श्री शिव महापुराण कथा चतुर्थ खंड अध्याय 15



ब्रह्मा जी बोले हे नारद शिव जी के ऐसे वचन सुनकर गिर जा बोली हे नाथ क्या आप मेरे दुख को नहीं जानते संसार में संतान हैं होने के बराबर कोई दुख नहीं है मेरा पहला जन्म बिना संतान के ही व्यतीत हो गया आप यह जन्म भी उसी प्रकार बिताना चाहता हूं देवताओं ने मेरे साथ चल करके मुझे बांध बनाया कर बहुत दुख पहुंचा है यदि पुत्र ना हो तो संसार के सहस्त्र रहे सो पर अधिकार है जब गुणवान पुत्र उत्पन्न होता है तभी लोग के शुभ कार्यों का फल प्राप्त हुआ प्रतीत होता है यह कह कर गिरजा बहुत रोई तब शिवजी में गिरजा को उठाकर हृदय से लगाते हुए कहा है गिरजे हम तुमको ऐसा उपाय बताते हैं जिससे तीनों लोक में सब कार्य पूर्ण होंगे मि विष्णु तथा ब्रह्म सब उसके वश में है हम उनको अपना गुरु अर्थात गणपति कहते हैं वह हमारा मुख्य स्वरूप है जिसकी सेवा से समस्त दुख दूर होकर सुख की प्राप्ति होती है तुम एक वर्ष तक उनका व्रत करो तो तुम्हारा मनोरथ सफल हो जाएगा उनका नाम ही समस्त कस्टमर को दूर करने वाला तथा आनंददायक है वह व्रत कृष्ण पक्ष की चौथ को किया जाता है वह व्रत गणेश चतुर्थी का व्रत कहलाता है उसे मृत को रखकर पवित्रता पूर्वक चंद्रमा के उदय होते ही पूजा करें वह व्रत समस्त व्रत का राजा तथा प्रत्येक इच्छा की पूर्ति करने वाला है जिस प्रकार सब मित्रों में प्रणाम हमारे भक्तों में विष्णु नदियों में गंगा इंद्रियों में मां बड़ों में ममता पुरिया ने काशी सहायकों में भाई का पुत्र नक्षत्र में चंद्रमा मंत्र गानों में पंचाक्षरी बी मेट्रो में प्रणाम पुराणों में भारत कथा आश्रमों में सन्यास उत्तम है उसी प्रकार सब सेवाओं में शिव की भक्ति महंत किस प्रकार गणेश चतुर्थी का व्रत भी सब व्रत में बड़ा है हे नारद इस प्रकार शिव जी गिरजा को गणेश चतुर्थी की महानता का वर्णन करते हुए बोले ही गिरजे कलियुग में राजा शेष सायन ने इस व्रत को करके बड़ा आनंद प्राप्त किया मनु की स्त्री शतरूपा ने यही व्रत करके दो पुत्र प्राप्त किए कम की पत्नी भी इसी व्रत द्वारा कपिल नमक विष्णु अवतार को प्राप्त किया वशिष्ठ की स्त्री भी यह व्रत करके शक्ति नामक पुत्र को उत्पन्न किया इसी प्रकार इस व्रत के प्रभाव से अनेक मनुष्यों ने पुत्र प्राप्त किए गिरजे तुम भी इसी व्रत के प्रभाव से अवश्य बहुत पुत्र प्राप्त करोगी गिरिजा ने शिव के मुख से गणेश चतुर्थी के व्रत की महिमा को सुनकर प्रसन्न होकर कहा है स्वामी मायावती ही व्रत करूंगा परंतु आप इस व्रत में सब नियम क्रिया आदि विस्तार पूर्वक कहीं शिवाज भोला है देवी कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को शुद्ध हृदय से प्रातः काल उठकर स्नान करके तथा जो कुछ करना उचित है वह सब करें इसके पश्चात प्राप्त की दिन इच्छा कर या संकल्प करें एक गणेश आज हम तुम्हारा व्रत करते हैं हमारा मनोरथ पूर्ण करना है गणपति हमारा व्रत भली प्रकार से पूर्ण हो जाए और हमारे सब दुख दूर हो जाएगी तुम सबको जानते हो सब फलों के दाता होता था वेदों ने तुमको विद्यमान करता कहा है इस प्रकार हृदय में संकल्प करके चतुर्थी के दिन गणपति की वार्ता में दिन व्यतीत करें सूर्यास्त के समय स्थान अपने स्थान पर बैठे और कथा पूजन की सब सामग्री का ठीक करें फिर गणेश जी की पूजा के लिए अच्छा स्थान तैयार करें जिसके चारों ओर केले के खंबे लगाए गए हैं जो आकाश में चंद्रमा उदय हो तब परंतु आधार में एवं गणेश की मूर्ति सोने चांदी तांबे तथा गोबर की जैसी समर्थ हो बनवाए उसको सुभिस्तान पर रखकर कलश स्थापित करें जिसके ऊपर दीपक रखा हो उसके पास साथ ध्यान लगाकर पूर्ण उपचार से उसका पूजन करें तथा लाल फूल वस्त्र चंदन उसे दूध तथा पूरे हाथी आगे रखकर आज मन कर दें अच्छी स्तुति करके प्रेम मांगना हो उसको प्रणाम करें परंतु वही हुआ पूजा करने वाले ब्राह्मण को खिलाकर दक्षिण स्वरूप कुछ चांदी दिन नहीं तो अपने समर्थ के अनुसार जो चाहे सो दक्षिण दिन दादू प्रांत स्वयं भी मीठा भोजन करें इस प्रकार जो गणेश का व्रत करते हैं उसकी मनोकामना पूर्ण होती है यह गिर जाए इसलिए तुम भी इसी व्रत  को करो

