श्री शिव महापुराण कथा तृतीय खंड अध्याय 52



ब्रह्मा जी बोले यह नारद मैं किया दशा देखकर नगर भर में उदासी छा गई तब देवता थी वहां बहुत प्रकार से महीना को समझने लगे कि तुम यह क्या करती हो जो इस प्रकार इस शुभ अवसर को अशोक किए देते हैं या सुनकर मैं ने जो कुछ मन में आया देवताओं को बुरा भला कहा तथा अधिक बल आदि को वहां से उठा दिया है नारद अब तुमने मैं को समझाते हुए कहा यह महीना तुम्हारी बुद्धि कहां गई है यह सब शिव की लीला है शिव जी बरम ब्रम्ह है उठकर अपना सब काम करो महीना ने तुम्हारे इस प्रकार के वचन सुन दूर-दूर कहकर तुमको फटकारता तब तब तो ऋषि रूढ़ि सहित वहां जाकर मोना को समझने लगे महीना ने उसको भी क्रोधित होकर वहां से निकाल दिया जब मैंने अच्छी प्रकार से शिव की स्तुति की तब महीना मुझे अत्यंत क्रोधित होकर बोली चुप रहो ऐसे व्यर्थ में झूठी बात मत कहो अंत में हिमालय ने वहां जाकर मैं को बहुत समझाया और कहा संसार के स्वामी तथा पिता शिव मेरे द्वारा पर आए हैं तुमको ऐसे अनुचित कार्य नहीं करना चाहिए देखो एक बार पहले भी शिव जी मेरे यहां अद्भुत स्वरूप धारण कर आए थे तब ऐसे नाचे गए थे कि स्त्री पुरुष सब अधिक हो उठे उन्होंने यहां ऐसी ऐसी रूप दिखाएं थे कि उनको देखकर मैं और तुम दोनों ने गिरजा को उन्हें देना स्वीकार कर लिया था इस प्रकार हिमाचल में अनेक उदाहरण देकर महीना को समझाया परंतु मैं के मन में कुछ ना आया तब महीना किया दशा देखकर गिरजा बोली है माता माई शिव जी के अतिरिक्त और किसी के साथ विवाह ना करूंगी यह बात किस प्रकार हो सकती है किसी का भाग प्यार प्राप्त करेगा यह सुनकर महीना क्रोधित हो उठी है नारद जब महीना का क्रोध शांत ना हुआ अतीत हुआ और बढ़ता ही गया तब शिवजी तब विष्णु जी स्वयं वहन महीना को समझने के लिए गए

TRANSLATE IN ENGLISH 

Brahma Ji said, Narad, seeing the condition of I, sadness spread in the entire city. Then the Gods were there and started trying to convince Mahina in many ways that what are you doing that you are ruining this auspicious occasion in this way. I heard whatever came to my mind and said bad things to the Gods and removed more power from there. Narad, now you explained to Mahina, where has your wisdom gone, this is all Shiva's play. Shiva is the great Brahma. Get up and do all your work. Mahina, on hearing such words of yours, scolded you by saying far away. Then the sage went there with custom and started explaining to Mahina. Mahina got angry and threw him out from there too. When I praised Shiva properly, then Mahina got very angry and said to me, keep quiet, don't say such lies in vain. At last Himalaya went there and explained to Mahina a lot and said, the Lord of the world and father Shiva has come to me, you should not do such inappropriate things. See, once before also, Shiva had come to me in a wonderful form. He danced in such a way that all the men and women became more in number. He showed such forms here. It was that after seeing them, you and I both accepted to give Girja to them. In this way, by giving many examples in Himachal, we explained to Mahina, but nothing came to Mahina's mind. Then seeing Mahina's condition, Girja said, "Maa Mai, I will not marry anyone other than Shiv Ji, how can this be possible, who will get someone's fate to love," Mahina got angry on hearing this. Narad, when Mahina's anger did not subside and kept increasing, then Shiv Ji, then Vishnu Ji himself went to make Mahina understand.

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