नारद जी बोले हे ब्रह्मा जी अब आप मुझे शिव जी के उन चित्रों के विषय में बताएं जिसमें उन्होंने दैत्यों को नष्ट किया तब ब्रह्मा जी ने कहा है नारद अब मैं तुम्हें शमशान के करने का वृतांत बताता हूं शिव जी ने जिस उपाय शेरशाह सूरी को मारा उसकी सुनने से शिव भक्ति अधिक उत्पन्न होती है सबसे पहले मेरे पुत्र मार्केट ने कश्यप उत्पन्न हुआ उसको मेरे पुत्र दक्ष प्रजापति ने अपनी तेरा पटरिया विवाह हिंदी जिसमें बहुत संताने उत्पन्न हुई मैं तुम्हारे समक्ष उनमें से केवल एक मनुष्य का इतिहास सुनाता हूं जो भक्त की वृद्धि करता है तथा इच्छित फल को देने वाला है कश्यप की रीति अत्यंत सुंदर एवं पवित्रता थी उसके चार पुत्र उत्पन्न हुए जो दैत्य तथा महा शक्तिशाली थे उनमें से एक पुत्र गिरी विपरीत बहुत ही वीर्य एवं बलवान था उनका एक पुत्र दम था जो विष्णु जी का परम भक्त एवं सेवक था उसके कोई पुत्र उत्पन्न न होने से वह अपने बड़ों की इच्छा एवं विष्णु जी की आज्ञा अनुसार पुष्कर में तब करने चला गया तथा 100000 वर्षों तक इन इस हेतु कठिन तपस्या करता रहा जिससे उसे कोई पुत्र उत्पन्न हो विष्णु जी ने उसकी ऐसी आराधना देखकर दर्शन दिया तथा प्रसन्न होकर यह कहा कि तू हमसे कोई वरदान मांग ले तब उसे कहा है विष्णु जी मैं ऐसा पुत्र चाहता हूं जो महावीर हो और मेरे अधीन हो वह सारे संसार पर विजय प्राप्त करें तथा बहुत बुद्धिमान हो विष्णु जी का यह प्रार्थना स्वीकार कर उसे वरदान देकर अंतर ध्यान हो गए तब दंबाह और अपने घर लौट आया तथा उसे सब हाल अपनी पत्नी से कहा सुनाया पत्नी उसे सुनकर अत्यंत प्रसन्न हुए उसने भिक्षु को बहुत दान दिया थोड़े दिन बाद वह गर्भवती हो गई है ना रात सुदामा नमक कृष्ण जी का एक भक्त जो राधा जी के श्राप से वैकुंठ अर्थात गांव लोक में था उसके गर्भ में आया जब 9 10 महीने व्यतीत हुई तब शुभ दिन एवं शुभ नक्षत्र में उनका जन्म हुआ उसे समय दरवाजा ने बड़ी धूमधाम से जात कम करके अपने भाई बांधों के अनेक प्रकार से सेवा की और आनंद प्राप्त किया उसने अपने लड़के का नाम सॉन्ग सुन रखा संघ सर्वगुण संपन्न तथा सब विद्यमानों में पारंगत था वह अपने माता-पिता को हर प्रकार से सुखी रखना लगता दादू प्रांत वह जाएगी आपसे उपदेश लेकर तपस्या करने वन में गया तथा मेरे पाठ पूजा में ऐसे ली रहा कि उसे देखकर मुझे बहुत प्रसन्नता हुई इसलिए मैं उसे वरदान देने को प्रकट हुआ हूं उसे समय सॉन्ग छोड़ने मुझे यह वरदान मांगा कि मैं देवताओं से कभी पराजित ना होगा तथा तीनों लोकों में विजय प्राप्त कर महावीर हो रहा हूं मैं उसको मुंह मांगा वरदान देकर कृष्ण कवच प्रदान किया फिर उससे यह आज्ञा दी कि तुम बद्री का आश्रम में जाकर धर्म ध्वज की पुत्री तुलसी से जो तब कर रहे हैं अपना विवाह करो यह वरदान देकर मैं वहां से अंतर ध्यान हो गया सॉन्ग छोड़ने कृष्ण कवच घोषित कर अपने कंठ पर बांध लिया तथा उसे स्थान पर अर्थात बद्री का आश्रम में जहां तुलसी तपस्या करती थी जा पहुंचा वह तुलसी की सुंदरता देख मोहित हो गया तथा उसे बोला है सुंदरी तुम कौन हो तुम किसी कन्या को और इसलिए ऐसा तप कर रही हो मैं तुम्हारा सेवक हूं इसलिए मुझे सब बातें कहे या सुनकर तुलसी ने कहा मैं धर्म ध्वज की पुत्री हूं तथा ताप करने के लिए हुई यहां बैठी हूं तुम इस प्रकार मेरी परीक्षा लेने वाले कौन हो यह सुनकर सॉन्ग सुनने कहा है सुंदरी संसार में दो प्रकार के स्त्री पुरुष होते हैं एक तो बुरे तथा कमी दूसरे भले और तपस्वी में कहानी और पापी नहीं हूं उसी प्रकार तुम भी इसे रहित हो मुझे या ब्रह्मा जी ने भेजा है मैं तुम्हारे साथ गंधर्व विवाह करूंगा मेरा नाम सक्षम सॉन्ग चरण है मैं तीनों लोकों पर विजय प्राप्त करने वाला तथा दंभासुर का पुत्र हूं हे नारद सॉन्ग चरण के ऐसे वचन सुनकर तुलसी ने कहा तुम बहुत भले एवं लोक तथा कम से रहित हो जो मनुष्य स्त्री के अधीन नहीं वह बहुत भाग्यवान है परंतु जो मनुष्य स्त्री के वश में है उसे बढ़कर संसार में कोई बुरा नहीं है समस्त देवता मुनि एवं पीटर आदि स्त्री से घृणा करते हैं स्त्रियों द्वारा दिए हुए पेट पितरों को नहीं पहुंचाने तथा उनके चढ़े हुए पुष्प देवता आदि स्वीकार नहीं करते जिसका हृदय स्त्री के अधीन है उसकी पूजा पाठ सब कुछ मित्य है और उसका जन्म भी मिथ्या है हे नारद इस प्रकार उन दोनों में बातें हो रही थी कि मैं उसे स्थान पर जा पहुंचा तथा संपूर्ण से बोल ही संग छोड़ तुम दोनों इस प्रकार वार्तालाप क्यों करते हो शीघ्र ही गंधर्व विवाह क्यों नहीं करते तुम दोनों एक ही शब्द के हो यह कहकर मैं तुलसी को उसके कुल एवं जब तक का हाल कह कर सांचौर से विवाह करने की आज्ञा दी तथा कहा कि संपूर्ण विष्णु जी का परम भक्त है इसके साथ विवाह करने से कृष्ण जी तुमको बहुत चाहेंगे तथा बैकुंठ प्रदान करेंगे यह कहकर वहां मैं वहां से चला आया तथा उन दोनों ने मेरी आज्ञा अनुसार प्रसन्नता पूर्वक गंधर्व विवाह कर लिया फिर सॉन्ग छोड़ तुलसी को लेकर अपने घर जा पहुंचा वहां पहुंचकर उसने अपने माता-पिता को प्रणाम किया और सब समाचार का सुनाया हुए दोनों भी आनंदित हुए पश्चात तांबा सुरसंग चूर्ण को राजकाज शॉप कर स्वयं जप तप करने चला गया
