ब्रह्मा जी बोले हे नारद शिव जी ने संपूर्ण के करने का उपाय सोच कर अपने भक्त पुष्प धातु को बुलाया तथा यह कहा है पुष्प दत्त तुम गंधर्व के राजा हो इसलिए संपूर्ण के पास जाकर यह कहो कि तुमने देवताओं का राज छीन कर ठीक नहीं किया है तुम माया के कारण अभिमानी एवं मंहकारी हो गए हो अभी कुछ नहीं बिगड़ा है आज तो तुमको यही उचित है कि देवताओं का राज उनको लौटा दो तथा व्यर्थ का कोई झगड़ा ना करो यदि तुम अपनी मृत्यु नहीं चाहते हो तो पाताल में चले जाओ और वहां का राज करो अन्यथा हम तुम्हें तुरंत यह मार डालेंगे पुष्प पदार्थ या सुनकर सूंघूर्ण के पास गया उसे समय वह एक ऊंची अटारी पर बैठा हुआ था तथा 3 करोड़ दैत्य उसकी सेवा कर रहे थे ऐसी सेवा देखकर पुष्पराज आश्चर्य चकित हुआ अंत में संपूर्ण के पास बैठ गया इस समय संपूर्ण ने उसे यह पूछा तुम किसके दूध हो तथा इस प्रकार निडर क्यों बैठे हो तुम्हारे कर्म सेवकों के ऐसे दिखाई नहीं देते आज तो तुम जिस काम के लिए आए हो उसे तू तुरंत कहो या सुनकर पुष्प डांटना शब्द वृतांत जो शिवजी ने उसे कहा था संपूर्ण को का सुनाया तथा अपनी ओर से या भी कहा कि यह तो तुम देवताओं का राज लौटा दो अन्यथा युद्ध के लिए तैयार हो जाओ ही नारा दिया सुनकर सॉन्ग सुनने कहा हे दुख हम शिव जी के भाई के कारण देवताओं को राज नहीं देंगे हम यह भली प्रकार जानते हैं कि पृथ्वी यह राज्य दैत्य तथा वीरों के लिए है हम युद्ध करेंगे हमें तो यह आचार्य है कि शिवजी ऐसे नियर निरक्षार्थ माता होकर भी देवताओं की रक्षा करते हैं हम प्रातः काल कैलाश पर्वत आएंगे तब शिवजी जो उचित समझे वह कहेंगे या सुनकर पुष्पदंत ने मुस्कुरा कर कहा है सैमसन शिवजी परम श्रेष्ठ है तुम इतना अहंकार मत करो इस युद्ध करके तुम मृत्यु को प्राप्त होंगे पहले तुम उनके गानों से ही लड़ कर देख लो उनका सामना करना तो बहुत ही कठिन है परंतु पुष्प पदार्थ ऐसे वचन कहकर चुप हो गया तब शंकर सुनने ने कहा मैं शिवजी से लड़े बिना दुखी रहूंगा या संपूर्ण सृष्टि कल से उत्पन्न होती है तथा कल से ही नष्ट हो जाती है वह पुष्प पदार्थ तुम यह सारा वृत्तांत जैसे कि मैं तुमसे कहा है शिवजी से कह देन यह सुनकर पुष्पदंत वहां से उठकर शिवजी के पास आए तथा उन्हें सारा हाल का सुनाया
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Brahma Ji said O Narad, Shiv Ji after thinking of a way to do it called his devotee Pushp Dhatu and said this Pushp Datta, you are the king of Gandharva, therefore go to Sampoorna and tell him that you have not done the right thing by snatching the kingdom of the Gods, you have become arrogant and pompous due to Maya, nothing has gone wrong yet, today it is appropriate for you to return the kingdom of the Gods to them and do not get into any unnecessary quarrel, if you do not want to die then go to the netherworld and rule there, otherwise we will kill you immediately, on hearing this Pushp went to Sundern, at that time he was sitting on a high attic and 3 crore demons were serving him, seeing such service Pushpraj was surprised and sat down near Sampoorna, at this time Sampoorna asked him whose servant are you and why are you sitting fearlessly like this, your deeds are not visible to the servants, today you should immediately tell him the work for which you have come, on hearing this Pushp scolded him, narrated the story which Shiv Ji had told him to Sampoorna and also said from his side that you have returned the kingdom of the Gods Give me the slogan otherwise get ready for the war. Hearing this, the song said, "Oh sorrow, we will not give the kingdom to the gods because of Shiva's brother. We know very well that this kingdom of earth is for demons and heroes. We will fight. We have this knowledge that Shiva protects the gods even though he is a mother for such a defenseless person. We will come to Kailash mountain in the morning. Then Shiva will say whatever he deems appropriate." Hearing this, Pushpadant smiled and said, "Samson, Shiva is the greatest. Don't be so arrogant. By fighting this war, you will die. First, try fighting with his songs. It is very difficult to face them. But Pushpadant became silent after saying such words. Then Shankar said, "I will remain sad without fighting with Shiva." The entire universe is created from tomorrow and gets destroyed from tomorrow. That Pushpadant, you tell this entire story to Shiva as I have told you. Hearing this, Pushpadant got up from there and came to Shiva and told him the entire situation.
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