ब्रह्मा जी ने कहा यह नारद सॉन्ग सुनने एक दूध भेजा वह दूध वहां से शिवजी के पास चला शिप्रा नदी के पास जहां शिवजी विराजमान थे पहुंचकर उसने शिवजी को प्रणाम किया और कहा संपूर्ण ने यह पूछा है कि आपकी क्या इच्छा है शिव जी ने उत्तर दिया तुम संग क्यों से हमारी ओर से जाकर कह देन कि तुम मुर्गी के वंशज हो तथा सुदामा तुम्हारा नाम था पिछले जन्म में तुम श्री कृष्ण के मित्र थे परंतु राधा जी के श्राप से इस जन्म में देते हुए हो इसलिए तुमको उचित है कि पूर्व जन्म एवं धर्म का स्मरण कर देवताओं के साथ शत्रुता में रखो तुम योग्यता पूर्वक राज करो तथा देवताओं को हर प्रकार से सुखी पहुंचाओ तुम तथा समस्त देवता कश्यप मुनि द्वारा उत्पन्न किए हुए हो इसलिए तुमने किसी प्रकार का अंतर नहीं है सबसे बड़ा पाप अपने बंधु बंधुओ से शत्रुता रखता है हम किसी की ओर नहीं है परंतु हम सेवा से प्रसन्न रहते हैं और अपने सेवा की सदैव रक्षा करते हैं शिवजी ने इसी प्रकार पहुंच से उपदेश देकर हुए तथा धर्मशास्त्र के नीति आदि का दूध से वर्णन किया हे नारद उसे सुनकर दूध ने उत्तर दिया है शिवजी आपने जो यह कहा कि परस्पर की शत्रु तथा दुबदै होती है यह सत्य है परंतु विष्णु जी ने राजा बलि के साथ चल करके उसका नगर एवं राज्य छीन लिया तथा उनको पटल भेज दिया क्या उन्होंने यह उचित किया था क्या उनको यह भी उचित था जो उन्होंने बलि के पिता को मार डाला फिर जब देवताओं एवं युवतियों ने सागर मंथन किया तब देवताओं को अमृत क्यों मिला मन ही मंसूर को देवी जी ने बिना किसी दोस्त के क्यों मार डाल फिर तारक एक तथा तिरुपुर भी मारे गए इस प्रकार अंधा गज एवं जलधार आदि की मृत्यु हुई क्या देवता बुद्धिहीन थे जो उन्हें यह नहीं मालूम था कि अपने भाइयों के साथ-साथ होता करना पाप है क्या आप इसको जाती द्रव नहीं कहेंगे ही शिव जी आपको उचित है कि देवताओं तथा डिटेया के युद्ध में अपना ईश्वर होकर पक्षपात न करें स्वतंत्रता एवं मित्रता सामान लोगों से होती है आप कैसे ईश्वर तथा स्वामी को यह उचित नहीं है कि आप हमारे साथ युद्ध करें क्या आपको ऐसे कार्य पर लज्जा नहीं आती हे नारद दूध की ऐसी बातें सुनकर शिवजी ने हंसते हुए कहा है दूध हम किसी का पक्ष भाग नहीं करते अब हमारे उपस्थित होने का कारण यह है कि इंद्र आदि देवता हमारे शरण में आए हैं तुम संपूर्ण से यह कहना कि तुम सब देती हो से बड़े हो तथा कृष्ण रूप कृष्ण जी के परम भक्त हो इसलिए तुम भी उसके सम्मान तथा पुरुषोत्तम होगी इसलिए तुम्हें युद्ध करते समय हमलाजीत नहीं है तुमसे अधिक कहना व्यर्थ है तुम देवताओं का राज उन्हें लौटा दो तथा स्वयं पाताल में जाकर राज करो यदि तुम मेरे इन वचनों से और संतुष्ट एवं आप प्रसन्न हो तो युद्ध स्थल में आकर हमारे साथ युद्ध करो है दूध तुम यह सब बातें अपने स्वामी संपूर्ण से कह दे फिर उसी की जो भी इच्छा हो वह करें हम देवताओं का मनोरथ अवश्य पूर्ण करें इसके पश्चात दूध वहां से उठकर चला आया तथा उसने संपूर्ण से सब वृतांत का सुनाया
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Brahma Ji said that after listening to this Narada song he sent a milkman. From there the milkman went to Shiv Ji. On reaching near the river Shipra where Shiv Ji was seated, he bowed to Shiv Ji and said that the saint has asked that what is your wish. Shiv Ji replied that why don't you go with us and tell that you are a descendant of a hen and your name was Sudama. In your previous birth you were a friend of Shri Krishna but due to the curse of Radha Ji you are a friend in this birth. Therefore it is appropriate for you to remember your previous birth and religion and keep yourself in enmity with the gods. You should rule with ability and make the gods happy in every way. You and all the gods have been created by sage Kashyap. Therefore you have not committed any kind of difference. The biggest sin is to keep enmity with your own brothers. We are not towards anyone but we are happy with service and always protect our service. Shiv Ji gave sermons in the same way and explained the principles of religious scriptures etc. to milk. Oh Narada, after listening to it the milkman replied that Shiv Ji, what you said that we are enemies of each other and we have to face enmity. It is true, but Vishnu ji went with King Bali and took away his city and kingdom and sent him to the palace. Was he right to do this? Was it also right for him to kill Bali's father? Then when the gods and the girls churned the ocean, why did the gods get nectar? Why did Devi ji kill Mansoor without any friend? Then Tarak and Tirupur were also killed. In this way, the blind elephant and Jaldhar etc. died. Were the gods foolish that they did not know that it is a sin to fight with their brothers? Will you not call it casteism? Shiv ji, it is right for you to not be biased being your God in the war between the gods and the gods? Freedom and friendship is with equal people. How can you be a God and a master? It is not right that you fight with us? Are you not ashamed of such a thing? Hearing such words of Narad, Shiv ji laughingly said, Milk, we do not take sides with anyone. Now the reason for our presence is that Indra and other gods have come to our shelter. You tell the whole family that you are greater than the gods and Krishna form is the ultimate devotee of Krishna ji. You are his devotee therefore you will also be his respect and Purushottam therefore you should not be defeated during the war, it is useless to say more to you, return the kingdom of the gods to them and go to the underworld and rule there yourself, if you are satisfied and pleased with these words of mine then come to the battlefield and fight with us, Milk, you tell all these things to your master Sampoorna, then whatever he wishes, he should do, we must definitely fulfil the wish of the gods, after this Milk got up from there and came away and narrated the entire incident to Sampoorna.
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