ब्रह्मा जी बोले हैं नाराज विष्णु जी के मुख से इस प्रकार के पवित्र वचन सुनकर मैं को बहुत दास हुआ तब वह उठकर राजा पूर्वक विष्णु से बोले आपने मुझको समझ कर बड़ा धीरज बांध परंतु मैं अपने मन में विश्वास हूं वह बात को समझ कर भी समझने की शक्ति नहीं रखना मेरा हृदय या कार्य करने को नहीं चाहता है नारद यह सुनकर विष्णु जी तुमसे कहा कि तुम शिव जी के पास जाकर निवेदन करो कि वह महीना के हृदय में अपने माया को खींच लें जिससे महीना अपनी यथार्थ दशा को प्राप्त करें और गिरजा का विवाह हो सके तथा सब मनुष्य प्रसन्न हो जाए है नारद तुम विष्णु जी के आज्ञा पाकर शिव के चरणों में पहुंचे तो शिव जी विष्णु की इच्छा जानकर अत्यंत सुंदर हो गए उन्होंने एक मुख दो नेत्र चंपा के फूल के समान शरीर का रंग तथा सब प्रकार से बहुत खूब धारण कर लिया उन्होंने अपने शरीर को उत्तम रात में एवं जड़ों वेस्टन से घोषित कर लिया अग्नि के समान चमकते हुए मस्तक पर चंदन कस्तूरी अंबरपुर इत्र आदि लागे माटी जड़ित अंगूठी हाथों में पानी तथा नेत्रों में काजल लगाई उसे समय समस्त संसार की सुंदरता है एकाग्रता होकर शिवजी में स्थित हो गई हे नारद जो परम ब्रह्मा आदि मध्य अंतररहित तथा सृष्टि उत्पन्न करने वाला है उसने ऐसे रूप में प्रगट होकर कैसी-कैसी लीला की है यह नारद तुमने शिव का ऐसा सुंदर स्वरूप देख अत्यंत आनंद मना तुम स्तुति करने लगे और मैं से बोले की है महीना अब तुम शिवजी के रूप को देखो तब महीना ने शिव जी के रूप को देखकर अत्यंत प्रसन्न हुई फिर चारों ओर प्रशांत छा गई देवता उच्च स्वर में जय शिव शंभू कहने लगे अप्सराय नृत्य करने लगी बजने लगी उसे समय मैं भी बोली या हमारा परम सौभाग्य है इसके पश्चात शिवजी संपूर्ण बारात के साथ हिमाचल के द्वारा को चले
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Brahma Ji said that he was angry. I felt very sad to hear such holy words from Vishnu Ji's mouth. Then he stood up and said to Vishnu like a king, you have given me a lot of patience by understanding me, but I believe in my mind that even after understanding the matter, I do not have the power to understand it, my heart does not want to do this work. Hearing this, Vishnu Ji said to you that you go to Shiv Ji and request him to withdraw his illusion from the heart of the moon so that the moon attains its true state and the marriage of the goddess can take place and all the people become happy. Narad, after getting the permission of Vishnu Ji, you reached the feet of Shiv. Shiv Ji became very beautiful after knowing the wish of Vishnu. He had one face, two eyes, the color of the body like Champa flower and he wore very beautiful body in every way. He declared his body as beautiful and dark blue and with roots and western colors. He applied sandalwood, musk, amber perfume etc. on his forehead shining like fire. He applied ring studded with mud, water in hands and kajal in eyes. At that time, the beauty of the whole world got concentrated in Shiv Ji. O Narad, who is without any difference between Param Brahma etc. and He is the creator of the universe, what kind of leela he has performed by appearing in such a form, Narada, you felt very happy seeing such a beautiful form of Shiva, you started praising him and said to him that he is the moon, now you see the form of Shiva, then the moon became very happy after seeing the form of Shiva, then there was peace all around, the gods started saying Jai Shiv Shambhu in a loud voice, the apsaras started dancing, the music started playing, I also said that this is our great good fortune, after this Shivaji left for the gates of Himachal with the entire wedding procession.
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