ब्रह्मा जी बोले हैं नारद देवताओं ने शिव जी से कहा है सदाशिव आप हमारे दुखों को दूर कीजिए इस समय डेटियों ने अत्यंत बाल एवं तेज प्राप्त कर हम सबको बहुत दुखी कर रखा है अब हम से यह कास्ट सही नहीं जाते इसलिए हम आपकी शरण में आए हैं यह सुनकर शिवजी बोल ही देवताओं मुझे तुम्हारा सब दुख कष्ट मालूम हो गया है परंतु त्रिपुर के असुर बड़े धर्मात्मा एवं डाटा है इन्हीं गुना के कारण वह सब आनंद पूर्वक रहते हैं संसार में पुणे के समान और कोई अन्य वस्तु इतनी आनंददायक नहीं है जब तक उनका पूर्ण बुद्धि पर है तब तक हुए मारे नहीं जाएंगे हमको यह उचित नहीं है कि हम अपने भक्तों को बिहार थी नष्ट कर देगा इसके साथ ही हमारी तुम हमारे कस्टम भी नहीं दिखाई दे दिखाई जाते क्योंकि जो हमारे शरण में आता है हम उसकी अवश्य ही रक्षा करते हैं इससे तुमको आप यही उचित है कि तुम विष्णु के पास जाकर अपने सब दुखों को कहो ही नारा दिया सुनकर सब देवता शिव जी के आदेश अनुसार विष्णु जी के पास गए उन्होंने स्तुति करने के पश्चात अपने दुख उनसे कहे तथा हर प्रकार से विष्णु जी की पूजा में प्रेरित हुए तब विष्णु जी ने देवताओं की बिनती सुनकर वेद एवं शास्त्रों के अनुसार यह उत्तर दिया है देवताओं 57 में शिव की भक्ति एवं पूजा पूर्ण प्रदान करने वाली है शिवजी की पूजा होने वाले स्थान पर कोई दो या कष्ट नहीं रहा सट्टा देवताओं ने यह सुनकर दुखी हो निवेदन किया है देवताओं के स्वामी इस समय हम सब दुखी तथा अधीर हैं यह बात स्पष्ट है कि जब तक त्रिपुर के असुर जीवित रहेंगे हमको कभी भी शांति नहीं मिलेगी अब आप ही बताएं कि हम सब कहां जाएं या तो आप हम सबको बिना मृत्यु के मर डालिए या त्रिपुर का नाश कीजिए इन दोनों कामों में से एक काम करके आप हमारे कासन को दूर कीजिए जिससे आपको भी प्रसन्नता हो हम सब शिव जी के आदेश अनुसार ही प्रसन्न होकर आपके पास आए हैं यह कहकर सब देवता चुप हो गए तब विष्णु जी ने शिव जी की आज्ञा का विचार कर सोचा कि किसी न किसी प्रकार हैं देवताओं का दुख अवश्य दूर करना चाहिए फिर शिव जी का ध्यान धरकर उन्होंने यज्ञ गानों को स्मरण किया तब यज्ञ के भीतर से मैक पति उत्पन्न होकर विष्णु जी की स्तुति करने लगी उसे समय विष्णु जी देवताओं से बोले है देवताओं अब तुम सब उनकी पूजा करो देवताओं ने इस समय प्रसन्न होकर शंखनाद किया तथा मग अर्थात यज्ञ करके मग पति का ध्यान धरते हुए उनके पवित्र स्तुति की तब माफ पति प्रसन्न होकर विष्णु जी की स्तुति करने लगे उसे समय विष्णु जी ने देवताओं से कहा है देवताओं त्रिपुरा और तुम्हारे ऐसे पर्यटन द्वारा नहीं मारे जा सकते जिनके दर्शन मात्र से ही पाप नष्ट हो जाते हैं मत पति उनका क्या कर सकता है वह शिवजी के वरदान द्वारा ही संसार में सबसे अधिक आनंद भोग कर रहे हैं ही देवताओं संसार में ऐसा कौन है जो शिव जी के भक्ति का विनाश कर सके शिव जी ने केवल संसार की भलाई की निर्माता ही अवतार लिया है उनके एक ही अंश की पूजा के फल स्वरुप देवताओं ने कैसा पद प्राप्त किया है इससे तुम जानते हो ब्रह्मा ने भी उसकी सेवा करके ही यह पद पाया है तथा मुझको भी पालन करने की शक्ति तथा बधाई उन्हीं से प्रसन्न होकर प्रदान की है इसलिए हम कहते हैं कि त्रिपुरा और केवल शिवजी की पूजा करने से ही मारे जा सकते हैं
TRANSLATE IN ENGLISH
Brahma Ji said that Narad Gods have said to Shiv Ji that Sadashiv you should remove our sorrows, at this time the demons have become very tall and strong and have made us all very sad. Now we cannot tolerate this, that is why we have come to your shelter. On hearing this Shiv Ji said that Gods, I have come to know all your sorrows and pains, but the demons of Tripura are very religious and wise, due to these qualities they all live happily, there is no other place in the world as pleasurable as Pune, as long as their wisdom is at its peak, they will not be killed, it is not right for us that we will destroy our devotees, along with this our customs are also not visible because whoever comes to our shelter we definitely protect him, hence it is right for you to go to Vishnu and tell him all your sorrows. On hearing this slogan all the gods went to Vishnu Ji as per the order of Shiv Ji, after praising him they told him their sorrows and got inspired to worship Vishnu Ji in every way, then Vishnu Ji, after listening to the request of the gods, gave this answer according to Vedas and scriptures. 57. Devotion and worship of Shiva is going to provide complete salvation. There is no doubt or pain at the place where Shiva is worshipped. The gods became sad on hearing this and requested, “O Lord of the gods, at this time we are all sad and impatient. It is clear that as long as the demons of Tripura are alive, we will never get peace. Now you tell us where we should all go. Either you kill us all without death or destroy Tripura. By doing one of these two things, you remove our sorrows, so that you also feel happy. We all have come to you happily as per the orders of Lord Shiva. Saying this, all the gods became silent. Then Vishnu ji thought about the order of Lord Shiva and thought that somehow the sorrows of the gods must be removed. Then meditating on Lord Shiva, he remembered the yagya songs. Then from within the yagya, Makpati appeared and started praising Vishnu ji. At that time Vishnu ji said to the gods, now all of you worship him. At this time, the gods became happy and blew the conch and while meditating on Magpati, performed the yagya and praised him. Then the Gods got happy. Being pleased, they started praising Lord Vishnu. At that time, Lord Vishnu said to the Gods that Gods, Tripura and yours cannot be killed by such a person whose mere sight destroys sins. What can a God do to him? He is enjoying the most pleasures in the world only because of the blessings of Lord Shiva. Gods, who is there in the world who can destroy the devotion of Lord Shiva? Lord Shiva has taken incarnation only for the welfare of the world. As a result of worshipping just one part of him, what position have the Gods attained? From this, you know that Brahma has also attained this position by serving him and he has also given me the power to protect and blessings after being pleased with him. That is why we say that Tripura and yours can be killed only by worshipping Lord Shiva.
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