ब्रह्मा जी बोले हैं नारद गिरिजा ने अपने पुत्र को पुनः जीवित देख आनंद उत्सव मनाया और उन्हें अनेक प्रकार के वस्त्र देकर कहा है पुत्र इस समय हम तुम्हारे बल पर सिंदूर देखते हैं इसलिए तुम्हारी पूजा सिंदूर से हुआ करेगी जो तुम्हारी पूजा करेगा उसके पास सीढ़ियां बनी रहेगी शिव जी ने भी अत्यंत प्रसन्न होकर कहा है देवताओं यह हमारा ही पुत्र है इसका नाम गणपति है गणपति ने भी उठकर सबको प्रणाम किया तथा कहा है देवताओं आप मेरा अपराध क्षमा करें तब देवताओं ने प्रसन्न होकर कहा है गणपति तुम्हारी पूजा हम तीनों लोक तीनों देवताओं के समान ही होगी जो सर्वप्रथम तुम्हारी पूजा ना करेगा उसकी पूजा का कुछ भी फल प्राप्त न होगा यह कहकर सब ने प्रथम गणपति की पूजा की तथा प्रणाम कर वह वरदान दिया कि तुम भद्रा कृष्ण चतुर्थी को उत्पन्न हुए हो इसलिए तुम्हारा व्रत चौथ को हुआ करेगा तुम्हारा व्रत करने वाले भक्त दुखी एवं प्रसन्न रहेंगे सबको तुम्हारी सेवा से आनंद प्राप्त होगा और सबको तुम्हारी पूजा आदि करनी चाहिए इसके पश्चात विष्णु जी तथा अन्य सब देवताओं ने गणपति की अत्यंत उत्तम एवं पवित्र स्तुति की इतनी कथा सुना कर सूट की बोल ही मुनियों जब ब्रह्मा जी इतना कह चुके तो वह अन्यत्र आनंद में मांगना हो जाएंगे इस आनंद में उन्हें गणेश की एक स्तुति बनाकर नारद को सुनाई फिर कहा यह नारा देश के पश्चात शिवजी से विदा होकर समस्त देवताओं वहां से चले गए
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Brahma Ji said that Narad Girija celebrated seeing his son alive again and gave him many types of clothes and said that son, at this time we see sindoor on your strength, therefore you will be worshipped with sindoor, whoever worships you will have stairs. Shiv Ji also got very happy and said that gods, this is our son, his name is Ganapati. Ganapati also stood up and bowed to everyone and said that gods, please forgive my crime, then the gods got happy and said that Ganapati, your worship will be like the three gods of the three worlds, the one who will not worship you first will not get any result of his worship. Saying this, everyone first worshipped Ganapati and bowed to him and gave him the boon that you were born on Bhadra Krishna Chaturthi, therefore your fast will be observed on the fourth day, the devotees observing your fast will remain sad and happy, everyone will get joy from your service and everyone should worship you etc. After this, Vishnu Ji and all other gods praised Ganapati in a very good and holy way and after narrating this much story, said the sages, when Brahma Ji had said this much, he went elsewhere in joy. In this joy, he composed a praise of Ganesha and recited it to Narada, then said this Nara. After bidding farewell to Lord Shiva, all the gods left from there.
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