हे नाथ युद्ध भूमि का ऐसा दृश्य देखकर तारकासुर ने बड़े विवेक से इंद्र के ऊपर आक्रमण किया तथा उसके हृदय से सॉन्ग भरी सॉन्ग के आघात से इंद्र हाथी से धरती पर गिर पड़े इसी प्रकार की पति भी देते क्यों से पराजित होकर भाग चल कोई भी युद्ध में व्यक्तियों के सम्मुख खड़ा ना रह सका इस प्रकार देवताओं की पर आ जाए देखकर मौजूद कुंड ने सोचा कि अब मुझे देवताओं की सहायता करनी चाहिए मैं शिव जी का उपासक हूं और वह मेरे सहायक हैं यह सोचकर मुकुंद तारक देखने समझ आया फिर बड़ी देर तक हुए युद्ध करते रहे परंतु दोनों में से कोई किसी को प्रार्थना कर सका अंत में कोई उपाय न देख मुझको ने तलवार से हाथ में लेकर तर्क देते की हृदय पर प्रहार किया यह देख तारक में हंस कर कहा है मुझे कौन तुम मनुष्य हो तुम्हें तुम्हारे साथ युद्ध करने करने में लज्जा आती है मुझे बड़ा खेत है कि तुमने मेरे ऊपर जी शास्त्र का प्रहार किया है उसका मुझ पर कोई प्रभाव न पड़ थे मुकुंद ने उत्तर दिया है असुर राज में अब शिवजी की कृपा से तुझको जीवित नहीं छोडूंगा ऐसा कौन सा देते हैं जो मेरे समझ खड़ा होकर मेरे प्रहार को सह सके यह कह कर मौजूद सन ने तर्क ने ऊपर एक और 80 मेरी अभी वह ऐसी तर्क के लगती तक न थी कि उसे तुरंत सॉन्ग मार कर मौजूद चांद को घायल कर पृथ्वी पर गिरा दिया यह देख मुख्य चांद ने पृथ्वी से उठा अत्यंत क्रोधित हो तर्क के वाद का विचार कर अपने धनुष को हाथ में लिया और ब्रह्मास्त्र चलाया ब्रह्मा जी बोले हे नारद यह देखकर तुमने भूकंप को मना किया और समझाया किया तुम्हारे हाथ से नहीं मरेगा इसकी मृत्यु मनुष्य के हाथ से नहीं है इसको तो केवल स्कंद ही मारेगा जहां अपना कोई वास न चले वहां शांत रहना ही उत्तम है यह कहकर तुम सब देवताओं सहित इसका जी की सेवा में पहुंचे तथा उसकी स्तुति एवं पूजा करने लगे देवताओं को ऐसा करते देख डेटियों ने अत्यंत क्रोधित होकर घोरनाथ के साथ वार्डों की वर्षा की ताबीरभद्र क्रोध आवेश में भरकर युद्ध भूमि में उपस्थित हुई
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O Nath, seeing such a scene of the battle field, Tarakasur attacked Indra with great wisdom and with the blow of the sword filled with his heart, Indra fell down from the elephant on the ground. Similarly, the demons also got defeated and ran away. No one could stand in front of the people in the war. Seeing this, the wings of the gods were broken, the demon thought that now I should help the gods. I am a worshipper of Lord Shiva and he is my helper. Thinking this, Mukund and Tarak understood. Then they fought for a long time, but none of them could pray to anyone. In the end, seeing no solution, Tarak took the sword in his hand and attacked the heart of Tarak. Seeing this, Tarak laughed and said, “Who are you, a human being? I feel ashamed to fight with you. I am very sorry that the weapon that you have attacked me with has had no effect on me.” Mukund replied, “Now in the demon kingdom, with the grace of Lord Shiva, I will not leave you alive. Who is the one who can stand with me and bear my attack?” Saying this, the demon Tarak took another sword and attacked. 80 Mary, she had not even started to believe in such an argument, that she was immediately hit by a sword and the moon present there was injured and fell on the earth. Seeing this, the main moon got up from the earth and became very angry, and after thinking over the logic, took his bow in his hand and fired the Brahmastra. Brahma ji said, O Narada, seeing this, you stopped the earthquake and explained that he will not die at your hands, his death will not be at the hands of a human being, only Skanda will kill him, it is best to remain calm where one's own people do not live, saying this, you along with all the gods, went to serve him and started praising and worshiping him. Seeing the gods doing this, the goddesses became very angry and showered arrows along with Ghornath. Tabeerbhadra, filled with anger, appeared on the battlefield.
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