ब्रह्मा जी बोले हे नारद शिवजी ने इस समय बारात की तैयारी किया गया दी उसके आदेश अनुसार सब अपने को वस्त्र आभूषणों से भूषित करने लगे चारों ओर ध्वजा पताका चौहान आदि शुभ सामग्री स्थापित हुई देवताओं की पत्नियों मंगलयान करने लगी रत्न एवं मोतियों से चौक पुराने गए उसे समय की शिवजी की सुंदरता का हम वर्णन नहीं कर सकते विष्णु में तथा इंद्र आदि देवता अपने अपने प्रसिद्ध वेस्टन से घोषित हुए स्वरों के सर सील गज समूह तथा घोड़े के चल बोल देखने योग्य एवं प्रशंसा की योग्य थे शुभ मुहूर्त में शिवाजी महाराज बरात सहित चले नंदी वीरभद्र भैरव आदि भी अपने गानों सहित उनके साथ हुए शिवजी कि उसे बारात में असंख्य सी चली शिवजी ने सर्वप्रथम सांसारिक नियमों के अनुसार ब्राह्मण के चरणों का स्थान ज्ञान धर्म डमरू बजाया इसके पश्चात हुए बारात के साथ चले
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Brahma Ji said O Narada, at this time preparations for the wedding procession were made by Shiva Ji. As per his orders everyone started adorning themselves with clothes and ornaments. Flags, banners and other auspicious materials were set up all around. The wives of the gods started doing Mangalyaan. The squares were decorated with gems and pearls. We cannot describe the beauty of Shiva Ji of that time. Gods like Vishnu and Indra etc. announced the notes from their famous westerns. The sounds of the elephants and the horses were worth seeing and worthy of praise. At the auspicious time, Shivaji Maharaj went with the wedding procession. Nandi, Veerbhadra, Bhairava etc. also accompanied him with their songs. Innumerable people joined Shiva Ji's wedding procession. Shiva Ji first played the Damru, the place of the Brahmin's feet, as per worldly rules. Thereafter he went with the wedding procession.
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