श्री शिव महापुराण कथा चतुर्थी स्कंद अध्याय 7



ब्रह्मा जी बोले हैं नारद स्कंद के मुख से यह वचन सुनकर विष्णु जी ने देवताओं सहित कहा है इसका आप शिव जी के पुत्र अर्थात शिव जी हैं आप असुरों के वन के लिए दवा अग्नि के समान है इसी प्रकार सब ने स्तुति कि उसे समय गिरजा गंगा बाली तथा मुनि पत्नी आदि इस काम की माताएं अपने पुत्र की इतनी शक्ति देखकर परंपरास लड़ने लगी और वह सब उसको अपना-अपना पुत्र कहने लगे हे नारद अब तुमने उसे सबको जाकर समझाएं तुम्हीं ने शिवजी की इच्छा किए अनुसार स्कंध के जन्म के ठीक-ठाक वर्णन किया तथा कहा कि यह शिवजी एवं क्रिया के लिए ही पुत्र उन्होंने देवताओं के मनोरथ पूर्ण करने के लिए ही अवतार लिया है या सुनकर गिरजा के शिव सब अनंत दुखी हुए तब इसका ने प्रसन्न होकर गंगा से कहा है माता तुम तो संसार की माता हो तथा शिवजी की स्त्री हो आज तो मैं तुम्हारा पुत्र सदैव कहलाऊंगा इस प्रकार इसका ने सबको समझा दिया दादू पुराण इसका ने विष्णु जी तथा ब्रह्मा जी से कहा हम डेटियों का क्षण भर में नहा कर देंगे तुम लोग किसी प्रकार की चिंता मत करो तुम सब लोग तत्पर होकर शिवजी की सेवा करो जो भी कार्य उत्सव करो उसे प्रसन्न होकर शिवजी का जय जयकार करते रहो यह आज्ञा पाकर समस्त देवता आदि एक साथ शिव जी का जयकार जय जयकार करने लगे हे नारद इसके पश्चात समस्त देवता आदि सेवा सहित सरजीत होकर इस्कंध के स्थान चले गए शिवजी गिरजा एवं गानों के साथ कैलाश को चले गए उसे समय तारक में यह सुनकर तथा देवताओं के सब उपाय की परिणाम जानकर बड़े क्रोध से देवताओं पर आक्रमण किया तथा उसका सामना करने के लिए चतुर रंगोली सी सजाकर करोड़ सैनिकों को अपने स्थान लेकर चला उसे समय युद्ध के बजे बजने लगे हे नारद उसे समय तुमने तारा के पास जाकर यह कहा है असुर राज अब तुम्हारे लिए बड़ी विपत्ति आ पहुंची है क्योंकि देवता आदि ने शिवजी की सेवा एवं भक्ति करके तुम्हें मार डालने का उपाय किया है तुम तर्क को सब वृतांत आदि से अंत तक कहा सुन की शिव जी के कल्पवृक्ष के समान समझो हुए सबको सम्मान दृष्टि से देखते हैं तथा भक्ति एवं सेवक कठिन रहते हैं इसके लिए आप तुमको यह उचित है कि तुम भी कोई उपाय करो तुरंत देवताओं के साथ युद्ध करो यदि तुम विजय प्राप्त करना चाहते हो तो हमारा कहना मानो यदि तुम हमारी बात नहीं मानो तो तुम्हारा किसी समय अवश्य ही नाश हो जाएगा यह नारद मृत्यु के वशीभूत होकर तारकासुर ने तुम्हारी इस बातों पर कोई ध्यान ना दिया तथा हंसकर बोला है नारद तुम विष्णु जी के पास जाकर कह दो कि तुम जिस प्रकार की वीरता पूर्वक युद्ध कर सकते हो करो उसमें किसी प्रकार की कोई कमी ना करना तुम इस दूध पीते बच्चे को अपना अगवा बनाकर लड़ाई करना चाहते हो इससे मालूम होता है कि तुम इस युक्ति द्वारा अपने मृत्यु चाहते हो हमने तुम्हारे वीरता कई बार देखी है तुम दूसरों पर भरोसा करते हो परंतु दूसरे के बल से विजय नहीं मिलती एक मुथु कुंड के बल से भी तुमने चाहा था कि हम पर प्रबल हो सको तो हमने उसकी भी वीरता देख ली और सब देवताओं को उसके साथ ही बंदी बना लिया अब तुम इस छोटे से लड़के को साथ लेकर हमसे युद्ध किया चाहते हो तो मैं तुमको देखा पति सहित मार कर त्रिभुवन पर निष्कत राज करूंगा

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Brahma Ji said that on hearing these words from Skanda's mouth, Vishnu Ji said to the Gods that you are the son of Shiva, that is, Shiva Ji. You are like fire for the demons. Similarly, everyone praised him. On seeing such power of their son, the mothers of this work, like Girija, Ganga Bali and the wife of the sage, started fighting with each other and they all started calling him their son. O Narada, now you go and explain him to everyone. You yourself described the birth of Skanda properly as per the wish of Shiva Ji and said that he is the son of Shiva Ji and he has taken incarnation only to fulfill the wishes of the Gods. On hearing this, Shiva and the Ganges became extremely sad. Then Ganga became happy and said to Ganga that mother, you are the mother of the world and the wife of Shiva Ji. Today, I will always be called your son. In this way, Ganga explained to everyone. Dadu Purana said to Vishnu Ji and Brahma Ji that we will bathe the deities in a moment. You people do not worry about anything. All of you should be ready to serve Shiva Ji. Whatever work and festival you do, do it happily. Keep on chanting the praises of Lord Shiva. On receiving this order, all the gods started chanting the praises of Lord Shiva together. O Narada. After this, all the gods, etc., after being victorious with the worship, went to the place of Iskandh. Lord Shiva went to Kailash with the church and the songs. At that time, on hearing this in Tarak and knowing the result of all the measures of the gods, he attacked the gods with great anger and, to face him, he decorated himself in a clever way and took crores of soldiers to his place. At that time, the war bells started ringing. O Narada, at that time you went to Tara and said that, O demon king, now a great calamity has come for you because the gods etc. have made a plan to kill you by serving and worshipping Lord Shiva. You listen to the whole story from beginning to end that Lord Shiva is considered like a Kalpavriksha and looks at everyone with respect and devotion and worship are difficult. For this, it is appropriate that you also take some measure and immediately fight with the gods. If you want to win, then listen to us. If you do not listen to us, then you will definitely be destroyed sometime. This Narada is about death. Being subdued, Tarakasur did not pay any heed to your words and smilingly said, Narada, you go to Lord Vishnu and tell him that you should fight with as much bravery as you can and do not lack in it. You want to fight by making this milk-drinking child your kidnapper; it shows that you want your death through this trick. We have seen your valor many times. You trust others but victory is not achieved by the strength of others. You wanted to overpower us even by the strength of one Muthu Kund, so we saw his bravery too and captured all the Gods along with him. Now if you want to fight with us by taking this small boy along, then I will kill you along with your husband and rule over Tribhuvan without any fear.

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