श्री शिव महापुराण कथा पंचम खंड अध्याय 31



ब्रह्मा जी बोले हे नारद शिवजी पुष्पदंत द्वारा संरक्षण के ऐसे हो कठोर वचन सुनकर क्रोधित हुए तथा अपने गानों को आज्ञा दी कि तुम सब तैयार हो जाओ फिर वह वीरभद्र नंदीगण ब्रिंग क्षेत्रपाल भैरव तथा मुनि भद्र आदि को पुकार पुकार कर बोले कि तुम सब लोग शास्त्र आदि लेकर चलो शिवजी क की ऐसी आज्ञा सुनकर सब लोग प्रसन्न हो बजे बजने लग तथा सी सहित बाहर निकल आए तब शिवजी ने यह कहा कि समस्त सी तथा सेनापति हमारे साथ चले परंतु गणपति अपनी सुना सहित यहां रह जाए इतना कह कर शिवजी शास्त्र आदि लेकर बल पर चढ़कर चल दिए तथा कैलाश पर्वत के बाहर पहुंच कर ठहर गए बड़े-बड़े सेनापति गांड वीरभद्र नदी महाकाल बढ़ सुभद्रा के विकृत पिंगलाज मदीभद्र विरुपाक्ष बिलास क्ष वास्कल गतिबुद्ध सृष्टि डेट कालजर दुकान विद्याम बलभद्र कपिल कोटा अंबर ताम्र नारायण विकरण पिछला बितवल स्वतंत्र अभिलाषी ऑटो भैरव 11 रुद्र और क्षेत्रपाल आदि गानों के स्वामी तथा राजा भी शिव जी की सेवा के साथ हुई है नाथ इतनी विशाल सेवा के स्वामी वीरभद्र हुए वीरभद्र की रक्षा के लिए भाभी सहस्त्र भुज धारण किए विमान पर चढ़कर आई उसके वस्त्र लाल थे तथा वह मुंडो की माला पहनी थी उनके हाथ में खप्पर था तथा अनेक प्रकार के शस्त्र थे उसके पीछे देवता आदि की सी थी जिसे इंद्र वरुण कुबेर पवन सूर्य चंद्रमा आदि नवग्रह वास उकर्म अश्वनी कुमार बृहस्पति धाम ऑटो वासु आदि समस्त देवता थे यह सभी शिवजी की सेवा के साथ हुए शिवजी ने सबको अलग-अलग बैठाया तथा कृपा दृष्टि से उसकी सब की ओर देखा जिससे उनका बड़ी शक्ति प्राप्त हुई तदुपरांत शिवजी विंध्य भाग नदी के तट पर एक बरगद के वृक्ष के नीचे विराजमान हुए

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Brahma Ji said, O Narada. Shiva became angry on hearing such harsh words of protection from Pushpadant and ordered his soldiers to get ready. Then he called Veerbhadra, Nandigana, Bring, Kshetrapal, Bhairav ​​and Muni Bhadra etc. and said that all of you should take the scriptures etc. and come. On hearing such an order from Shiva, everyone was happy. The instruments started playing and they came out with the instruments. Then Shiva said that all the soldiers and commanders should come with us, but Ganpati should stay here with his army. Saying this, Shiva rode on the instrument taking the scriptures etc. and stopped after reaching outside the Kailash mountain. Big commanders, Gan Veerbhadra, River Mahakal, Badh, Subhadra's Vikrant, Pinglaj, Madibhadra, Virupaksha, Bilas, Ksha Vaskal, Gatibudh, Srishti, Date, Kaljar, Shop, Vidyam, Balabhadra, Kapil, Kota, Amber, Copper, Narayan, Vikaran, Previous, Bitval, Independent, Abhilashi, Auto, Bhairav, 11 Rudra and Kshetrapal etc., the masters and kings of the soldiers have also joined Shiva's service. Nath, the master of such a huge service, Veerbhadra became Bhabhi for the protection of Veerbhadra. She came riding on a plane wearing a thousand arms. Her clothes were red and she wore a garland of heads. She had a skull in her hand and many kinds of weapons. Behind her were the images of gods etc. like Indra, Varun, Kuber, Pawan, Sun, Moon, etc. Navgraha Vas, Ukarma, Ashwani Kumar, Brihaspati Dham, Auto, Vasu, etc. All of them were in the service of Lord Shiva. Lord Shiva made them all sit separately and looked at them with a kind gaze due to which he gained immense power. Thereafter, Lord Shiva sat under a banyan tree on the banks of the Vindhya Bhag river.

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