श्री शिव महापुराण कथा पंचम खंड अध्याय 22 का भाग 2



हमने कहा है शिवजी आप हर प्रकार से भक्तों के दुख दूर करने वाले हैं आपको मानवादी तथा वेद आदि भी नहीं प्राप्त कर सके हैं आपका एक निवेश में करोड़ों इंद्र तथा विष्णु जी बीत जाते हैं आप किसी से बनाई नहीं गए हैं अपितु परम ब्रह्म है आपने यदुवंशियों को मुक्ति प्रदान की तथा उसकी पत्नी कलावती ने भी आपकी भक्ति द्वारा मुक्ति प्राप्त की है आपने मैं यदि को मोक्ष दान दिया तथा सोमूनी के पुत्र को श्रेष्ठ गति प्रदान की है राजा ट्रिमर धन को अपने आप निरंतर साथ जन्मों तक आनंदित किया अपने चंद्र सेन का मान रखा तथा स्वीकार गोप को अपनी शरण में लेकर अपना भक्त बनाया और उसे इतना द्रव्य प्रदान किया जो देवताओं को भी उपलब्ध नहीं होता है आप ही में साथ रात के कासन को दूर करके उसे आनंदित किया तथा धर्म गुप्त आपका ही व्रत करके दरिद्रता से मुक्त होंगे आप ही से चित्र धर्म के दुखों को दूर किया तथा उसकी लड़की के डूबते हुए पति राजा चंद्रगुप्त के जीवन की रक्षा कर बहुत सुख पहुंचा आपके बाल से ही दक्ष को किसी प्रकार के हानि एवं भाई नहीं होने पाया आपने ही मध्य देश के बाढ़ को मोक्ष प्रदान कर उसकी स्त्री चंचलता का उद्धार किया तथा आप ही ने भद्र मुखी गिरी के कासन को दूर किया आपने पिंगला की इच्छा अनुसार उसकी धन आनंद एवं सुख प्रदान किया और अपने भक्त भद्र मुक्ति की इच्छा पूर्ण किया आपने इस रवि को हर प्रकार से अपने में ही लिंक कर लिया और आपकी सेवा द्वारा ही वह मंदिर शुभ गठित को प्राप्त हुआ है सदाशिव जी आपने शबरी एवं शुक्र को उत्तम गति प्रदान करके भक्ति का महत्व प्रकट किया तथा भद्रसेन के पुत्र सुधारना एवं मित्र के पुत्र तर्क को उत्तम गति देखकर रुद्राक्ष की बधाई प्रकट की आप ही ने गंगा को जिसका नाम मा आनंद था तार दिया तथा अपनी भक्ति से समान अधिक कल तक जीवित रहा आपने शारदा के पति को जीवित करके उसे सौभाग्य को स्थिर रखा तथा बद्रिका नमक पापी ब्राह्मण को उत्तम गति अपने ही प्रदान की उसकी स्त्री बिजुक को भी जो पंचोली थी मुक्ति प्रदान की आप ही ने दक्ष के यज्ञ को विद्वान कर उसके गर्व को चूर किया तथा काम को भस्म कर दिया शिवरानी का गर्व दूर किया आपने बालक का रूप धारण धारण डेट को मार डाला तथा गणपति को अपना बल देकर समस्त गानों से प्रबल कर दिया आपने ही त्रिशूल से उसका सिर काट कर पुन जीवित कर दिया था बेटियों को देवताओं सहित जलते हुए देखा आपने हाल-हाल 20 का दान कर लिया था आपने पहले त्रिशूल द्वारा अंधक के सर को काट डाला फिर उसे पर कृपा करके अपने गानों में सम्मिलित कर लिया आपने विष्णु जी एवं ब्रह्मा के मुंह को दूर कर मंत्र शास्त्र को किस दल तथा नर्सिंग अवतार के गर्भ का नाश कर भस्म का अवतार ग्रहण किया आपने अत्री के पुत्र होकर कामरूप का वध किया तथा हनुमान का स्वरूप धारण कर राम लक्ष्मण को दुखों से मुक्त कर दिया आप तीनों गुना से परे तथा निर्गुण है आपकी महिमा का वर्णन कहां तक किया जाए है नारद इस प्रकार सब देवताओं ने शिवजी की स्तुति की जो कोई इस स्तुति को सुनेगा अथवा दूसरों को सुनाइए वह दोनों लोगों में प्रसन्न होकर आनंद प्राप्त करेंगे उसे किसी प्रकार का कष्ट ना होगा तथा अंत में शिव जी के लोग को प्राप्त करेगा

TRANSLATE IN ENGLISH 

We have said that Shivji you remove the sorrows of your devotees in every way. Even the Manavadi and Vedas etc. could not attain you. In one of your devotion crores of Indras and Vishnus pass by. You are not created by anyone but are the Supreme Brahma. You gave salvation to the Yaduvanshis and his wife Kalavati also attained salvation by your devotion. You gave salvation to Idar and gave the best speed to the son of Somuni. You made King Trimar Dhan happy for seven births. You respected your Chandra Sen and made Svayak Gopa your devotee by taking him under your shelter and gave him so much wealth which is not available even to the Gods. You only made him happy by removing the pain of the night. And Dharma Gupt will become free from poverty by fasting for you only. It is only because of you that you removed the sorrows of Chitra Dharma and brought great happiness by saving the life of his daughter's drowning husband King Chandragupta. It is only because of your hair that Daksh did not suffer any kind of harm and brother. You only gave salvation to the flood of Madhya Desh and saved his woman's fickleness. And you only You removed the curse of Bhadra Mukhi Giri. You provided wealth, happiness and joy to Pingla as per his wish and fulfilled the wish of your devotee Bhadra Mukti. You linked this Sun to yourself in every way and it is only by your service that the temple has attained auspicious formation. Sadashiv Ji, you revealed the importance of devotion by giving Shabri and Shukra a good life. Seeing the good life of Bhadrasen's son Sudharana and Mitra's son Tark, you congratulated Rudraksha. You saved Ganga whose name was Ma Anand and due to your devotion, Samaan lived for more than a year. You kept Sharda's husband alive and kept her good fortune intact. You yourself gave a good life to a sinful Brahmin named Badrika. You also gave salvation to his wife Bijuk who was Pancholi. You made Daksha's Yagya a scholar and shattered his pride and burnt Kama. You removed the pride of Shivrani. You killed Devta by assuming the form of a child and made Ganpati stronger than all the gods by giving him your strength. You resurrected him by cutting off his head with a trident. You made his daughters burn with fire along with the gods. It was seen that you had recently donated 20 rupees. You first cut off Andhak's head with your trident, then by showing mercy on him included him in your songs. You removed the mouths of Vishnu and Brahma and destroyed the mantra shastra and the womb of the Narasimha avatar and took the incarnation of Bhasma. Being the son of Atri, you killed Kamarupa and taking the form of Hanuman, freed Ram and Lakshman from sorrows. You are beyond the three gunas and nirgun. How far can your glory be described? Narad, in this manner all the gods praised Lord Shiva. Whoever listens to this praise or narrates it to others will be happy in both the worlds and will attain bliss, he will not suffer any kind of pain and finally attains the world of Lord Shiva.

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