हे नारद मैं देवताओं कैसे वचन सुनकर कहा है देवताओं उन्होंने मेरी आराधना तथा कठोर तप करके मुझे इस प्रकार का वरदान प्राप्त किया है मैं उनको वेद के विरुद्ध कैसे मार सकता हूं वह शिवजी की कृपा द्वारा अनेक प्रकार से आनंद प्राप्त करते हैं शिव जी के भक्तों पर किसी भी शास्त्र का प्रभाव नहीं हो सकता उसकी आराधना को त्यागने से प्रत्येक व्यक्ति नष्ट हो जाता है मैं तुम लोगों को इसी वर्णन के अनुसार एक इतिहास सुनाता हूं ही देवताओं रावण जो शिवजी का परम भक्त हुआ है उसका कोई भी वध ना कर सका विष्णु का चक्र भी पंडित होकर रावण का सिर काटने में असमर्थ रहा उसे समय आकाशवाणी हुई की है विष्णु यदि रावण किसी कारणवश शिव की सेवा छोड़कर उसके विरुद्ध हो जाए तो नहीं संदेश शिवजी उसक सहायता ना करेंगे इसलिए तुमको यही उचित है कि अवतार लेकर शिव जी का नाम जपो जब शिवजी प्रसन्न होकर तुमको अपना बाढ़ देंगे तब इस बैंड से तुम्हारी हाथों रावण की मृत्यु होगी उन्होंने सीता को प्राप्त किया इसका तपस्या यह है कि हम सब मिलकर शिवजी की शरण में चले और उसके चरण पकड़ कर उन्हें प्रसन्न करें तथा उसकी महिमा का वर्णन करें यह निश्चय कर में समस्त देवताओं सहित शिवजी के पास पहुंचूंगा हम सब ने पाक पाक पर जय जय कर तथा बड़ी स्तुति की और यह कहा हे प्रभु जब जब देवताओं पर कोई संकट पड़ा है तब-तब अपने ही उनका दुख दूर किया है अब आप हम पर पुणे दया दृष्टि कीजिए
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O Narada, I have heard the words of the gods. Gods, they have worshipped me and done severe penance and have got such a boon from me. How can I kill them against the Vedas? They get bliss in many ways by the grace of Lord Shiva. No scripture can have any effect on the devotees of Lord Shiva. Every person who abandons his worship gets destroyed. I tell you a story according to this description. Oh Gods, no one could kill Ravana who was the ultimate devotee of Lord Shiva. Even Vishnu's chakra was unable to cut Ravana's head. At that time, an Akashvani (voice from the sky) said that Vishnu, if Ravana for any reason leaves Shiva's service and turns against him, then Shiva will not help him. Therefore, it is appropriate for you to take incarnation and chant Shiva's name. When Shiva will be pleased and give you his blessings, then Ravana will die at your hands. He got Sita. The penance for this is that we all should go to Shiva's shelter and please him by holding his feet and describe his glory. Deciding this, I will reach Shiva along with all the gods. We all chanted Jai Jai on Shiva and said a lot. He praised him and said, O Lord, whenever the gods have faced any problem, you have removed their pain, now please have mercy on us.
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