श्री शिव महापुराण कथा चतुर्थ खंड अध्याय 14



नाराज जी बोले ही ब्रह्मा जी इस्कॉन का चरित्र सुनकर मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई अब आप शिव गिरज के अन्य चरित्र पर भी प्रकाश डालिए मैं आपसे एक प्रश्न करता हूं आशा है कि आप उसकी प्रसन्नत से उत्तर देंगे हे पिता आप मुझे गणपति का चरित्र सुनाइए तथा यह बताएं कि वह किसके पुत्र हैं पंचदेव के पूजन की जो आज्ञा दी गई है उसमें एक गणपति जी भी है उनके किस समय से पूजा की गई तीनों लोकों को उन्होंने किस प्रकार जीता तथा उन्होंने किस प्रकार इतनी ख्याति प्राप्त की यह आप मुझे बतलाएं मैंने कई बार यह भी सुना है कि गणपति जी भी गिर जाकर पुत्र हैं परंतु उनके विषय में विशेष कुछ नहीं जानता शिव के विवाह में आपने कहा था कि गणपति की पूजा की गई तथा शिव जी ने उन्हें नमस्कार किया मुझे इनमें बड़ा संचय है कि दोनों बातें एक साथ कैसे हो सकती है यह सुनकर ब्रह्मा जी बोले हे नारद तुमने वास्तव में बहुत अच्छा प्रश्न किया है हम तुम्हें गणपति की उत्पत्ति तथा उसके पद आदि से अवगत कराते हैं गणपति विष्णु आदि के सामान भी ही प्राचीन देवता है वह अलग-अलग पांचो देवताओं में बंटे हुए हैं हे नारद आप शिवजी गिरिजा जी के साथ विवाह करके अतः पूर्व में बिहार करने लगे तब शिव एवं गिरिजा में ऐसा प्रेम बड़ा कि उन्हें रात दिन व्यतीत होते हुए कुछ भी ना जान पड़े या दशा देखकर सब देवता मेरे पास आए तब मैं भी चिंतित होकर उन सबको साथ लेकर विष्णु जी के पास पहुंचा और स्तुति करने के पश्चात सब वृतांत उन्हें का सुनाया की शिवजी एक सहस्त्र दिव्य वर्ष से बिहार कर रहे हैं पता नहीं ऐसे बिहार से कैसा पुत्र उत्पन्न होगा आज तो आप ही इसके विषय में कुछ बताएं विष्णु जी यह सुनकर बोल ही ब्राह्मण सब उचित तथा शुभ ही होगा हमको ऐसी युक्ति करनी चाहिए कि शिवजी का वीर्य किसी प्रकार से पृथ्वी पर गिर पड़े जिससे गिरजा के पुत्र ना उत्पन्न होने पाव नहीं तो वह ब्रह्मांड भर में जलकर भस्म कर देगा या सुनने के पश्चात मन तो अपने घर चला गया तथा अन्य देवता कैलाश पर्वत को गए देवताओं ने शिव जी के द्वारा पर जाकर उन्हें आवाज दी तब शिवजी बाहर निकाल कर आए उसे समय देवताओं ने प्रणाम करके स्तुति की और कहा हे प्रभु आप संसार को पवित्र करें शिवजी देवताओं का आशय समझ कर कहने लग मैं तुम्हार तुम्हारे मनोरथ को अच्छी तरह समझ लिया है तुमने बिहार थी मेरा आनंद में विधान डालता या बहुत ही बुरा हुआ अब मेरा वीर्य सर से नीचे की ओर आता है उसको तुमने कौन लेता है या कहकर उन्होंने अपने वीडियो पृथ्वी पर फेंक दिया जिसके तेज से सब और प्रकाश हो गया उसे समय अग्नि का पाट का रूप धारण कर उसे वीर्य को खा लिए गए फिर जब वह उठकर आकाश की ओर चले तो उसे वीर्य को धारण करने की शक्ति नाप प्रकार उन्होंने उसे पृथ्वी पर फेंक दिया जिसके गिरने से पहाड़ भी कहां पूछे इस प्रकार स्कंद की उत्पत्ति हुई इसके विषय में हम पहले बता चुके हैं यह नारद अब हम तुम्हारे गणपति के विषय में बदलते हैं इस घटना के घटते समय शिव जी ने सब देवताओं से कहा कि तुम लोग सीख रही हमारे पास से भाग जाओ ऐसा ना हो कि गिर जाए इस बात को जानकर तुम पर क्रोध करें या सुनकर देवता वहां से भेज तथा शिवजी उनके भागने का चरित्र देखते रहे इस समय गिर जाने जाकर देवताओं पर महा क्रोध किया जिससे ऐसा प्रतीत होने लगा कि अभिप्रायत ना हो जाएगा दादू प्रांत गिर जाने देवताओं को श्राप दिया श्राप दे चुकाने के पश्चात भी उनका क्रोध शांत ना हुआ उनका शरीर दुख की अधिकता के कारण शिथिल हो गया शिवजी ने गिरजा को इस प्रकार दुखी देखकर गोद में उठा लिया तथा बहुत सी प्रेम की बातें की उन्होंने उन्हें समझते हुए कहा हे गुरुदेव तुम मुझसे इस प्रकार कोई ऑपरेशन हो मेरा कोई अपराध नहीं यदि अनजाने में कोई अपराध हो गया हो तो क्षमा करें तुम्हारे बिना मानो हम एंजिन है तुम तो सब की माता हो तुम्हारे अधीन तो तीनों लोक के कार्य हैं बिना तुम्हारे सब निर्मल है आज तो आप प्रसन्न होकर तुम हमारे तथा सबके दुख को दूर करो

