ब्रह्मा जी बोले हे नारद अब मैं तुम्हें उन देता हूं का वृतांत सुनाते हूं जो भाग कर पाताल में छुप गए थे उसे व्यक्तियों में से एक वर्ण नमक देता हूं का स्वामी युद्ध क्षेत्र से भाग गया था वह वहां से खोजी दीप में जाकर नाना प्रकार की उपद्रव करने लगा उसे कोच्चि के सिर में अपना एक पेरिस प्रकार मारा कि वह पर्वत घबराकर इस कांड के पास आया और यह कहने लगा कि इस समय अपने तर्क का वध करके तो संसार को दुख से मुक्त कर दिया है परंतु केवल मैं ही अकेला सृष्टि भर में दुखी हूं उसने अपना सब वृतांत आदि से अंत तक इसकंठ को सुनते हुए कहा हे प्रभु मुझको जिसने दुख दिया है उसके साथ आठ कोठी देते हैं यदि मैं आपकी शरण में मनुष्य रूप धारण करके ना आता तो न जाने वह क्या करता आपके सिवाय सब मेरा इस संसार में कोई रक्षक हैं इसका निर्देश राज किया कथा तथा उनका वृत्तांत सुनकर उसको मार डालने का विचार किया तब उन्होंने सॉन्ग हाथ में लेकर गिरजा शिव गिरज का ध्यान किया और वह स्वयं क्रोध में भरकर उसे देते की ओर चली गई वह सॉन्ग के चलने से 10 सौ दिशाओं में प्रकाश फैल गया सॉन्ग के क्षण भर मैं ही देता हूं को उसके अधिपति सहित जलाकर भस्म कर दिया इस प्रकार उन सबको समाप्त करके वह सॉन्ग फिर स्कंध के पास लौट आई है नारद इस प्रकार उन व्यक्तियों को नष्ट करके इसका ने पर्वत से कहा कि अब तुम अपने घरों को लौट जाओ और किसी प्रकार की चिंता मत करो क्योंकि हमने उसे डेट को सी सहित मार कर नष्ट कर दिया है यह सुनकर कोचिंग नहीं इस कांड की बड़ी स्तुति की तथा अपने घर को लौट आया फिर देवताओं ने खूब उत्सव की है उसी स्थान पर तीन शिवलिंगों की स्थापना की उन तीनों के नाम या रखे पहले प्रतिकेश्वर हुआ जो कोई उसकी पूजा करेगा उसके सब मनोरथ पूर्ण होगी इसी प्रकार दूसरे का नाम कालेश्वर तथा तीसरे का नाम कुंबेश्वर रखा इन शिवलिंगों के लिए या वरदान भी दिया कि इसकी पूजा से दोनों लोगों में सुख प्राप्त होगी उसके पश्चात इस स्थान के निकट स्कंद में एक न्याय स्तंभ स्थापित कर एक और शिवलिंग इस्तंभ ईश्वर की भी स्थापना की उनकी पूजा करने से सब कार्य सिद्ध होती है इसके अतिरिक्त देवताओं तथा मुनीश्वरों ने एक और शिवलिंग की स्थापना की जिसका नाम रामेश्वर रखा गया इसकी पूजा से प्रजा की शुभकामनाएं सिद्ध होती है
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Brahma Ji said O Narada, now I will tell you the story of those demons who had run away and hidden in the netherworld. One of the people, the lord of one of the Varna Namak Devta, had run away from the battlefield. From there, he went to Khoji Deep and started creating various types of disturbances. He hit him on the head of Kochi with one of his spears, due to which the mountain got frightened and came to this demon and started saying that at this time, by killing his enemy, he has freed the world from sorrows, but I alone am unhappy in the whole universe. He told his entire story from beginning to end and said, O Lord, please give eight kothis to the one who has given me sorrow. If I had not come to you in human form, then who knows what he would have done. After listening to the story and his story, he thought of killing him. Then he took the sword in his hand and meditated on Girja Shiv Girja and he himself, filled with anger, went towards the sword. With the movement of the sword, light spread in 10 hundred directions. In a moment of the song, I am the only one who can make the sword its ruler. After destroying all of them, Narada then returned to Skanda. After destroying all of them, Narada said to the mountain that now you should return to your homes and do not worry about anything because we have killed and destroyed him along with his son. Hearing this, Narada praised this incident and returned to his home. Then the gods celebrated a great festival and established three Shivlingas at the same place. The first of them was named Pratikeshwar. Whoever worships it, all his wishes will be fulfilled. Similarly, the second was named Kaleshwar and the third was named Kumbeshwar. He also gave a boon to these Shivlingas that by worshipping it, both the people will get happiness. After that, a Nyaya Stambh was established near this place in Skanda and another Shivling Ishwar was also established. By worshipping them, all the works are accomplished. Apart from this, the gods and sages established another Shivlinga which was named Rameshwar. By worshipping it, the wishes of the people are fulfilled.
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