श्री शिव महापुराण कथा चतुर्थ खंड अध्याय 9 का भाग 2



हे नारद देवताओं को इस प्रकार भयभीत देखकर स्कंद ने हंसकर कहा है देवताओं मुझको अपना पराया कुछ भी नहीं पता है मैं तो अभी लड़का हूं अभी तक मैं इस बात की परीक्षा करता रहा कि मैं किसके साथ युद्ध करूंगा यद्यपि में धनुष विद्या बिल्कुल नहीं जानता है नारद तुमने इस काम के ऐसे वचन सुनकर कहा है महाराज आप तो शिव से उत्पन्न हुए हो सृष्टि के रक्षक देवताओं को आप ही से सुख की प्राप्ति होगी आप बालक युवा वृद्ध नहीं है तारक ने देवताओं को जीत कर उन्हें बड़े-बड़े दुख पहुंचा हैं इसलिए आप आपको तारक का वध शीघ्र कारण डालना चाहिए इसका पहले तो हमसे परंतु बाद में क्रोधित हुए तब विमान छोड़कर अपनी शक्ति सहित धारा की ओर पैदल के दौड़ पड़े यह देखकर तारक ने हंस कर इस प्रकार कहा कि देवताओं ने इस बालक की भाषा पर ही अपने बाल को नष्ट कर दिया है वास्तव में यह सब बुद्धिहीन है मुझको निश्चय है कि मैं समस्त देवताओं को मार कर नाश्ता कर डालूंगा ऐसा जाकर तारक हाथ में शक्ति लिए हुए इस काम से युद्ध करने के लिए चला हुआ देवताओं से बोला है देवताओं तुमने इस बालक को युद्ध स्थल में अगवा बनाया है अब मैं तुमको इसका फल देता हूं तुम सब जिसकी आशा पर निर्भर करते हो वह मेरे भाई से यहां से भाग जाएगा छोटा भाई विष्णु तो चल में अद्वितीय एवं माया दिखने में भी सख्त है इसने बाली के साथ वामन रूप में बड़ा छल किया तथा मधु कैंटन का शीश छत करके काट डाला फिर अमृत बांटने के समय भी मोहिनी रूप में विशेष छल किया इसने वेद के विरुद्ध स्त्रियों को मार डाला तथा बाली के वध में भी रामचंद्र रूप में इसमें धर्म का कुछ विचार नहीं किया रावण को ब्राह्मण जाति का था और उसको मारना वेद में निशक्त है इसी ने मार डाल तथा अपनी स्त्री सीता को निष्पाप त्याग दिया इसने कृष्ण रूप में पर स्त्रियों के साथ भोग करके वेद की रीति को त्याग दिया और अनुचित रीति से विवाह कर काली युग की कर चला कर बड़ा धर्म किया इसी प्रकार बुद्धि रूप में सब वेदों की निंदा करके इस विष्णु ने कुछ भी विचार नहीं किया मुझे आश्चर्य है कि मेरे मनुष्य के बल पर तुम देवताओं ने युद्ध करने का प्रयास किया है ही नारा देश के पश्चात तारा केंद्र की निंदा करते हुए बोला है देवताओं इंद्र तो बहुत ही बड़ा एवं आनाचारी है उसने अपने पिता के लड़के को ड्यूटी के गैरों से गिरा दिया तथा केवल सांसारिक आनंद के निर्माता ऐसे कार्य करते हुए धर्म का ज्ञान विचार ना किया इसने गौतम की स्त्री से भोग किया तथा व्रत नामक ब्राह्मण का वध कर डाला सांसारिक आनंद के निर्माता किसने कौन-कौन से आधार नहीं किया इस समय भी इसने इस छोटे से लड़के को युद्ध भूमि में अगवा बनाया जो अभी मेरे हाथों से मर जाएग या पाप भी इसी पर पड़ेगा अन्यथा या लड़का भाग जाएगा इस प्रकार देवताओं से उनकी निंदा करते हुए तर्क फिर इस काम से बोला यह बालक तुम भी अर्थ अहंकार मत करो यहां तुम्हारी कुछ ना चलेगी जो मनुष्य ब्राह्मण का अपमान करता है उसके ध्यान धर्म बल आदि कुछ शेष नहीं रहते यह कहकर उसने अपनी शाम उठवाई हे नारद इस प्रकार कहते हुए तर्क की शक्ति छेद हो गई क्योंकि बड़ों की निंदा तथा उसके कर्म करने में तुरंत ही शक्ति चेंज हो जाती है यह नारद होता वही है जो सदाशिव की इच्छा होती है संसार में ऐसा कौन है जिसकी बुद्धि शिव जी की माया से समझ ठीक रह सकती है निदान तारक में अपने चुने हुए श्रेष्ठ वीरों को सी अध्यक्ष बनाकर सी को पीछे रखा तथा वह स्वयं इस कांत तथा इंद्र के समझ आ गया

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O Narada, seeing the gods so frightened, Skanda laughed and said, Gods, I do not know anything about mine and others. I am still a boy. Till now I have been testing that with whom I will fight, although I do not know the art of archery at all. Narada, on hearing such words of this Kama, you have said, Maharaj, you are born from Shiva. The protectors of the universe, the gods will get happiness from you only. You are not a child, young or old. Tarak has defeated the gods and caused them great sorrows. Therefore, you should kill Tarak soon. The reason for this was that he first told me but later he got angry and then leaving the plane, he ran towards the stream on foot with his Shakti. Seeing this, Tarak laughed and said that the gods have destroyed their childhood on the language of this child. In fact, all of them are foolish. I am sure that I will kill all the gods and have breakfast. Tarak, taking Shakti in his hand, went to fight with this Kama and said to the gods, Gods, you have kidnapped this boy in the battlefield. Now I give you the reward for this. The one on whose hope you all depend, he will leave my brother from here. Younger brother Vishnu is unique in movement and is also strong in looking like an illusion. He cheated Bali in the form of Vaman and cut off the head of Madhu Canton. Then at the time of distributing Amrit, he cheated in the form of Mohini. He killed women against the Vedas and even while killing Bali, in the form of Ramchandra, he did not think of religion. Ravana belonged to the Brahmin caste and killing him is prohibited in the Vedas. He killed him and abandoned his wife Sita without any sin. He, in the form of Krishna, by having sex with other women, abandoned the customs of Vedas and by marrying in an inappropriate way, he followed the customs of Kali Yuga and did a great religion. Similarly, in the form of Buddhi, this Vishnu did not think anything by condemning all the Vedas. I am surprised that you gods have tried to fight a war on the strength of my human. After Nara Desh, he said while condemning Tara Kendra. Gods, Indra is very big and immoral. He made his father's son fall from the duty and while doing such acts, he was only a creator of worldly pleasures. He did not think of the knowledge of religion. He killed Gautam's wife. He enjoyed with him and killed a Brahmin named Vrat, who did not do all kinds of things, the creator of worldly pleasures, even at this time he kidnapped this small boy in the battlefield, who will die by my hands right now or the sin will also fall on him, otherwise this boy will run away, thus criticizing the gods, Tark again said to this work, this boy, you also should not be arrogant, you will not be able to do anything here, the person who insults a Brahmin, his meditation, religion, power etc. are left, saying this he got up, O Narad, saying this the power of Tark got pierced because the power changes immediately in criticizing the elders and in doing his deeds, this Narad is the one who is the wish of Sadashiv, who is there in the world whose intelligence can remain correct due to the illusion of Lord Shiva, ultimately in Tarak, he made his chosen best heroes the president and kept them behind and he himself came to the understanding of Kant and Indra

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