श्री शिव महापुराण कथा चतुर्थ खंड अध्याय 7का भाग दो



हे नाथ तारकासुर के ऐसे वर्ग पूर्ण वाक्य सुनकर तुमने क्रोधित होकर उत्तर दिया यह तर्क अहंकार सदैव दुखदाई होता है तुमने जिस मोचुकुंद का वर्णन किया है वह शिवजी के परम भक्त हैं शिवजी उसके सहायक हैं जिसके ऊपर शिवजी कृपा करते हैं वह देवताओं मुनीश्वरों तथा मनुष्यों से अधिक शक्तिशाली होता है तुम जिसको दूध पीता बालक समझते हो वह तो प्रलय कार्य शिव कहीं रूप स्वरूप है तब तारक ने क्रोधित होकर तुमसे फिर कहा है नारा तुम वीरों के बल के विषय में क्या जानते हो तुम तर्क के मुख से यह वचन सुनकर तुरंत ही उसकी सभा से उठकर मेरे यहां चले आए तथा विष्णु जी और मुझे यह सब बातें कहीं तुमने यह भी कहा कि यह बालक तारकासुर पर अवश्य विजय प्राप्त करेगा तथा मेरा या वचन सत्य है कि शिवजी का यह लड़का तीनों लोक में निर्भय है ही नारा तुमने इस वचन को सुनकर हम सब अत्यंत प्रसन्न हुए तथा युद्ध की इच्छा से शिवजी का ध्यान कर उठ खड़े हुए इस्कान को सेनापति बनाकर इंद्र के हाथी पर चढ़ना तथा सब लोकपाल एकत्रित हो गए रानफेरी दूरबीन वृद्धि वीणा वीणा आदि युद्ध के बजे बजने लग तथा नित्य गण होने लगा इस स्कंद इंद्र को हाथी सौंप कर स्वयं विमान पर सवार हुए तब चारों ओर से शिव जी के पुत्र के पुत्र वहां जय जयकार हुआ वरुण इंद्र एनल यमराज कुबेर ईशान आदि अटो अधिक पतियों अपनी सुना सहित युद्ध के लिए तत्पर हो गए विष्णु जी ने शिवजी का ध्यान कर आनंद प्राप्त किया उसकी सेवा का वर्णन करना कठिन है क्योंकि वह त्रिभुवन के स्वामी है इसके पश्चात पुरी सी त्रिभुवन पति को सबसे आगे करके चली तथा स्कंध पर्वत से नीचे उतरकर अंतर्वेद में स्थित हुए फिर उनके मध्य भाग को जो हर दुनिया के नाम से प्रसिद्ध है युद्ध स्थल निश्चित कर तारकासुर को युद्ध का संदेश भेजी जा गया

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O Lord, on hearing such a complex sentence of Tarakasur, you replied angrily, “This arrogance of Taraka is always painful. The Mochukunda you have described is the supreme devotee of Lord Shiva. Lord Shiva is his helper. The one on whom Lord Shiva showers his blessings is more powerful than gods, sages and humans. The one whom you consider a milk-drinking child is actually the manifestation of Lord Shiva, who is responsible for destruction. Then Taraka got angry and said to you again, “Nara, what do you know about the strength of warriors? On hearing these words from the mouth of Tarakasur, you immediately got up from his court and came to me and told all these things to Lord Vishnu and me. You also said that this child will surely win over Tarakasur and my words are true that this son of Lord Shiva is fearless in all the three worlds.” Nara, on hearing these words of yours, we all became very happy and stood up meditating on Lord Shiva with the desire for war. Making Iskander the commander, he rode on Indra's elephant. All the Lokpals gathered. The battle instruments like the battle-axes, binoculars, intellect, veena, etc. started playing and the daily gathering of the Skanda and Indra started. After handing over the elephant to him, he himself boarded the plane. At that time, there was hailing of the sons of Lord Shiva from all sides. Varun, Indra, Anal, Yamraj, Kuber, Ishan and many more husbands got ready for the war with their kings. Lord Vishnu felt bliss by meditating on Lord Shiva. It is difficult to describe his service because he is the Lord of Tribhuvan. After this, Puri C moved with Tribhuvan Pati in the front and after descending from Skandha mountain, he settled in Antarved. Then its middle part, which is famous as Har Duniya, was decided as the battle ground and message of war was sent to Tarkasur.

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