श्री शिव महापुराण कथा तृतीय खंड अध्याय 47


ब्रह्मा जी ने कहा हे नारद सप्तऋषि ने शिव जी के पास जाकर संपूर्ण वृतांत का सुनाया शिवजी बोले है ऋषियों तुमने यह काम अच्छा किया तुम भी अपने शिष्यों सहित हमारे विवाह में अवश्य उपस्थित होना यह सुनकर सप्त ऋषि प्रसन्न होकर वहां से विदा हुए यह नारा डी इसके पश्चात शिव जी ने तुमको स्मरण किया तुम वहां तुरंत प्रसन्नता पूर्वक पहुंचे तुमने शिवजी की हाथ जोड़कर स्तुति एवं विनती की और कहा कि मेरा यह सौभाग्य है जो आपने मुझे स्मरण किया है आप मुझ सेवक को आज्ञा दीजिए उसे समय शिव जी ने संसार की रीति के अनुसार कहा है नारद गिरिजा ने हमारे बड़ी आराधना की है हमने प्रेम के वास में होकर उसे अपने साथ विवाह करने का वर दे दिया है अब तुम हमारी ओर से समस्त देवताओं को नियंत्रित कर दो उन सबको यह बात भली भांति समझना समझा देना कि जो हमारी बात में सम्मिलित ना होगा वह हमारा प्यार ना होगा तुम यह सुनकर तुरंत चल दिए सर्वप्रथम तुम विष्णु जी के पास तथा इसी प्रकार समकादिक ब्रिंग आदि के समीप पहुंचे तुमने सबको शिव जी का संदेश का सुनाया और सब ने अत्यंत प्रसन्नता के साथ उसे स्वीकार किया हे नारद इस प्रकार तीनों लोक में उसकी कोई ऐसा स्थान शेष नहीं रहा जहां तुमने शिव की ओर से जाकर निमंत्रण ना पहुंचा हो सबको निमंत्रण देने के पश्चात तुम शिव जी के पास लौट आए और उसकी स्तुति करते हुए बोले है महाराज आपका निमंत्रण को ब्रह्मा विष्णु एवं संपूर्ण सृष्टि में बड़ी प्रसन्नता के साथ स्वीकार किया है इसके पश्चात तुम शिव की आज्ञा से वही रह गए नियत समय पर ब्रह्मा विष्णु संकडिक लोकपाल इंद्र आदि गणपत अग्नि धर्मराज वरुण कुबेर पवन किस दिगपाल सूर्य चंद्रमा हिंगोलज ज्वालामुखी आदि देवी देवता तथा मनी कैलाश में अपनी समस्त सामग्री परिवार स्त्री गांड सी तथा संभदों को लेकर आए और अपने पद के अनुकूल बैठे विष्णु तथा में शुभ लग्न पर शिव जी के पास आए तथा प्रणाम के पश्चात उनसे बोले हैं प्रभु अब तो चलने का समय आ गया है

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Brahma Ji said, O Narada. The Saptarshi went to Lord Shiva and narrated the entire incident. Lord Shiva said, O Rishis, you have done a good job. You should also be present at our wedding along with your disciples. Hearing this, the Saptarshis were pleased and left from there. After this, Lord Shiva remembered you. You reached there happily. You prayed and requested Lord Shiva with folded hands and said that it is my good fortune that you have remembered me. Please order me, your servant. Lord Shiva said according to the custom of the world that Narada Girija has worshipped us a lot. We have blessed her to marry us by being in the state of love. Now you control all the gods on our behalf. Make them understand this thing well and explain that the one who will not agree with us will not be our love. Hearing this, you immediately left. First of all, you went to Lord Vishnu and in the same way, you reached Samakadik Bring etc. You told the message of Lord Shiva to everyone and everyone accepted it with great happiness. O Narada. In this way, there was no place left in three worlds where you did not go and deliver the invitation on behalf of Shiva. After inviting everyone, you returned to Shiva and praising him said, "Maharaj, your invitation has been accepted by Brahma, Vishnu and the entire creation with great pleasure." After this, you stayed there by Shiva's order. At the appointed time, Brahma, Vishnu, Sankadik, Lokpal, Indra, etc., Ganpat, Agni, Dharmaraj, Varun, Kuber, Pawan, Kis Digpal, Sun, Moon, Hingolaj, Jwalamukhi, etc. gods and goddesses and Mani came to Kailash with all their belongings, family, women, gods and relations and sat according to their positions. Vishnu and I came to Shiva on the auspicious time and after saluting, said to him, "Prabhu, now the time has come to leave."

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