ब्रह्मा जी ने कहा हे नारद शिवजी अत्यंत प्रसन्न होकर बोले ही देवताओं तुम निर्भय रहो तुम्हारा सब प्रकार कल्याण होगा संक्रमण ने अपने पहले जन्म में कृष्ण जी की पूजा की थी परंतु श्राप राधा जी से पाया था इस प्रकार शिवजी आदि से अंत तक सब वृतांत का ही रही थी कि इस समय श्री कृष्ण जी राधिका जी सहित वहां जा पहुंचे और स्तुति करने के पश्चात बोले है शिवजी आपकी माया में पास करता था स्वयं को भूलकर हमने ऐसे शराब पे अब आप हमें क्षमा करें यह सुनकर शिवजी ने कहा है कृष्ण जी हमारी ऐसी ही इच्छा थी तुम्हारा अहंकार समाप्त करने के लिए ही हमने यह चरित्र किया था तब तुम अपने घर जाओ तथा आनंद पूर्वक रहो जब तुम दोनों कीड़ा क्लब में मनुष्य का शरीर धारण कर अवतरित होंगे तब तुम्हारा श्राप नष्ट हो जाएगा तुम्हारा मित्र सुदामा दानव होकर इस समय संपूर्ण कहलाता है उसे देवताओं को बहुत दुखी किया है हम उसी का भी दुख दूर करेंगे कृष्ण जी से यह कहकर शिवा जीने देवताओं की ओर देखा तथा कहा है देवताओं तुम कैलाश पर्वत पर जाकर रुद्र से जो की अवतार है सब वृतांत कहे हुए तुम्हारे सब दुख दूर करेंगे वह केवल देवताओं के लिए ही अलग रूप धारण किए हैं हमारा वह शगुन रूप उपस्थित रहता है जो हमें तथा रूद्र में भेद समझता है वह कष्ट पता है हे नारद या सुनकर हम सब अत्यंत प्रसन्न हुए जब राधा जी तथा कृष्ण जी गोप सहित वहां से चले गए तब मैं भी इंदिरा आदि देवताओं सहित कैलाश पर्वत पर गया और रुद्र को प्रणाम करने के पक्ष या प्रार्थना की है गिरजापति हम सब आपकी शरण में आए हैं आप हमारे दुखों को दूर कीजिए रूद्र ने उत्तर दिया है देवताओं तुम अपना कार्य सिद्ध समझो तथा अपने-अपने घर लौट जाओ हम संक्चुन को सभी दैत्य सहित मार कर तुम्हारे मनोरथ को पूरा करेंगे शिवजी की ऐसी अमृत में वाणी सुनकर हम सब उन्हें प्रणाम करके अपने-अपने घर लौट आए
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Brahma Ji said, O Narad, Shiva Ji was very pleased and said, Gods, you should be fearless, you will be blessed in every way. Sankramana had worshipped Krishna Ji in his first birth, but he had received a curse from Radha Ji. In this way, Shiva Ji was narrating the whole story from beginning to end. At this time, Shri Krishna Ji reached there along with Radha Ji and after praising him said, Shiva Ji, I used to spend my time in your illusion, forgetting myself, I was drinking alcohol like this, now please forgive me. Hearing this, Shiva Ji said, Krishna Ji, it was our wish only, we had done this act to end your ego, then you go to your home and live happily. When both of you will incarnate in the Keeda Club in the form of humans, then your curse will be destroyed. Your friend Sudama, being a demon, is called Sampoorna at this time. He has made the gods very sad. We will remove his sorrow too. After saying this to Krishna Ji, Shiva Ji looked towards the gods and said, Gods, you should go to Kailash Mountain and narrate all the stories to Rudra, who is an incarnation, and remove all your sorrows. He has taken a different form only for the gods. That auspicious form of ours is present. Do you know the trouble that one who differentiates between us and Rudra knows. O Narada, hearing this we all were very happy. When Radha Ji and Krishna Ji left from there along with Gop, then I too went to Mount Kailash along with Indira and other deities and prayed to Rudra to pay my obeisance, Girijapati, we all have come under your shelter. Please remove our sorrows. Rudra replied, Gods, consider your task accomplished and return to your homes. We will kill Sankchun along with all the demons and fulfil your wishes. Hearing such nectar-like words of Lord Shiva, we all bowed to him and returned to our homes.
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