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Brahma Ji said, O Narada, on hearing such words of Shiv Ji, Girja said, O Nath, don't you know my sorrow, there is no sorrow equal to having children in this world. My first birth was spent without children. I want to spend this birth in the same way. The gods have hurt me a lot by making me a bond with them. If there is no son, then there is no power over thousands of people in the world. When a talented son is born, then people get the fruits of their good deeds. Saying this, Girja cried a lot. Then Shiv Ji lifted Girja and hugged her and said, Girja, we will tell you such a solution by which all the work in the three worlds will be completed. Vishnu and Brahma are all under his control. We call him our Guru i.e. Ganpati. He is our main form, by serving him, all the sorrows are removed and happiness is attained. If you observe his fast for one year, then your wish will be fulfilled. His name itself removes all troubles and gives joy. That fast is observed on the fourth day of Krishna Paksha. That fast is called Ganesh Chaturthi fast. Keep the dead body and worship it with purity as soon as the moon rises. That fast is observed. The king of all fasts and the fulfiler of every wish, just as we salute all friends, Vishnu among our devotees, Ganga among the rivers, mother among the senses, Mamta Puria among the elders, Kashi among the helpers, brother's son among the stars, moon mantra among the songs, Panchakshari B among the metro, salutation in the Puranas, Bharat Katha among the ashrams, Sanyas is the best, similarly, Shiva's devotion is the best among all the services, Mahant, how the fast of Ganesh Chaturthi is also the greatest among all the fasts, O Narada, in this way, Shiv Ji described the greatness of Ganesh Chaturthi to Girija, he said, Girija, in Kaliyug, King Shesh Sayan got great pleasure by observing this fast, Shatarupa, the wife of Manu, got two sons by observing this fast, Kam's wife also got the Vishnu avatar named Kapil by observing this fast, Vashishtha's wife also gave birth to a son named Shakti by observing this fast, similarly, many people got sons by the effect of this fast, Girija, you too will definitely get many sons by the effect of this fast, Girija, after hearing the greatness of the fast of Ganesh Chaturthi from the mouth of Shiva, said happily, Swami Mayavathi will fast, but you will follow all the rules and rituals in this fast. In detail, Shivaji Bhola is said to be the Bhola Devi. On the Chaturthi of Krishna Paksha, wake up early in the morning with a pure heart, take a bath and do whatever is appropriate to do. After this, wish or resolve to get married. Today we observe a fast for you. We want to fulfill our desire. Ganesha, may our fast be completed well and all our sorrows will be removed. You know everyone, you were the giver of all fruits. The Vedas have said that you are the creator. Thus, make a resolution in your heart and spend the day in the conversation of Ganesha on the Chaturthi. At sunset, sit at your place and arrange all the material for the story worship. Then prepare a good place for the worship of Ganesha, around which banana pillars are placed. When the moon rises in the sky, then place the idol of Ganesha in the base of the temple and make it of gold, silver, copper and cow dung. Place it on the subhishtan and install the urn on which the lamp is placed. Meditate near it and worship it with full rituals. Place red flowers, clothes, sandalwood, milk and a whole elephant in front of it. Today, pray well and ask for love. Bow to him. The same thing happened, by feeding the worshipping Brahmin, some silver as dakshina, if not, then whatever you want according to your capacity, on the dakshina day Dadu himself should also eat sweet food, in this way, the one who observes Ganesh fast, his wish gets fulfilled, this may fall, therefore you also observe this fast.

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