ब्रह्मा जी बोले हे नारद विश्वकर्मा द्वारा निर्मित उसे रात का विस्तार मानो संपूर्ण सृष्टि भर के समान था उसमें सूर्य दाहिने चक्र तथा चंद्रमा बाय चक्र इसी प्रकार 12 सूर्य तथा 16 कला वर्तमान थी सभी पर्वत एवं वर्षा मन स्थिति रात के खंड बने चारों वेद उसे रात के घोड़े तथा बिहार शादी घोड़े को चलाने वाले हुए धर्म कर्म के शास्त्र पुराण एवं न्याय शास्त्र यह सब उसके मुख हुए आश्रम वन आदि उसके अंक हुए गंगा आदि नदियों तथा चारों सागर चावर लेकर रात के चारों ओर खड़े हुए लोक आलोक पर्वत आदि उसकी सीधी है हुई प्रमाण चाबुक विष्णु की बाढ़ तथा हिमाचल धनुष हुए यहां तक की ब्रह्म से लेकर तीन तक सब उसे रात में विद्यमान थे इस प्रकार वह सब सामग्री पूर्ण रूप से तैयार हो गई तब वह रात शिवजी के द्वार पर ले जाकर खड़ा किया गया उसे समय शिवजी बाहर आए उनको देखकर सबने विनती की है महाराज अब आप रात में अरुण हो तथा तिरुपुर का नाश करके तीनों लोगों को आनंद प्रदान करें तब शिवजी ने तुरंत गणपति को बुलाकर उसकी पूजा की फिर वह रात भर अरुण होकर आकाश एवं पृथ्वी को कहते हुए चल दिए सब ने जय जयकार किया पृथ्वी उसे रात का भरना सहकार कटने लगी इस प्रकार शिवजी अपनी सुना सहित देवताओं को आनंदित करते हुए वहां से चले उसे समय शिव जी के इस आश्चर्य जनक चरित्र से तिरुपुर एकत्र हुए तब शिव जी ने उचित समय जानकर अपने धनुष में विष्णु पति अस्त्र को लगाकर तथा अपने तेज को इस अस्त्र में स्थापित कर दिए जिससे धनुष बाण दोनों ही प्रकाश वहां हुए सृष्टि भर में प्रकाश ही प्रकाश फैल गया तब शिवजी ने उसे समय मन मे यह विचार किया कि मैं तीनों पूर्व को जला दूं उसे समय विलम हुआ जानकर विष्णु जी माय तथा इंद्र ने उसकी बहुत प्रकार से विनती की
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Brahma Ji said, O Narada, the extension of the night created by Vishwakarma was like the whole universe. In it, the Sun was on the right side and the Moon was on the left side. Similarly, 12 Suns and 16 phases were present. All the mountains and rainy season became the parts of the night. The four Vedas became the horses of the night and the ones who drove the horses were the scriptures of Dharma and Karma. The Puranas and the Nyaya Shastras all became its faces. The Ashrams, forests etc. became its sides. The rivers like Ganga etc. and the four seas stood around the night with chavar. The world light mountains etc. became its straight whip. Vishnu's flood and the bow of Himachal became the proof. Even from Brahma to the three, all were present in the night. Thus all the material was ready completely. Then the night was taken to the door of Shiv Ji and made to stand there. At that time, Shiv Ji came out and seeing him, everyone requested that Maharaj, now you become Arun in the night and destroy Tirupur and give happiness to all the three worlds. Then Shiv Ji immediately called Ganpati and worshipped him. Then he became Arun throughout the night and went saying to the sky and the earth. Everyone hailed him. The earth started filling the night with support. Thus Shiv Ji told his story. Making the Gods along with him happy, he left from there. At that time people gathered at Tiruppur due to this amazing character of Lord Shiva. Then Lord Shiva, knowing the right time, put Vishnupati weapon in his bow and put his radiance in this weapon, due to which both the bow and arrow became luminous, light spread all around the universe. Then Lord Shiva thought in his mind that I should burn all the three Purvas. Knowing that the time was late, Vishnu Ji, Maya and Indra requested him in many ways.
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