श्री शिव महापुराण कथा चतुर्थ खंड अध्याय 12



ब्रह्मा जी बोले हैं नारद जिस समय सब देवता तथा देते लड़ाई में व्यस्त थे तब तृतीय इस गांधी जी का तेज नशा कर चारों ओर भागे उसमें सेवन दैत्य का वृतांत तो हम कह चुके हैं अब हम प्रबल नामक दैत्य के विषय में और बताते हैं वह आदित्य सेठ जी के घर में जाकर 10 कोठी सी सहित बड़ा उपग्रह मचाने लगा उसने अनेक मंदिरों को नष्ट भ्रष्ट कर दिया शेर जी के पुत्र ने परवल का सामना किया परंतु अंत में उसने पराजय स्वीकार कर ली तब उपरांत से जीने पुत्र को मौत ने स्कंद की शरण में आकर स्तुति की तथा प्रबल के उपद्रव की कथा विस्तार पूर्वक का सुने उसने विनय की की है स्वामी आप उसको मार कर हमारे कासन को दूर कीजिए मेरे कहने पर से जी ने उसे डेट को नष्ट करने के लिए इस काम से विनती की इसका नया सुनकर अपनी शक्ति को उठा लिया था था शिवजी एवं गिरजा का ध्यान कर देते की ओर फेंक दिया उसे शक्ति के प्रभाव प्रकाश से संपूर्ण संसार प्रकाशित हो गया तब उसने सातों पटल लंका सीख रही 10 करोड़ व्यक्तियों को प्रवाह वाला सहित मार कर भस्म कर दिया वह शक्ति उन सब का नाश करके फिर उसी प्रकार इस काम के हाथ में आ गई तब इसका ने कुमुद से कहा कि हमने अपने शक्ति द्वारा प्रबल का नाश कर दिया अब तुम निर्भय होकर अपने घर को जो से जी स्वयं तो इस्कंध की सेवा में तात्पर्य रहे तथा कुमुद उनका आदेश पाकर वहां से लौट गए तब देवताओं ने विधायक प्रकार उत्सव के मायने तथा समस्त देवताओं ने स्कंद की स्तुति करते हुए कहा है महाराज आप तो अभी केवल 7 दिन के बालक हैं तो भी दैत्य का नाश करते हैं यह बड़ा आश्चर्य है इसका ने देवताओं सहित जिस स्थान पर युद्ध का विचार किया था वह स्थान सप्त तीर्थ के नाम से बड़ा तीर्थ प्रसिद्ध हुआ तथा जिस मार्ग से कुमुद नमक धरती को छोड़कर पाताल में गया था वह सेट कल के नाम से प्रसिद्ध हुआ जो वहां स्नान करते हैं उनके सब कलेश मिट जाते हैं तथा अंत में हुए कैलाश पर्वत में स्थान प्राप्त करते हैं इसकांजी के चरित्र अत्यंत पवित्र है उनके सुनने सुनने से मोक्ष प्राप्त होती है

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Brahma ji has said that when all the gods and demons were busy in the fight, Narad got intoxicated by the power of this demon and ran in all directions. We have already told the story of the demon named Prabal. Now we will tell more about a demon named Prabal. He went to Aditya Seth ji's house and started creating a big ruckus including 10 kothi (storeyed) demon. He destroyed many temples. Sher ji's son faced Parwal but finally he accepted defeat. After that, Sher ji's son came to Skanda's refuge and praised him and listened to the story of Prabal's disturbance in detail. He pleaded that Swami, please kill him and remove our troubles. On my saying, Sher ji requested him to destroy the troubles. Hearing this, he took up his power and meditated on Shiva and Church and threw it towards the demon. The entire world got illuminated by the effect of that power. Then he killed and destroyed 10 crore people of Lanka including the ones on the seven panels and reduced them to ashes. After destroying all of them, that power again came in the hands of this demon in the same way. Then Isaka said to Kumud that we have destroyed Prabal with our power, now you should fearlessly go to your home. You yourself should remain engaged in the service of Skanda. Kumud returned from there after getting his order. Then the Gods celebrated the festival in a constructive manner and all the Gods praised Skanda and said that Maharaj, you are only a seven-day old child, yet you destroyed the demon, this is a big surprise. The place where Isaka along with the Gods had planned the war became famous as a big pilgrimage by the name of Sapt Teerth and the route by which Kumud left the earth and went to the netherworld became famous as Set Kal. Those who take bath there, all their troubles are eliminated and finally they get a place in Mount Kailash. The character of Isakaji is very sacred, one gets salvation by listening to it.

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