श्री शिव महापुराण कथा पंचम खंड अध्याय 8



ब्रह्मा जी बोले हे नारद सब देवताओं ने कहा है शिवजी आप आप तिरुपुर को नष्ट करने में विलंब मत कीजिए आपके इस देश से तीनों लोग जेल जाते हैं यह सुनकर शिव जी ने प्रसन्न होकर तुरंत वहीं अस्त्र त्रिपुर को लक्ष्य करके छोड़ दिया उसके छोड़ने से भीषण शब्द हुआ ऐसा प्रतीत होता था जैसे पहले कल के बादल गरज रहे हो उसे एस्ट्रा में से निकली हुई अग्नि से तीनों लोक जलने लगे धरती का अपने लगी पर्वत जल उठे शेषनाग पृथ्वी को सिर पर ना रख सके नदी नदियों का जल सूख गया देख पाल एवं दुर्गा जो पृथ्वी का भार संभाले हुए हैं बाल इन हो गए तथा सब मुनि एवं सिद्ध ध्यान छोड़कर राष्ट्रीय चकित हुए इस समय शिव जी द्वारा छोड़े गए बाढ़ के पहुंचते ही हुए तीनों पूर्व जलकर भस्म हो गए तदुपरांत वह बाढ़ उन सबको जलाकर शिवजी के पास लौट आया इस प्रकार बाद में उसे भीषण प्रहार से तिरुपुर को कोई प्राणी जीवित न रह सब देखते शिव जी के हाथ से मारकर मुक्ति पा गए हुए सभी शिव जी के गांड हुए क्योंकि उनमें भक्ति का बीज शेष था और भक्ति का बीज कभी नष्ट नहीं होता उसे समय शिव जी का स्वरूप ऐसा भवनक था जिसे देखकर प्रतीत होता था की प्रलय होने में आप कोई देर नहीं है माय तथा विष्णु जी उसे मा तेज के कारण शिवजी को अच्छी प्रकार नहीं देख सकते थे यह देख मैंने तथा विष्णु जी ने दूर से ही उसकी स्तुति की हे नारद सबसे पहले विष्णु जी ने शिवजी की स्तुति की तथा कहा है शिवजी अब आप क्रोध को शांत करें फिर मैं भी उसकी स्तुति की इसके पश्चात लोकपाल देवता सिद्धनाथ मुनि तथा वेदों ने अपनी-अपनी स्तुति को युक्ति के अनुसार काव्य रूप में गया तथा ऐसी अनेक प्रकार की स्तुति सुनकर शिवजी प्रसन्न हुए इस प्रकार हम सब शिव जी को प्रसन्न प्रकार उनकी सेवा करने लगे

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Brahma Ji said, O Narada, all the gods have said, Lord Shiva, you should not delay in destroying Tirupur. All these three people are going to jail from your country. On hearing this, Lord Shiva was pleased and immediately released the same weapon aiming at Tripura. On releasing it, a terrible sound was produced. It seemed as if the clouds were thundering yesterday. The fire that came out of the weapon started burning the three worlds. The mountains of the earth started burning. Sheshnag could not keep the earth on his head. The water of the rivers dried up. Seeing this, Pal and Durga who were holding the load of the earth became restless. All the sages and Siddhas left their meditation and were astonished. At this time, as soon as the flood released by Lord Shiva reached Tirupur, all the three were burnt to ashes. Thereafter, the flood burnt them all and returned to Lord Shiva. In this way, due to that terrible attack, no creature remained alive in Tirupur. Everyone saw that by killing them by the hands of Lord Shiva, all of them got salvation. All of them became the sons of Lord Shiva because the seed of devotion was left in them and the seed of devotion never gets destroyed. At that time, the form of Lord Shiva was so powerful that on seeing it, it seemed that there will be no delay in the destruction. And due to that mother's radiance, Vishnu Ji could not see Shiv Ji properly. Seeing this, I and Vishnu Ji praised him from a distance. O Narada, first of all Vishnu Ji praised Shiv Ji and said, Shiv Ji, now you calm down your anger, then I too praised him. After this, Lokpal deity Siddhanath Muni and the Vedas sang their praises in poetic form as per their logic and Shiv Ji became pleased on hearing many such types of praises. In this way, we all started serving Shiv Ji in a pleased manner.

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