श्री शिव महापुराण कथा चतुर्थ खंड अध्याय 22




नारद की इस शंका को सुनकर ब्रह्मा जी बोले हैं नारद कप भेद से दूसरी रीति से गणपति ने जिस प्रकार जन्म लिया उसे कथा को मैं तुम्हें सुनाता हूं जब शिव ने गिरजा के साथ विवाह किया तथा उनका घर ले आए तो डेटियों का वध करने के पश्चात बिहार में सल्लग्न हुए तब सहयोग से एक दिन वीजा की सहेलियों ने उन्हें यह कहा कि देखो शिव के आश्रम के गांड है परंतु तुम्हारे एक भी नहीं है यह डीपी शिव के ज्ञान तुम्हारे अधीन है परंतु तुम भी कोई गण उत्पन्न करो उनको अपने द्वारा का द्वारपाल बना जिससे उसे घर की रक्षा के द्वारा किसी अन्य गन का अंदर आने जाने का कोई भय ना रहे तब गिरिजा ने प्रसन्न होकर या कहा सखियों समय आने पर ऐसा ही होगा यह नारद एक बार गिरजा नदी को द्वार पर रक्षा के निर्माता बैठा अपना स्नान करने गए उसे समय शिवजी लीला करके द्वार पर आए तथा इच्छा कि हम अंदर जाएं परंतु नदी ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया तब शिवजी नदी को धमाका अंदर चले गए गिरजा शिवजी की ऐसी दशा देख अन्य स्त्रियों की भांति उत्पन्न लज्जित हुए तथा लज्जावास अपने शरीर को छुपाती हुई भाग गई उसे समय उन्होंने अपने सहेलियां के वचन का स्मरण किया फिर कई दिन के पश्चात गिरजा नहीं इच्छा की की ऐसा गाना उत्पन्न होना चाहिए जो मेरे अधीन होता था अंत बलवान पराक्रमी और शिव के गांड से भी अधिक तेजस्वी हो यह विचार कर गिरिजा ने अपने शरीर से माल निकाला एवं मूर्ति उत्पन्न की तथा उसे गणपति नाम देकर जीवन दान दिया वह बालक अत्यंत सुंदर रूप के सागर के समान उत्पन्न हुआ उसे समय गिरजा अत्यंत प्रसन्न होते हुए बोली कि तुम हमारे पुत्र तथा श्रेष्ठ गण हो फिर उसके साथ लाड प्यार किया तथा अत्यंत प्रसन्न होकर भूषण एवं वस्त्र दिए तब गणपति ने गिरजा को प्रणाम करते हुए कहा है माता आप जो काम मुझे सौंपेंगे मैं उन्हें भली भांति पूरा करूंगा यह सुनकर गिर जाने कहा है पुत्र तुम हमारे द्वारपाल हो जाओ हमारी आजा बिन कोई भी अंदर ना आने पे इतना कह कर गिरिजा ने गणपति को हृदय से लगाकर द्वार पर बैठा दिया हे नारद गणेश जी गिरजा के आदेश अनुसार हाथ में डंडा लेकर द्वार पर बैठे ताड़ूपरान गिर जाने स्नान कर विचार कर सब सेवकों से सामग्री एकत्र करने को कहा तथा स्नान करने के लिए बैठी इतने में ही शिवजी गानों सहित वहां पहुंचे उन्होंने घरों को बाहर छोड़कर अंदर जाने की इच्छा की परंतु गणपति में उनको रोकते हुए कहा कि अभी अंदर जाने का समय नहीं है क्योंकि इस समय मेरी माता स्नान कर रही है यह क्या करूं उन्होंने अपने डंडे को आगे घर शिव जी को आगे बढ़ने स रोक दिया तब शिवजी ने उनसे कहा कि तुम कौन हो जो मुझे नहीं पहचानते तथा मुझको भीतर नहीं जाने देते हम गिरजा के पति शिव विश्व मंदिर के स्वामी है तुम इसके पुत्र हो या खाकर शिवजी अंदर को चले यह देखकर गणपति ने तुरंत ही अपना डंडा शिवजी को मारा तथा कहा तुम कौन सी हो और किस कार्य के लिए हमारी माता के पास जाते हो हम बिना अपने माता की आज्ञा के किसी को भी चाहे वह कोई भी क्यों ना हो अंदर नहीं जाने देंगे परंतु शिवाजी इन शब्दों की कोई भी चिंता ना कर अंदर जाने लगे तब गणपति ने पुनः उसको दंड मारा तब उन्होंने अपने सब वाहनों को बुलाए गानो और कहा कि तुम जाकर इस पूछो कि यह कौन है शिवजी की आज्ञा अनुसार गणों ने आकर गणपति से पूछा तो गणपति ने उत्तर दिया कि हम गिरजा के पुत्र हैं तुम लोग कौन हो जो हमसे यह पूछने आए हो या सुनकर गणपति ने गिरजा से सारा वृत्त दान करते हुए कहा हे प्रभु वह से नहीं उठाता तब शिव जी ने गणपति को यह आज्ञा दी कि तुम इसे द्वारा से हटा दो उसे समय गणपति गणों ने गणपति को उठाने का बहुत प्रयत्न किया परंतु वह ना उठे परस्पर झगड़ा होने लगा इसी समय शिव जी वहां आ गए तथा भीतर से गिरजा ने भैया कोलाहल सुनकर अपनी सहेलियों को भेजते हुए कहा कि तुम वहां जाकर देखा कि वहां क्या हो रहा है

