हे नारद राधा जी ने भी राजा को नदी देखकर बहुत रोई तदुपरांत बिराजा श्री शिवजी की आज्ञा अनुसार कृष्ण जी के वियोग दुख को देखकर प्रकट हुई तब कृष्ण जी ने भी राधा जी को भुला दिया और बिरजा के साथ बिहार करने लगे अब राधा जीने फिर यह सुन तो हुए को भवन में गई और वस्त्र एवं गाने आदि शरीर से उतर कर भूमि पर लेटने लगी यह सुनकर श्री कृष्ण जी को भवन में राधा जी के निकट आए तथा सुदामा भी उसी प्रकार एक लाख गोपियों की सेवा लेकर द्वार पर खड़ा रहा राधा जी ने कृष्ण जी को अपने पास आता हुआ देख कहा है कृष्ण जी तुम यहां क्यों आए हो तुम परम पर स्त्री से संभोग करते हो तथा उसी में मग्न रहते हो आज तो तुम यहां से चले जाओ और जहां भी चाहे वहां रहो मेरे जाने से की राजा नदी हो गई थी अब तुमको भी यही उचित है कि तुम नाथ होकर परम परस्पर मिलो तथा भोग विलास करो तुम्हारे सब कार्य मनुष्यों के समान है इसमें मैं तुमको श्राप देता हूं कि तुम भी मनुष्य रूप धारण कर भारत खंड में निवास करोगी राधा जी ने ऐसे श्राप देकर अपनी सखियों को आज्ञा दी कि इनको इस स्थान से निकाल दो तब कृष्ण जी राधा जी के आदेश पर वहां से निकाल दिए गए परंतु वह गुप्त होकर वहीं बन रह जब सुदामा ने अपनी स्वामी की ऐसी दशा देखी तो हुए राधा जी से बोले है राधा तुमने कृष्ण जी को श्राप क्यों दिया तुम सब गोपियों तो कृष्ण जी के अधीन हो या सुनकर राधा जी ने क्रोध में भरकर कहा है मूर्ख सुदामा तू नहीं जानता कि कृष्ण जी मेरे सेवक हैं इसलिए मैं तुझको भी यह श्राप देता हूं कि तू दानव का जन्म ली तून कृष्ण जी का देते क्यों के समान मन किया तथा मेरा अपमान किया है मेरे बिना तेरी कोई रक्षा न करेग ही नारा डी राधा जी का ऐसे शराब सुनकर सुदामा ने उत्तर दिया है राधे अब तुम्हारी बुद्धि मनुष्यों के समान हो गई है इसलिए तुम भी मनुष्यों का शरीर प्राप्त कर कलंकित हो गई और कोई गोप तुम्हारे साथ विवाह नहीं करेगा तुम कृष्ण जी को फिर पकड़ 100 वर्ष तक दुखोगे है नारद शिव जी ने इस प्रकार के चरित्र किए दादू प्रांत अपनी माया को खींच लिया उसे समय विष्णु भगवान वहां उपस्थित हुए उसे समय दोनों को रुद्रणाग करते देखकर विष्णु जी ने सुदामा से यह कहा है सुदामा तुम किसी प्रकार का दुख मत करो तथा दानव होकर संसार का राज्य करो शिव जी के अतिरिक्त तुम्हें कोई नहीं जीत सकेगा तुम उन्हीं के हाथों से मरोगे तथा फिर यहां चले आओगे मैं तथा राधा जी भी अवतार लेकर मनुष्यों के समान लीला करेंगे यह कहकर विष्णु जी राधा जी को लेकर गांव लोक में रहने लगे तथा सुदामा दाना हुए मैंने तुम्हें यह पटना कथा सुनाई है अब बताओ तुम और क्या सुनना चाहते हो
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O Narada, Radha also cried a lot after seeing the king as a river. Thereafter, Biraja appeared as per the order of Lord Shiv after seeing the pain of separation of Krishna. Then Krishna also forgot Radha and started enjoying with Biraja. Now Radha again heard this and went to the palace and taking off her clothes and songs, started lying on the floor. Hearing this, Shri Krishna came near Radha in the palace and Sudama also stood at the door with the service of one lakh gopis. Radha saw Krishna coming near her and said, Krishna, why have you come here? You have sex with a woman and remain engrossed in it. Today you go from here and live wherever you want. By my departure, the king had become a river. Now it is appropriate for you also that you become a Nath and meet each other and enjoy pleasures. All your actions are like those of humans. In this, I curse you that you too will take the form of a human and live in the Bharat Khand. Radha cursed her friends in this manner and ordered them to throw them out of this place. Then Krishna On the orders of Radha Ji, he was thrown out from there, but he remained there secretly. When Sudama saw such a condition of his master, he said to Radha Ji, Radha, why did you curse Krishna Ji? All of you gopis are under Krishna Ji. On hearing this, Radha Ji said in anger, fool Sudama, you do not know that Krishna Ji is my servant, that is why I curse you also, that you took birth as a demon, why did you have a mind like Krishna Ji and insulted me. Without me, no one will protect you. On hearing Radha Ji's curse, Sudama replied, Radhe, now your intellect has become like that of a human being, that is why you have also been disgraced by getting a human body and no gop will marry you. You will hold Krishna Ji again and suffer for 100 years. Narad, Shiv Ji did such deeds and pulled his Maya from Dadu. At that time, Lord Vishnu appeared there. Seeing both of them doing Rudranag, Vishnu Ji said to Sudama, Sudama, do not suffer in any way and rule the world as a demon. No one can defeat you except Shiv Ji. You will die at his hands and then come here. I and Radha Ji will also take incarnation and perform leela like humans. Saying this, Vishnu Ji started living in the village with Radha Ji and Sudama became a donor. I have narrated this Patna Katha to you. Now tell me what else do you want to hear.
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