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Naraz ji said, Brahma ji, I am very happy to hear the character of ISKCON. Now, please shed some light on the character of Shiv Girija. I ask you a question. I hope that you will answer it happily. Father, please tell me the character of Ganpati and tell me whose son he is. In the Panchdev which has been ordered to be worshipped, one of them is Ganpati ji. Since when has he been worshipped? How did he conquer the three worlds and how did he achieve so much fame? Please tell me this. I have also heard many times that Ganpati ji is also a son of Gir but I do not know much about him. In the marriage of Shiv, you had said that Ganpati was worshipped and Shiv ji greeted him. I am very surprised that how both these things can happen together. Hearing this, Brahma ji said, O Narada, you have really asked a very good question. We will tell you about the origin of Ganpati and his position etc. Ganpati is also an ancient deity like Vishnu etc. He is divided into five different deities. O Narada, you have got Shivji married to Girija ji. When Shiv and Girija started wandering in the east, such love grew between them that they did not feel the passing of day and night. Seeing the condition, all the gods came to me. Then I also got worried and took all of them along to Vishnu ji and after praising him, narrated the whole story to him that Shiv ji has been wandering for a thousand divine years. I do not know what kind of son will be born from such wandering. Today, you tell something about it. Vishnu ji, on hearing this, said that Brahmin, everything will be appropriate and auspicious. We should make such a plan that Shiv ji's semen falls on the earth in some way so that Girija does not have a son. Otherwise, he will burn and destroy the entire universe. After hearing this, the mind went to its home and other gods went to Mount Kailash. The gods went to Shiv ji's door and called him. Then Shiv ji came out. The gods bowed to him and praised him and said, O Lord, please purify the world. Shiv ji, understanding the intention of the gods, said, I have understood your desire very well. You were wandering and you would have spoiled my happiness. It is very bad, now my semen is flowing from the head to below the head. Who will take it from you? Saying this he threw his semen on the earth, whose brilliance illuminated everything. At that time he assumed the form of a piece of fire and ate his semen. Then when he got up and moved towards the sky, he measured the power of semen retention and threw it on the earth, whose fall also shook the mountains. In this way Skanda was born. We have already told about this Narad, now we turn to the topic of your Ganapati. While this incident was happening, Shiv Ji said to all the gods that you people should run away from us, lest you fall. Knowing this, the gods get angry on you or hearing this, send you away from there. Shiv Ji kept watching their character of running away. At this time, Shiv Ji went to the place where he got very angry with the gods, due to which it seemed that the intention would not be fulfilled. He cursed the gods on falling in Dadu province, even after cursing them, his anger did not subside, his body became weak due to excess of sorrow. Shiv Ji, seeing Girish sad like this, lifted him in his lap and spoke a lot of love to him. While trying to make him understand, he said, O Gurudev, why don't you do any operation like this with me? Yes, it is not my fault. If I have committed any crime unknowingly, then please forgive me. Without you, it is as if we are an engine. You are the mother of all. The works of the three worlds are under you. Without you, everything is smooth. Today, please be happy and remove our and everyone's sorrows.

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