श्री शिव महापुराण कथा चतुर्थ खंड अध्याय 25



ब्रह्मा जी बोले हे नारद शिवजी तुम्हारी यह वचन सुनकर युद्ध के लिए अपने उत्तम मनोरतम शास्त्र लेकर तैयार हुआ उन्होंने अंत अत्यंत क्रोधित होकर विष्णु तथा अन्य प्रसिद्ध गानों को साथ लेकर अपना डमरु बजा दिया डमरू की ध्वनि सुनकर हुए समस्त देवता जो कोई युद्ध भूमि से पराजित होकर भाग आए थे पुनः वीरता से गर्जना करने लगे विष्णु जी ने स्वयं ही गणेश से युद्ध किया जो शास्त्र विष्णु ने गणपति के ऊपर प्रलय की अग्नि के सामान लाया गया उसे गणेश जी की ने अपने डंडे से दो खंड का डाला तब विष्णु जी ने देर तक युद्ध करने के पश्चात शिवजी से कहा हे प्रभु आप हमें इस घर का वध कीजिए डालता हूं शिवजी बोले बहुत अच्छा तब गणपति ने उसे समय इतनी वीरता दिखाई की सब देवता युद्ध भूमि से पीठ दिखाकर भाग गए हैं देखकर विष्णु जी ने अपने मुख से गणेश की प्रशंसा करते हुए कहा कि तुम्हें अनेक धन्यवाद है क्योंकि आज तक कोई भी इतनी वीरता से हमारे साथ नहीं लड़ा है विष्णु जी यह कहा का ही रहे थे कि गणपति ने अपने प्रयाग उठा कर मारा परंतु विष्णु ने अपने प्रयाग से उसे काट डाला फिर गणपति ने एक शास्त्र विष्णु के पक्ष में मारा जिसको विष्णु जी ने सह न कर सके तथा धरती पर रचित होकर गिर पड़े उसे समय चारों ओर जाकर मच गया परंतु थोड़ी देर पश्चात विष्णु जी शिव जी के कृपा से पुणे वोट खड़े हुए इसी प्रकार बहुत देर पश्चात तक दोनों में युद्ध होता रहा परंतु दोनों में से कोई किसी को परास्त ना कर सका निदान विष्णु जी ने गणपति पर एक साथ असामख्या वाहनों की वर्षा की तथा अपनी विजय के विचार से अपना संघ बजाय इसके शंकर की ध्वनि सुनकर सब देवता लौटकर फिर युद्ध करने लगे फिर एक साथ सब देवताओं ने गणपति पर आक्रमण कर दिया परंतु गणपति ने गिरजा का स्मरण करके अपने मुखिया द्वारा सब देवताओं के शास्त्र अभ्यास कर डाले तथा इतने विवेक से अपने शस्त्र चलाएं जो किसी को दिखाई ना देते थे उसे समय समस्त देवता आश्चर्य चकित हुए पृथ्वी कांपने लगी तथा पर्वत हिलने लग ऐसा प्रतीत होता था कि आप पार्लर होने ही वाला है तब विष्णु जी सबको दुखी देख तथा प्रलय के जी देखकर तुरंत गणपति पर उठ पड़े तथा विवेक से दौड़कर गणपति का शिक्षा कर से काट डाला यह देखकर मैं तथा अन्य सभी देवता आदि निर्भय होकर अत्यंत प्रसन्नता हुई तथा  शिवजी की स्तुति करने लगे

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Brahma Ji said, O Narada, Shiv Ji, on hearing your words, got ready for the war with his best and most beautiful weapon. He got very angry and played his Damru along with Vishnu and other famous gods. On hearing the sound of Damru, all the gods who had fled from the battlefield after being defeated, started roaring bravely again. Vishnu Ji himself fought with Ganesh. The weapon that Vishnu brought on Ganapati like the fire of destruction, Ganesh Ji broke it into two pieces with his stick. Then Vishnu Ji, after fighting for a long time, said to Shiv Ji, O Lord, please kill me, I will kill you. Shiv Ji said, very good. Then Ganapati showed such bravery that all the gods turned their backs and fled from the battlefield. Seeing this, Vishnu Ji praised Ganesh with his mouth and said that I thank you a lot because till date no one has fought with us with such bravery. Vishnu Ji was just saying this when Ganapati picked up his Prayag and hit him, but Vishnu cut him with his Prayag. Then Ganapati hit a weapon on Vishnu's side, which Vishnu Ji did not tolerate. They could do this and fell on the earth and there was chaos all around but after some time Vishnu ji stood up with the grace of Shiv ji. Similarly, the war between the two continued for a long time but none of them could defeat the other. Finally Vishnu ji showered Asamakhya weapons on Ganapati and with the thought of his victory, he left his group. After hearing the voice of Shankar, all the gods returned and started fighting again. Then all the gods attacked Ganapati together but Ganapati remembered the Church and made his leader practice the scriptures of all the gods and used his weapons with such discretion that no one could see. At that time all the gods were surprised. The earth started trembling and the mountain started shaking. It seemed that a disaster was about to happen. Then Vishnu ji, seeing everyone sad and seeing the possibility of destruction, immediately got up on Ganapati and with discretion ran and cut Ganapati's head with his sword. Seeing this, I and all the other gods became fearless and were very happy and started praising Shiv ji.

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