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On hearing this doubt of Narad, Brahma Ji said, Narad, I will tell you the story of how Ganapati was born in a different way from the cave. When Shiv married Girija and brought her home, then after killing the demons, he got involved in Bihar. Then one day, Girija's friends told her that look, Shiv's ashram has Ganas but you don't have any. This Ganas of Shiv is under your control, but you also create a Ganas and make them gatekeepers of your house, so that there is no fear of any other Ganas coming in and out of the house's protection. Then Girija said to her friends, when the time comes, this will happen. Once, Girija was sitting at the gate of the river to take a bath. At that time, Shivji came to the gate after performing a leela and wanted to go inside, but the river stopped him from going inside. Then Shivji went inside the river. Seeing Shivji in such a state, Girija was born like other women and out of shame, hiding her body, ran away. Then after many days Girija wished that a boy should be born who would be under her control and would be strong, powerful and more radiant than Shiva's ass. Thinking this, Girija took out the material from her body and created an idol and gave it life by naming it Ganapati. That boy was born like an ocean of very beautiful form. Then Girija was very happy and said that you are our son and the best Gana. Then she pampered him and being very happy gave him ornaments and clothes. Then Ganapati bowed to Girija and said that mother, whatever work you will entrust me with, I will complete it well. Hearing this, Girija said that son, you become our gatekeeper. Come, without us no one should come inside. Saying this, Girija hugged Ganapati and made him sit at the door. O Narada Ganesh ji, as per the order of Girija, sat at the door with a stick in his hand. After taking bath, Girija asked all the servants to collect the material and sat down to take bath. Meanwhile, Shiva reached there with the boys and he opened the doors of the houses. He wanted to leave and go inside but Ganapati stopped him saying that it is not the time to go inside because my mother is taking bath at this time, what should I do? He stopped Shiv Ji from going ahead with his stick. Then Shiv Ji said to him that who are you that you do not recognize me and do not let me go inside. I am the husband of Girja, the owner of Shiv Vishwa Mandir. Are you his son? Seeing this, Shiv Ji went inside. Seeing this, Ganapati immediately hit Shiv Ji with his stick and said who are you and for what work are you going to our mother. We will not let anyone go inside without our mother's permission, no matter who he is. But Shiva Ji did not care about these words and started going inside. Then Ganapati again hit him with a stick. Then he called all his vehicles and said that you go and ask this person who is this. As per Shiv Ji's order, Ganas came and asked Ganapati. Ganapati replied that we are the sons of Girja. Who are you people that you have come to ask this from us? Hearing this, Ganapati donated the whole story to Girja. He said, O Lord, he is not getting lifted from there. Then Shiv Ji ordered Ganpati to remove him from the door. At that time, Ganpati's followers tried a lot to lift Ganpati, but he did not get up and they started quarrelling among themselves. At that time, Shiv Ji came there and from inside, Girja, hearing the noise, sent her friends and said that you go there and see what is happening there.

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