ब्रह्मा जी बोले हे नारद तब इस समय गिरजा अपने पुत्र को दिखाते हुए जय जय शिव जय शंभू स्तुति करते हुए शिव जी के पास आई और बोली है स्वामी अपने पुत्र पाषाण का खेल दिखाए हैं शिवजी ने गिरजा से लेकर लड़के को गोद में बैठा लिया तथा प्रसन्न होकर नृत्य करने लगे यहां तक की सब देवता भी इतने मग्न हो गए कि हुए शिव जी के साथ नृत्य करने लगे इसके पश्चात गिरजा पाषाण नाम को साथ लिए हुए भीतर घर में चली गई देवताओं ने अनेक प्रकार से स्तुति की तथा सब कष्ट का सुनाएं परंतु शिव जी ने कुछ ना सुना तब मैं तथा विष्णु जी आदि सब लोग शिव जी के द्वार पर बैठकर परस्पर खाने लगे कि हम क्या करेंगे कहां जाएं और किसे कहें अब हमारा नौका को कौन पर लेगा शिवजी से थोड़ी सी आशा थी परंतु वह हमारी कासन पर कोई ध्यान न देकर घर में चले गए शायद हमसे उसकी सेवा में कोई अपराध हो गया है इसके पश्चात देवताओं ने निश्चय किया कि हम लोग यहां से चलकर अपनी स्त्रियों सहित शिव जी के घर में चल शिवजी देवताओं का यह विचार जान गए वस्तु उन्होंने तुरंत गणपति को वहां भेज दिया उन्हें दंडवत से मार कर सब लोगों को बाहर निकाल दिया यह देखकर कश्यप मुनि ने धैर्य पूर्वक कहा कि शिव जी ने यह क्या किया जो दया को त्याग कर हमें ऐसा दंड दिया है फिर उन्होंने जाकर विष्णु जी से सब वृतांत कहा कि हमारा मनोरथ किसी प्रकार पूरा ना हुआ तथा आप तक का सब परिश्रम व्यर्थ ही गया उसे समय विष्णु जी ने यह कहा तुम सब लोग दरिया रखो शिवजी आवास से ही तुम्हारा दुखों को दूर करेंगे दादू प्रांत विष्णु जी ने सबको शिव जी का एक मंत्र जिसमें 10 सहस्त्र अक्षर हैं बात कर कहा कि इसका 14 करोड़ बार जाप करो इससे शिवजी प्रसन्न होकर तुम्हारा मनोरथ पूर्ण करेंगे हे नारद सब देवता विष्णु जी से वह मंत्र लेकर जप करने लगे तथा शिव जी के प्रकट होने की वार्ड देखने लगे तब शिवजी देवताओं के उसे जब से प्रसन्न हो कर प्रगति हुई और बोल ही विष्णु एवं ही ब्रह्मा हम तुम्हारे उत्तर से प्रसन्न है तुम अपनी इच्छा अनुसार हमसे वर मांगो तब सब ने प्रसन्न होकर शिवजी की स्थिति की तथा यह कहा है सदाशिव जी आप त्रिपुरा और के तीनों पूर्व का नाश करेंगे देवता यह कहकर पुणे स्तुति करने लगेंगे तब शिवजी ने प्रसन्न होकर कहा ऐसा ही होगा तुम्हारे मनोकामना पूर्ण होंगे यूं कह कर शिवजी ने आप शुरू पर कुपित होकर अपना बढ़ छोड़ दिया उसे बहन ने सूर्य के समान प्रकाश वहां होकर सब देवताओं को नष्ट कर डाला परंतु जो शेष बचे उन सबको त्रिपुरा और में अमृत कुंड में जो वहां था डाल दिया जिससे वह पुनः जीवित होते तथा लव शेयर होकर बदल के समान गरजने एवं बिजली के समान चमकने लगे तब शिवजी ने विष्णु से तथा मुझे यह कहा कि तुम दोनों वचनों का रूप धारण कर वहां जाकर सब अमृत को पी लो दैत्य तुमको नहीं जान पाएंगे शिवजी की ऐसी आज्ञा पाकर माय तथा विष्णु बछड़े बंद दोपहर दिन चढे वहां पर पहुंचे वहां हमको किसी ने नहीं देखा तब वहां से विष्णु तथा मैं दोनों लौटकर शिवजी की स्तुति करने लगे उसे समय सब असुर शिवजी की लीला से अंधे हो गए हमने शिवजी की स्थिति में उनका विराट रूप वर्णन किया उसे समय शिवजी बोल ही देवताओं अब तुम किसी प्रकार की चिंता मत करो तुम शीघ्र ही सिद्ध को प्राप्त करोगे है नारद शिवजी यह कहकर चुप हो गए और हम लोग वहीं बन रहे इतने ही में गानों के राजा नंदी अपने गानों सहित वहां आए देवताओं ने उन्हें वहां देखकर अत्यंत शुभ माना तथा उन्हें विनय की है शीला आदि मुनि के पुत्र नदी तुम कोई ऐसा उपाय करो जिससे तिरुपुर एक में मिल जाए यह सुनकर नंदी ने उत्तर दिया है देवताओं शिवजी ने तुमको आज्ञा दी है कि तुरंत एक रात बना तथा सारथी बाण धनुष आदि सब ठीक करके रखो मुझको निश्चय है कि शिवजी अवश्य शीघ्र ही त्रिपुरा का नाश करेंगे यह कहकर नदी अपने घर चले गए तब देवताओं ने अत्यंत प्रसन्न होकर शिवजी का जय जयकार किया इंद्र ने तुरंत ही विश्वकर्मा को बुलाकर शिवजी की आज्ञा सनी फिर विष्णु तथा मैं विश्वकर्मा का आदर करते हुए कहा कि तुम शिव जी के सारथी होना इसके अतिरिक्त तुम शीघ्र ही धनुष एवं बाढ़ भी तैयार कर दो विश्वकर्मा ने यह सुनकर सदा शिव जी का ध्यान किया तो उनके मन में रथ निर्माण करने की युक्ति बैठ गई
