सूट जी बोले है शंकर नारद जी ने ब्रह्मा जी से कहा है पिता आप मुझे यह बताएं कि सदा शिवजी ने दे क्यों का किस प्रकार नाश किया ब्रह्मा जी बोले हैं नारद जब स्कंध ने तारकासुर का वध करके देवताओं को आनंद प्रदान किया उसे समय टप पानी तार कक्ष तथा कमल अक्ष नमक धारक ने तीनों पुत्र कठिन तपस्या में प्रभावित हो गए हुए मेरे ध्यान में पहले एक पाव से खड़े रहे फिर 100 वर्ष तक केवल जल पीकर तब करते रहे एक सहस्त्र वर्ष तक हुए अंगूठे के बाल खड़े रहे उसे समय मैं उन्हें जाकर कहा है तर्क के पुत्रों मैं तुम्हारे तब से अत्यंत प्रसन्न हो तुम अपनी इच्छा अनुसार वह मांगो तब तीनों दैत्य ने मुझे यह कहा ही ब्रह्मांड यदि आप हमसे प्रसन्न है तो हमको यह वार दीजिए कि हम किसी के हाथ से ना मारे जाएं तब मैं उनसे बोला कि तुम मुझे यह वरदान मत मांगो इसके अतिरिक्त अपनी इच्छा अनुसार कोई भी वस्तु मांगो यह सुनकर उन तीनों दैत्य पुत्रों ने विचार कर कहा कि यदि यही इच्छा है तो इस स्थान पर एक नगर की स्थापना हो जहां आपकी मूर्ति स्थित हो इसके अतिरिक्त हम तीनों के लिए अलग-अलग एक-एक नगर और तैयार हो जाए जो एक-एक सहस्त्र कोर्स के अंतर पर हो हुए तीनों नगर हर प्रकार से सामान्य हो जो कोई उन तीनों नगरों में एक ही बाढ़ से नष्ट करें वही हमारा वक्त करने में समर्थ हो मैं यह सुनकर कहा अच्छा तुम्हारी इच्छा अनुसार यही होगा फिर मैंने उसे समय मय दानव को बुलाकर एक से तीन नगर निर्माण करने की इच्छा दी और वहां से चला गया हे नारद मैदाने ने मेरी आज्ञा अनुसार तीनों नगर का निर्माण किया प्रत्येक नगर 100 योजन पड़ा था उसमें स्वर्ग से भी अधिक आनंद था मैंने कम से तीनों भाइयों को तीनों नगर बांट दिए हुए तीनों अपने-अपने नगर में आनंदपूर्वक निवास करने लगे तीनों लोकों में ऐसी कोई वस्तु न थी जो उन लोगों को उपलब्ध न हो उनके पास संख्या सी थी प्रत्येक के घर में शिवालय बने हुए थे उन जिसमें सब लोग शिवजी का पूजन करते थे प्रतिदिन हवन एवं यज्ञ हुआ करते थे वह तीनों दैत्य्या भी शिवजी के परम भक्त थे वहां यह नियम था कि कोई व्यक्ति बिना शिवजी की पूजा किया भोजन नहीं कर सकता था क्योंकि उन तीनों दैत्य ने वहां इस बात को घोषणा कर दिया थी कि सब लोग नित्य नियम से शिवजी का पूजन करें इसके अतिरिक्त उन नगरों में वेद पुराण के मत के प्रति फूल कभी कोई भी बात धर्म के विरोध नहीं होने पाए वहां ब्राह्मण रात दिन शिव के नाम का जाप किया करते थे जब उन व्यक्तियों का तेज बढ़ने लगा तब देवता लोग घबराकर बहुत दुखी हुए उनके शरीर में जैसे आग लग गई उसे समय सब मिलकर मेरी शरण में आए तथा बोल ही ब्राह्मण अब सब देवता त्रिकोण के तेज से जले जाते हैं
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Sut ji said Shankar Narad ji said to Brahma ji father you tell me how did Lord Shiva destroy the demons. Brahma ji said Narad when Skandha killed Tarakasur and gave joy to the gods at that time all the three sons of Tarka and Kamal Aksha and Namak Dharak were impressed by the tough penance and first stood on one foot in my meditation then kept drinking only water for 100 years and then kept doing that for one thousand years the hair of the thumb stood on end. At that time I went to them and said sons of Tarka I am very happy with you since then you can ask for whatever you want. Then all the three demons said to me universe if you are happy with us then give us this boon that we should not be killed by anyone's hands. Then I said to them that you should not ask for this boon from me, apart from this ask for anything according to your wish. Hearing this those three demon sons thought and said that if this is the wish then a city should be established at this place where your idol should be situated, apart from this one more city should be made for the three of us which should give one thousand rupees each. All the three cities situated at a distance of 100 yojnas should be normal in every way. Whoever destroys all the three cities with a single flood should be able to save us. On hearing this, I said, "Okay, it will happen as per your wish." Then I called the demon Samay and gave him the wish to build three cities from one and went from there. O Narada, the demon built all the three cities as per my order. Each city was spread over 100 yojnas. It was more joyous than heaven. I divided all the three cities among the three brothers. All the three started living happily in their cities. There was no such thing in the three worlds which was not available to them. They had a number of Shiva temples in each of their houses. In which all the people used to worship Lord Shiva. Everyday, Havan and Yagya used to be performed. Those three demons were also great devotees of Lord Shiva. There was a rule there that no person could eat without worshipping Lord Shiva because those three demons had announced there that all the people should worship Lord Shiva regularly. Apart from this, no one ever spoke against the opinion of Vedas and Puranas in those cities. To prevent any opposition to religion, the Brahmins used to chant the name of Shiva day and night. When the brilliance of those people started increasing, the gods became frightened and very sad. It was as if their bodies were on fire. At that time, everyone together came to me and said, "Now all the gods are being burnt by the brilliance of the triangle."
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