श्री शिव महापुराण कथा तृतीय खंड अध्याय 51


ब्रह्मा जी बोले हे नारद महीना ने तुम्हारे तथा गिरजा की बहुत प्रशंसा करते हुए तुमसे कहा कि मैं अब तक शिवजी को नहीं देखा इतने में शिवजी समझ आ गए तब तुमने महीना से कहा यही शिवजी है यही गिरजा के पति हैं इन्हें अच्छी तरह देखो महीना ने शिव को अच्छी तरह देखा परंतु शिव की माया से उसके नेत्र ऐसे हो गए कि उसकी दृष्टि में संदेह उत्पन्न हुआ उसे समय उसको शिव जी काढाल ऐसा दिखाई देने लगे जैसे कि वह सभी भूत प्रेत आदि है इकाइयों के तो हाथ ही नहीं थे तथा कई के बहुत से हाथ थे महीना ऐसा दल देखकर बहुत भयभीत हुए उसे सेवा में शिव को बल पर चढ़े त्रिनेत्र चंद्रमा तथा मुकुट धारण किए व्यग्रैथ एवं गज्जरमा धारण किया तो मैं डमरू कल त्रिशूल और सब शास्त्र लिए सर पर जाता झूठ कानों में संपदा पांच मुख्य मांडू माल धारण किए हुए गांठ में हलाहल की समता तथा शरीर में संपर्क लिखते हुए दिखाई है नारद उसे समय तुमने मन से कहा कि अब तुम इधर-उधर क्या देखते हो शिव का रूप क्यों नहीं देती जबकि महीना ने शिव का ऐसा रूप तथा वैसी सी अच्छी तो भयभीत होकर अत्यंत दुखी हुए और मुर्झी होकर धरती पर गिर पड़ी सबको अत्यंत खेत हुआ सब लोग औषधि आदि का उपचार कर महीना को चेक में ले फिर मैं तुमसे बोली है नाराज तुम्हें देखकर है तू मेरे कन्या का जीवन नष्ट कर दिया आप बहुत मेरी लड़की के साथ विवाह करने के लिए भूत-प्रेत की सेवा लेकर आया मेरा तथा हिमाचल का जन्म वृत्त हुआ साथ ऋषियों ने भी मेरे साथ धोखा दिया है ही नारा दिया का आकार महीना गिरजा से बोली है पुत्री तुमने वन में जाकर यह क्या काम किया हंस के स्थान पर कौवा लिया सूर्य से मतलब नारा कर जुगनू से मनोरथ चाहा भी अच्छा ना लगा और रेडी के तेल से रुचि हुई तुमने यज्ञ की भस्म को दूर कर चिंता की भस्म लगे जो विष्णु तथा अन्य देवताओं को छोड़ शिव के लिए तब किया तुम्हारे कर्मों को अधिकार है तुमने उपदेश तुम्हारी साथियों एवं तुम्हें भी अधिकार है अब मुझको आनंद कहा है यह सब मेरी कर्मों का ही फल है मैं बड़े प्रेम से पुत्री के लिए टैप किया था परंतु वैसे दुख देखने वाला फल तथा ऐसा भयनकपुर स्वरूप मुझको प्राप्त हुआ यह कहकर महीना बारंबार पृथ्वी पर गिर कर मौजूद हो गई कुछ देर पास 7 महीना को जब चेक हुआ तो गिरजा की ओर से आना है मुड़कर देखा कहने लगी हुई बोली मुझे दुख है कि तुम मर ना गई इस प्रकार इस समय हमारे कुल में बनता तो ना लगता हिमाचल में भी भारत के वचन पर इतना विश्वास कर बहुत बड़ी मूर्खता की आप में क्या करूं जिससे मेरा यह दुख दूर हो मैं ऐसे वन वचन करती हुई रो रो कर धरती पर गिर पड़ी थी यह देखकर सब आनंद दुख में परिवर्तन हो गया परंतु बहुत संबंधने के पश्चात सब लोगों ने पुनः आनंद मनाया

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Brahma Ji said O Narada, Mahina, while praising you and Girja a lot, said to you that I have not seen Shiv Ji till now, then you understood Shiv Ji, then you said to Mahina that this is Shiv Ji, this is Girja's husband, look at him carefully, Mahina saw Shiv carefully, but due to Shiv's illusion, his eyes became such that doubt arose in his vision, at that time Shiv Ji's body appeared to him as if all of them were ghosts, spirits etc. Some of them did not have hands and many had many hands, Mahina got very frightened after seeing such a group, Shiva was riding on the three-eyed moon and wearing a crown, wearing Vyagrath and Gajjarma, then I am going to serve you with a damru, trident and all the weapons on my head, wearing wealth in my ears, five main Mandu garlands, Halahal in the knot and contact with the body, Narada, at that time you said to your mind that what do you see here and there, why don't you see Shiv's form, while Mahina saw such a form of Shiv and such a good look, then he got frightened and became very sad and fell down on the ground very sadly, everyone was very sad. Everyone treated Mahina with medicines etc. and took her to the hospital. Then I told you that I am angry to see you. You have ruined my daughter's life. You brought the services of ghosts and spirits to marry my daughter. My and Himachal's birth history happened. The sages also cheated me. Mahina said to Girja, daughter, what have you done by going to the forest? You took a crow in place of a swan. You wished for the firefly by making a slogan from the Sun. You did not like it either. You got interested in the oil of the firefly. You removed the ashes of the yagya and applied the ashes of worry. You left Vishnu and other gods and did it for Shiva. Then your deeds have the right. You preached to your friends and you also have the right. Now I am called Anand. This is all the result of my deeds. I had prayed for my daughter with great love. But I got such a sorrowful result and such a fearful form. Saying this, Mahina fell down on the earth again and again and became present. After some time, when Mahina was checked, she looked back and said that she had to come from the side of Girja. I am sad that you did not die, it would not have been possible in our clan at this time. I was a big fool in trusting the words of Bharat so much in Himachal that I thought what should I do so that this sorrow of mine can go away. I fell down on the ground crying while uttering such words. Seeing this all the joy turned into sorrow, but after a lot of consolation everyone rejoiced again.

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