श्री शिव महापुराण कथा तृतीय खंड अध्याय 53



ब्रह्मा जी बोले ही नाराज विष्णु ने वहां पहुंचकर मैं को समझाते हुए कहा है मैं तुम शिव को नहीं जानते हो वह सबसे बड़े सबके स्वामी तथा आनंदित हैं उन्हीं से प्रकृति पुरुष समकादिक में तथा ब्रह्मा आदि सब उत्पन्न हुए हैं हुए और मैं उन्हीं की सेवा करता हूं अनेक स्तुति करने के पश्चात विष्णु जी ने फिर कहा सबको शिव में और शिव को सब में समझना जिस प्रकार एक शरीर अनेक प्रकार के वस्त्र धारण करता है उसी प्रकार शिव को भी समझना चाहिए शिव की भक्ति बड़ी ही आनंददायक है मैं उन्हीं की शक्ति से सब कार्य करता हूं तथा उन्हें के तब से मुझको चक्र प्राप्त हुआ है सब देवता शिव जी की सेवा से ही अमर हो गए हैं ब्रह्मा जी बोले हे नारद विष्णु जी शिव जी के गुना का इस प्रकार वर्णन करते हुए महीना से फिर बोले यह महीना तुमको सब धर्म रूप कहते हैं इसलिए आज मैं तुमको समझता हूं कि तुम्हारा यह परम सौभाग्य है जो सदा हम सबके साथ तुम्हारे द्वार पर पधारे हैं तुम इस बात की भली भांति समझो कि शिवजी की भक्ति के बिना यह संसार भर का बखेड़ा व्यर्थ है शिव जी का ताप बहुत सरल है उनके अनेक रूप तथा असंख्य लीलाएं हैं जिस प्रकार तुमने तब आने ग्रुप देखे थे उसे प्रकार अब उनके भयानक स्वरूप को भी देख लिया जो मनुष्य किसी को कुछ देने के लिए कहे और अंत में अपने वचन का पालन न करके ना दे उसके बारे में बराबर और कोई पापी नहीं है अब तुम उठो तथा अपना काम करो शिवजी तुम्हारा कल्याण करेंगे मैं तुमसे सत्य कहता हूं कि शिव और गिरजा का विवाह अवश्य होगा

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Brahma Ji said this and the angry Vishnu reached there and explained to him that you do not know Shiva. He is the greatest, the master of all and the most blissful. From him, Prakriti Purush Samakadik and Brahma etc. all have originated and I serve him. After praising him a lot, Vishnu Ji again said that understand everyone in Shiva and Shiva in everyone. Just as a body wears many types of clothes, Shiva should also be understood in the same way. Shiva's devotion is very blissful. I do all the work with his power and since then I have got the Chakra. All the gods have become immortal by serving Shiva. Brahma Ji said, O Narad. Vishnu Ji, while describing the qualities of Shiva in this way, again said to the moon. This moon calls you the form of all religions, therefore today I consider you that it is your great fortune that you have always come to your door with all of us. You should understand this very well that without the devotion of Shiva, all the fuss of the world is useless. Shiva's meditation is very simple. He has many forms and innumerable leelas. Just as you had seen the groups then, in the same way now you can see his divine play. I have also seen the horrifying form of the person who asks someone to give something and in the end does not keep his word and does not give the money, there is no one more sinner than him, now you get up and do your work, Lord Shiv will do good to you, I am telling you the truth that the marriage of Shiv and Girja will definitely happen

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