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Narad ji said O Brahma ji, now you tell me about those pictures of Shiva ji in which he destroyed the demons, then Brahma ji said Narad, now I will tell you the story of cremation ground, by listening to the method by which Shiva ji killed Sher Shah Suri, Shiva devotion increases. First of all my son Kashyap was born to him, my son Daksh Prajapati married him in his marriage in which many children were born, I tell you the story of only one man among them, who increases the devotion of the devotee and gives the desired result, Kashyap's custom was very beautiful and pure, he had four sons who were demons and very powerful, one of them was Giri Viprit, very virile and strong, he had a son Dam who was the ultimate devotee and servant of Vishnu ji, since he did not have any son, he went to Pushkar as per the wish of his elders and the order of Vishnu ji and kept doing hard penance for 100000 years so that he could have a son, Vishnu ji appeared before him after seeing his worship and being pleased, he He said that you can ask for any boon from me, then he said to Vishnu ji I want such a son who is a great hero and is under my control, who conquers the whole world and is very intelligent, Vishnu ji accepted this prayer and gave him the boon, and went into meditation, then Dambah returned to his home and told the whole story to his wife, his wife was very happy to hear this, she gave a lot of donation to the monk, after a few days she became pregnant, a devotee of Krishna named Sudama, who was in Vaikunth i.e. village world due to the curse of Radha ji, came in her womb, when 9-10 months passed, then on an auspicious day and auspicious constellation, he was born with great pomp, Samay Darwaza reduced his caste and served his brothers in many ways and got happiness, he named his son Song Sun, he was full of all virtues and was well versed in all the things, he wanted to keep his parents happy in every way, he went to Dadu province, after taking teachings from you, he went to the forest to do penance and was so involved in my recitation and worship that I was very happy to see him, so I have appeared to give him a boon, he asked me to leave Samay Song and asked me this boon. That I will never be defeated by the gods and I will become Mahavir by winning all the three worlds. I gave him the desired boon and gave him the Krishna armor. Then I ordered him to go to Badri's ashram and marry Tulsi, the daughter of Dharmadhwaj. After giving this boon, I went into meditation from there. I declared Krishna armor and tied it on my neck and reached the place i.e. Badri's ashram where Tulsi used to do penance. He was fascinated to see Tulsi's beauty and said to her, "Beautiful, who are you? You are a girl and that is why you are doing such penance. I am your servant, that is why tell me everything." Hearing this, Tulsi said, "I am the daughter of Dharmadhwaj and I am sitting here to do penance. Who are you to test me like this?" Hearing this, Song said, "Beautiful, there are two types of men and women in the world. One is bad and the other is good and I am not a sinner among the ascetics. Similarly, you are also devoid of this. Brahma ji has sent me. I will do Gandharva marriage with you. My name is Saksham Satyan Charan. I am the one who will conquer the three worlds and am the son of Dambhasur. Oh Narada." On hearing such words of Song Charan, Tulsi said that you are very good and free from worldly and evil deeds. The man who is not under the control of a woman is very fortunate but there is no one worse than the man who is under the control of a woman in the world. All the gods, sages and saints hate women. They do not send the food given by women to the ancestors and the gods do not accept the flowers offered by them. The worship and prayers of the one whose heart is under the control of a woman are all false and his birth is also false. O Narada, in this way both of them were talking when I reached that place and said to Sampoorna that why do you both talk like this, why don't you both do Gandharva marriage soon, you both are of the same caste. Saying this, I told Tulsi about his clan and the situation till now and ordered him to marry Sanchore. I said that Sampoorna is a great devotee of Vishnu ji. By marrying him, Krishna ji will love you a lot and will give you Vaikunth. Saying this, I left from there and both of them happily did Gandharva marriage as per my order. Then leaving Song, I took Tulsi to my home and after reaching there, she told her parents. He bowed to him and after narrating all the news both of them became happy. After that he left the copper and Sursang powder for the royal work and himself went to do Japa Tapa.
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