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Brahma Ji said, O Narada, then at this time Girja came to Shiv Ji, showing her son, while praising Jai Jai Shiv, Jai Shambhu, and said, Swami, you have shown the game of your son Paashan. Shiv Ji took Girja and made the boy sit in his lap and started dancing happily. Even all the gods got so engrossed that they started dancing with Shiv Ji. After this, Girja went inside the house with Paashan. The gods praised him in many ways and told him about all their troubles, but Shiv Ji did not listen to anything. Then I and Vishnu Ji etc. all sat at Shiv Ji's door and started arguing with each other that what will we do, where should we go and whom should we tell, who will take our boat now, we had a little hope from Shiv Ji, but he did not pay any attention to our prayers and went inside the house, maybe we have committed some mistake in serving him. After this, the gods decided that we will go from here along with our wives to Shiv Ji's house. Shiv Ji came to know about the thoughts of the gods and immediately sent Ganpati there, beat him with a bow and threw all the people out. Seeing this, Kashyap Muni said patiently that what has Shiv Ji done that he has given up his mercy and punished us in such a way. Then he went and told the whole story to Vishnu Ji that our wish was not fulfilled in any way and all the efforts made till you went in vain. At that time Vishnu Ji said that all of you keep the river, Shiv Ji will remove your sorrows from his abode only. In Dadu province, Vishnu Ji told everyone a mantra of Shiv Ji which has 10 thousand letters and said that chant it 14 crore times, by this Shiv Ji will be pleased and will fulfill your wish. O Narada, all the gods took that mantra from Vishnu Ji and started chanting it and started watching for the appearance of Shiv Ji. Then Shiv Ji became pleased with the gods and progressed and said that both Vishnu and Brahma are pleased with your answer, you ask for a boon from us as per your wish. Then everyone became pleased and praised Shiv Ji and said that Sadashiv Ji you will destroy the three eastern states of Tripura and Ke. Saying this, the gods started praising him. Then Shiv Ji became pleased and said that it will happen, your wishes will be fulfilled. Saying this, Shiv Ji Enraged at this, he released his bull. His sister, being there, destroyed all the gods with light like the Sun, but the ones who were left were thrown into the Amrit Kund of Tripura and I which was there. Due to which they became alive again and after sharing the love, they started roaring like clouds and shining like lightning. Then Shivji said to Vishnu and me that both of you take the form of demons and go there and drink all the nectar. The demons will not be able to recognize you. After getting this order from Shivji, Maa and Vishnu reached there at high noon. No one saw us there. Then Vishnu and I both returned from there and started praising Shivji. At that time all the demons became blind due to Shivji's leela. We described Shivji's huge form in his state. At that time Shivji said to gods that now you do not worry about anything, you will soon attain Siddhi. Narada, Shivji became quiet after saying this and we remained standing there. Meanwhile, Nandi, the king of gods, came there with his gods. Seeing them there, the gods considered it very auspicious and humbly prayed to them. River, the son of Sheela Adi Muni You should find a way by which Tiruppur can be merged into one. On hearing this Nandi replied, Gods, Shiva has ordered you to immediately make a chariot and keep the charioteer, bow, arrows etc. in order. I am sure that Shiva will soon destroy Tripura. Saying this, the river went to its home. Then the Gods were very happy and hailed Shiva. Indra immediately called Vishwakarma and took the order of Shiva. Then Vishnu and I respected Vishwakarma and said that you should be the charioteer of Shiva. Besides this, you should also soon prepare the bow and arrow. On hearing this, Vishwakarma always meditated on Shiva and an idea of building a chariot came to his mind.
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