ब्रह्मा जी ने कहा हे नारद वहां से लौटकर सहेलियों ने आंखों देखा सब हाल गिरजा को सुना दिया और कहा ना जाने शिव की क्या आदत है कि वह सदैव को समय आया करते हैं यह सुनकर उड़िया ने अपनी सहेलियों से कहा कि तुम गणपति से जाकर कह दो कि शिव इस समय किसी प्रकार भी भीतर न आने पे सहेलियों ने तुरंत ही किया आजा गणपति को जाकर सुना दी तब गणपति ने शिव जी के गानों से कहा कि मेरा आज्ञा के बिना बलपूर्वक तुम्हारा भीतर जाना संभव है मैं सब तरह से तैयार हूं तुम्हारी जो इच्छा हो शिव जी के गांड गणपति के ऐसे शब्द सुन दुखी हुए तथा शिव जी के पास जाकर उन्होंने सब वृतांत का सुनाया तब शिवजी ने कहा कि वह तो अकेला और तुम इतने हो सब एकत्र होकर उस युद्ध क्यों नहीं करते शिवजी इतना कह कर चुप हो गए हे नारद शिव जी की लीला कैसे अद्भुत है कि जो शिवजी केवल एक बार द्वारा ही संपूर्ण सृष्टि गुनाह कर सकते हैं वह इसी बात में है नाराज शिवजी क की लीला ऐसी अद्भुत है कि जो शिव केवल एक बार द्वारा ही संपूर्ण सृष्टि को नष्ट कर सकते हैं वहीं शिव अपने पुत्र के साथ लीला करके युद्ध की इच्छा रखते हैं वास्तु शिवजी क आज्ञा पाकर सब गांठ शास्त्र आदि लेकर गणपति के समीप पहुंचे और बोल ही बालक तुम क्या चाहता है अब तू जलकर भस्म हो जाएगा तब तक हमने तेरी तिहाड़ी सहन की परंतु आप सहन नहीं कर सकते यह सुनकर गणपति ने सहनशीलता पूर्वक उत्तर दिया तुम ऐसी बड़बड़ कर बातें क्यों करते हो तुम तो बड़े मालूम होते हो मैं तो एक आज्ञा बालक हूं मैं कभी किसी युद्ध को आंखों से देखा तक नहीं है और तुम अनेक युद्धों में भाग ले चुके हैं फिर भी मैं युद्ध से मुख ना मुरंगा शिवजी गिरजा पुत्र के इस बल एवं ढेरता को देखकर धन्य ध्यान में कहने लगे परंतु शिव के गानों ने यह सुनकर गणपति पर आक्रमण कर दिया दोनों ओर से घर युद्ध होने लगा शिवजी के गानों ने सुलबन आदि सब शास्त्र गणपति के ऊपर चलाएं परंतु गणपति ने उन्हें अपने दांत से ही काट डाला तब सबको युद्ध भूमि से भाग दिया शिव जी के गानों ने कहा ना जाने इस छोटे से बालक ने यह वीरता कहां से प्राप्त की है इसके पश्चात उन सब ने गणपति को पुरस्कार कहा कि अब तक तो हमने तुमको बच्चा समझ कर छोड़ दिया परंतु आप नहीं छोडेंगे यह कहकर उन्होंने गणपति पर अनेक शास्त्रों द्वारा आक्रमण किया गणपति ने भी उनकी आक्रमण का उत्तर दिया तब दोनों और से घर युद्ध हुआ परंतु वह पराजित होकर वहां से भाग गए तथा गणपति इस प्रकार द्वार पर बने रहे
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Brahma Ji said, O Narada, returning from there, the friends narrated the entire incident to Girija, who had seen it with their own eyes, and said, I do not know what is the habit of Shiva that he always comes at the right time. Hearing this, Udiya told her friends to go and tell Ganpati that Shiva should not come inside at any cost at this time. The friends immediately went and told Ganpati, "Come", then Ganpati told Shiva Ji's friends that is it possible for me to enter inside you forcefully without your permission, I am ready in every way, whatever you wish. Shiva Ji's friends were saddened to hear such words of Ganpati and went to Shiva Ji and narrated the entire incident, then Shiva Ji said that he is alone and you are so many, why don't you all gather together and fight that war. Shiva Ji became quiet after saying this, O Narada, how amazing is Shiva Ji's leela that the one who can destroy the entire creation by just one move, is in this matter. Shiva Ji's leela is so amazing that the one who can destroy the entire creation by just one move, Shiva, by performing leela with his son, started the war. After getting the permission of Lord Shiva, everyone reached near Ganpati with the knots and scriptures etc. and said, “Child, what do you want? Now you will be burnt to ashes. Till then we have tolerated your torture but you cannot tolerate it.” Hearing this, Ganpati replied with patience, “Why do you talk like this? You seem to be grown up. I am an obedient child. I have never seen any war with my eyes and you have participated in many wars. Still I am not going to turn my back on the war. Seeing the strength and courage of the son of Girja, Shivji started saying in his blessed meditation. But on hearing this, Shiv’s sons attacked Ganpati. A fierce battle started from both sides. Shiv’s sons used all the scriptures like Sulban etc. on Ganpati, but Ganpati bit them with his teeth. Then everyone ran away from the battlefield. Shiv’s sons said, “I don’t know from where this small boy has got this bravery.” After this, all of them told Ganpati that till now we have left you considering you as a child, but you will not leave us.” Saying this, they attacked Ganpati. But he attacked with many weapons; Ganapati also replied to his attack; then a fierce battle took place from both the sides, but he got defeated and ran away from there and Ganapati remained at the door.
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