श्री शिव महापुराण कथा पंचम खंड अध्याय 26



ब्रह्मा जी ने बोले हे नारद असुरों के गुरु शुक्र या समाचार सुनकर अनेक देशों सहित संघ छोड़ के पास है सॉन्ग सुनने उसकी बलि प्रकार से सेवा की शुक्र जी ने आशीर्वाद तथा प्रशंसा के पश्चात देवता एवं दैत्य की कथा का वर्णन किया था दो प्राण उन्होंने यह सत्य जो दोनों में बहुत समय से चली आ रही थी वही तथा देवताओं की जीत देवताओं की हर बृहस्पति की सहायता एवं देवताओं के चरित्र सुनकर संपूर्ण को सब देते का राजा बन डेटियों ने बहुत प्रसन्न होकर अनेक प्रकार की भेंट दी तब सॉन्ग छोड़ने अत्यंत प्रसन्न होकर थे क्यों तथा वीरों की एक विशाल सी एकत्र कर इंद्रलोक पर आक्रमण कर दिया और नगर को चारों ओर से घेर लिया इंद्र भी देवताओं की सेवा लेकर उसे लड़ने आए उसे समय दोनों साओ में धाम आसान युद्ध हुआ अंत में देवताओं में बड़ी वीरता से व्यक्तियों को पराजित कर दिया संघ चुनाव ऐसे हर देखकर बहुत दुखी हुआ तब उसने अपने बड़े-बड़े वीरों को युद्ध के लिए भेजा हुआ देवताओं से कुशलतापूर्वक पर लड़े देवता उसकी वीरता पूर्वक लड़ाई देखकर भाग गए और तीतर भीतर हो गए तब दसों विकृति बेटियों के सम्मुख युद्ध करने आए दोनों और से महायुद्ध हुआ इंद्र अमृत वर्ष एनल गांव श्रिंहसंगर एवं कालिका मां वरुण चंचल पवन कल करे कुबेर दमिशा ब्रिज राज रिशु राहु चंद्रमा कनक अक्षय मंगलसूत्र बृहस्पति कालसुर कल्याण विश्वकर्मा शनिचरा रक्त वसुगन प्रशिक्षण धूमल लोचन नाल्को में रतन शहर इंद्र क्रिकेट मंत्र अश्वनी कुमार सब दिग्गज ग्रह देवता तथा आदित्य बड़े-बड़े वीर द्वंद युद्ध करने लगे अंत में दैत्यों ने शुक्र जी का ध्यान किया तथा एक बार देवताओं के सम्मुख होकर एक साथ आक्रमण कर दिया यह देख देवता वहां से भाग गए हे नारद देवताओं को इस प्रकार भागते हुए देखकर 11वां रुद्र देता हूं के सम्मुख आप पहुंचे तथा त्रिशूल से उन पर आक्रमण कर दिया सब देते उसके इस आक्रमण से भयभीत होकर भाग गए तब सॉन्ग सुनने व्यक्तियों की यह दुर्दशा देखी तो उसके अनेक बार चलाईं जिससे देवता भाग गए परंतु 11वां रूद्र वही युद्ध स्थल में खड़े रहे उसे समय वह आकाशवाणी हुई देवताओं संघ चूर्ण को 11 रूद्र किस प्रकार प्रार्थना कर सके और ना इसे करने में ही सफल होंगे क्योंकि ब्रह्मा जी के वरदान से यह संपूर्ण लोगों का राजा होगा तुम लोग यहां से चले जाओ तथा अवसर की प्रतीक्षा करो देवताओं ने इस आकाशवाणी को सुनकर युद्ध बंद कर दिया इस प्रकार दैत्य विजय होकर आनंद के साथ अपने घर लौट गए तब संपूर्ण संपूर्ण पृथ्वी का राजा हुआ आपने देवताओं का द्रव्य देवताओं को दे दिया उसे इंद्र के पद को धारण किया उसके राज्य में किसी को कोई दुख ना हुआ सब लोग अपने-अपने वार्ड धर्म कर्म तथा आश्रम में भली प्रकार की स्थिति रहे संघ सुन कृष्ण जी का परम भक्त था यद्यपि वह राधा जी के श्राप से दैत्य रूप में उत्पन्न हुआ था परंतु दैत्यों के समान उसमें कोई लक्षण ना था

TRANSLATE IN ENGLISH 

Brahma Ji said O Narad, on hearing this news, the Guru of demons Shukra is with the Sangh including many countries. After listening to his blessings and praise, Shukra Ji narrated the story of God and demon. He told this truth which was going on between both of them since a long time. The victory of the gods, the help of Brihaspati and the characters of the gods, after listening to this, the king of all the gods became very happy and gave many types of gifts. Then the gods were very happy and gathered a huge army of warriors and attacked Indralok and surrounded the city from all sides. Indra also came to fight with the gods by taking the help of the gods. At that time, there was an easy battle between the two sides. In the end, the gods defeated the people with great bravery. Sangh became very sad after seeing such a defeat. Then he sent his great warriors for the war. They fought skillfully with the gods. Seeing his brave fight, the gods ran away and went inside. Then all the ten demons came to fight in front of the daughters. There was a great war from both sides. Indra Amrit Varsha, Anal village, Shrinhasangar and Kalika Maa Varun Chanchal. Pawan Kal Kare Kuber Damisha Bridge Raj Rishu Rahu Moon Kanak Akshay Mangalsutra Jupiter Kalsur Kalyan Vishwakarma Shanichara Rakt Vasugan Training Dhumal Lochan Nalco Ratan City Indra Cricket Mantra Ashwani Kumar All the big planet gods and Aditya great warriors started fighting duel. At last the demons meditated on Shukra Ji and once faced the gods and attacked them together. Seeing this the gods ran away from there. O Narada, seeing the gods running like this, the 11th Rudra reached in front of Deity and attacked him with a trident. All the gods got scared of his attack and ran away. Then when he saw the plight of the people listening to the song, he attacked him many times due to which the gods ran away. But the 11th Rudra remained standing at the same battle field. At that time an akashvani (voice from the sky) was heard saying that how could the 11 Rudras pray to the gods Sangh Churna and would not be successful in doing it because with the boon of Brahma Ji he would be the king of all the people. You all go from here and wait for the opportunity. The gods stopped the war after hearing this akashvani. In this way the demons were victorious and rejoiced. He returned to his home with his wife and became the king of the entire earth. He gave the wealth of the gods to the gods and assumed the position of Indra. No one faced any sorrow in his kingdom. Everyone lived in a good condition in their respective wards, religious activities and ashrams. Sangh Sun was a great devotee of Krishna Ji. Although he was born as a demon due to the curse of Radha Ji, he did not have any characteristics like those of demons.

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