ब्रह्मा जी बोले हैं नारद गिरजा के दोनों पुत्र इस स्थान तथा गणपति नित्य प्रात काल उठकर शिवजी तथा गिरजा को प्रणाम करते थे दोनों भाइयों का दिन प्रतिदिन प्रेम बढ़ने लगा एक दिन शिवजी गिरजा से बोल ही गिरजा हमारे यह परले इच्छा है कि अब हमारे पुत्रों के विवाह हो जाए हमको इस्कॉन एवं गणपति दोनों समान रूप से प्रिया है हस्तु पहले हम किसका विवाह करें उसे समय माता पता से भी वह की चर्चा सुनकर इसका नियम गणपति दोनों परस्पर झगड़ने लगे स्कंध कहने लगे कि पहले हमारा विवाह होना चाहिए और गणपति कहते थे कि पहले हमारा विवाह यह देखकर शिव एवं गिर जाने दोनों को बुलाकर कहा कि तुम दोनों समय वह वयस्क का हो हम तुमसे इस बात की प्रतिज्ञा करते हैं कि तुम दोनों में से जो सर्वप्रथम संपूर्ण पृथ्वी की परिक्रमा करें के लौट आएगा उसी का विवाह हम पहले करेंगे कर देंगे यह सुनकर दोनों भाई पृथ्वी की परिक्रमा के लिए चल दिए तभी गणपति ने यह सोचा कि मुझे इतनी शक्ति नहीं है कि मैं संसार भर के शीघ्र परिक्रमा कर सकूं तब मैं क्या करूं इस समय उन्हें युक्ति सूची वह स्नान कर माता-पिता के सम्मुख खड़े हुए तथा विनती की कि हम आपकी पूजा करें वस्तु आप पूजा के स्थान पर बैठे हैं यह सुनकर शिव एवं पार्वती दोनों पूजा के आसन पर बैठ गए तब गणपति ने उनकी परिक्रमा कर उन दोनों किया यथा विधि पूजा की उसे समय माता-पिता ने कहा है गणपति स्तन तो संसार की परिक्रमा के लिए जा चुके हैं आप तुम भी परिक्रमा के लिए जो यह सुनकर गणपति ने विनय की की है माता-पिता क्या मैं पृथ्वी की परिक्रमा नहीं कर ली आप धर्म मूर्ति होकर ऐसा क्यों कहते हैं शिव गिर जाने गणपति के समझ से ऐसे वचन सुनकर आश्चर्य चकित होकर कहा है गणपति तुम संसार की परिक्रमा कब करेंगे तब गणपति ने यह उत्तर दिया आपको वेद त्रिभुवन का रूप मानते हैं सो मैंने आपकी परिक्रमा कर तक क्या तीनों लोगों की परिक्रमा नहीं कि इसके सिवाय वेद लिखते हैं कि जो मनुष्य माता या पिता की परिक्रमा करता है उसे संसार की परिक्रमा का फल प्राप्त होता है पुत्र के लिए माता पिता के चरण ही सबसे बड़े तीर्थ है अब आप यह तो वेद के मार्ग को कहीं त्याग दें नहीं तो मेरा विवाह कर दें
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Brahma Ji has said that both the sons of Narad Girja and Ganpati used to wake up every morning and pay obeisance to Shiv Ji and Girja. The love between the two brothers started increasing day by day. One day Shiv Ji said to Girja that Girja, it is our deepest wish that now our sons should get married. ISKCON and Ganpati both are equally dear to us. Hastu whose marriage should we get done first. Hearing the discussion about that, the mother also told about its rule. Ganpati both started quarreling with each other. Skandh started saying that we should get married first and Ganpati used to say that we should get married first. Seeing this, he called Shiv and Girja and said that both of you should be of adult age. We promise you that whoever among you will return first after circumambulating the whole earth, we will marry him first. Hearing this, both the brothers left for circumambulating the earth. Then Ganpati thought that I do not have that much strength that I can circumambulate the whole world so quickly, then what should I do. At that time, he gave them a plan, took a bath and stood in front of his parents and requested that we We should worship you. Hearing that you are sitting at the place of worship, Shiva and Parvati both sat on the seat of worship. Then Ganapati circumambulated them and worshipped them both as per the rituals. At that time the parents said, Ganapati has already gone for circumambulation of the world. You also go for circumambulation. Hearing this Ganapati implored, parents, have I not circumambulated the earth? Why do you say so, being the idol of religion? Shiva fell down. Hearing such words from Ganapati's understanding, he was surprised and said, Ganapati when will you circumambulate the world. Then Ganapati replied, Vedas consider you as the form of Tribhuvan, so have I circumambulated you? Have I not circumambulated all the three worlds? Apart from this the Vedas write that the man who circumambulates his mother or father gets the fruit of circumambulation of the world. For a son, the feet of parents are the biggest pilgrimage. Now you should abandon the path of Vedas or else get me married.
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