श्री शिव महापुराण कथा चतुर्थ खंड अध्याय 4 का भाग 2


हे नारद विष्णु जी ने हाथ जोड़कर स्थान की स्तुति किया बोले है प्राण मुख है शिव गिरिजा के पुत्र आप तुम हम पर कृपा करो तुम तो अनादि निर्गुण तथा साधु स्वरूप हो इस समय तुमने इस कंधा अवतार धारण किया है इस प्रकार विष्णु जी ने स्तुति की इसके उपरांत विष्णु जी तथा में स्कंध को विमान पर चढ़ा कर देवताओं सहित शिव जी के मंदिर की ओर चले उसे समय प्रत्येक के मुख से जय जयकार का शब्द निकल रह रहा था सब लोग आनंद मनाते हुए कैलाश में जा पहुंचे हमें इस कांड को शिव जी के पास ले जाकर खड़ा किया उसे देखकर शिवजी एवं गिरिजा को अपार आनंद प्राप्त हुआ गिरिजा के स्थानों से दूध निकल पड़ा था वह यह दशा हो गई जैसी की पुत्र की उत्पत्ति के समय होती है जब शिवजी ने पूछा किया किसका पुत्र है तब यह नारद तुमने यह समझकर शिवजी का यह चरित्र लीला में निर्मित करते हैं उत्तर देकर आदि से अनंत तक वृतांत का सुनाया उसे सुनकर शिवजी ने बड़े लाड प्यार से लड़के को लिया तथा गिरिजा ने गोद में लेकर दुग्ध बंद कर आया इस प्रकार शिवजी तथा गिरजा दोनों अत्यंत प्रशांत हुए आप सामने शिवजी एवं गिरिजा की पूजा की और सर्वप्रथम विष्णु जी ने स्कंद का निरंजन किया फिर लक्ष्मी ने तथा फिर मैं अपने स्त्री सहित किया इसके पश्चात इंद्र ने सांची सहित किया इस प्रकार समस्त देवता बारंबार इस्कंध का निरंजन करते गए उसे समय बड़ा स्रोत हुआ मुनीश्वर अपना मनोरथ पूर्ण होते देख जय जयकार करने लगी इसका शिव जी की गोद में खेलने लगे हुए वस्तु नाक का गला अपने दोनों हाथों से जोर से पकड़ा उसके साथ खेलते थे और वास्तविक नाग स्कंध के चरणों पर लौटता था शिव जी ने स्कंद जी का यह चरित्र तथा कीड़ा देखकर हंस कर गिरजा की ओर देखा यह देखकर यह भी हंसने लगी

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O Narada, Vishnu Ji praised the place with folded hands and said, you are the soul of Shiva, son of Girija, please have mercy on us, you are eternal, formless and saintly, at this time you have taken the form of Kandha, in this way Vishnu Ji praised, after this Vishnu Ji and I put Skandha on the plane and proceeded towards the temple of Shiva along with the gods, at that time the words of Jai Jai were coming out from everyone's mouth, everyone reached Kailash celebrating, we took this episode to Shiva Ji and made him stand, seeing that Shiva Ji and Girija got immense joy, milk had come out from the places of Girija, it became like the condition that happens at the time of birth of a son, when Shiva Ji asked whose son is this, then this Narada, understanding this, created this character of Shiva Ji in Leela, answered and narrated the story from beginning to end, listening to that Shiva Ji took the boy with great love and Girija took him in her lap and stopped feeding him milk, in this way both Shiva Ji and Girija became very peaceful, worship of Shiva Ji and Girija in front of you And first Vishnu Ji killed Skanda, then Laxmi and then I along with my wife, after this Indra did it along with Sanchi, in this way all the gods kept killing Skanda again and again, time became a great source of joy, seeing his wish getting fulfilled, the sage started hailing it, who started playing with it in the lap of Shiv Ji, held the nose and throat of the snake tightly with both his hands and played with it and the real snake returned to the feet of Skanda, Shiv Ji seeing this character of Skand Ji and the worm, laughed and looked towards Girja, seeing this she also started laughing.

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